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अंतर्राज्यीय परिषद (Inter-State Council – ISC) संवैधानिक प्रावधान एवं स्थापना

  • भारत एक संघीय संरचना (Federal Structure) वाला देश है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों की अलग-अलग जिम्मेदारियाँ और शक्तियाँ होती हैं। लेकिन कई बार ऐसी परिस्थितियाँ आती हैं जहाँ दोनों के बीच समन्वय (Coordination) और सहयोग (Cooperation) की आवश्यकता होती है। 
  • इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत अंतर्राज्यीय परिषद (Inter-State Council – ISC) की स्थापना की गई।

संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provision)

  • अनुच्छेद 263 (Article 263) के अनुसार, यदि यह राष्ट्रपति को आवश्यक लगे कि:
    • राज्यों के बीच या केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय (Better Coordination) हो,
    • कोई सामान्य नीति (Common Policy) बनाई जाए,
    • या कोई विवाद (Dispute) हल किया जाए,
    • तो वह एक परिषद (Council) की स्थापना कर सकता है।

स्थापना एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Establishment and Background)

  • 1980 के दशक में केंद्र-राज्य संबंधों (Centre-State Relations) को सुधारने के लिए सरकारिया आयोग (Sarkaria Commission) का गठन हुआ।
  • आयोग ने 1988 में सिफारिश की कि अंतर्राज्यीय परिषद को एक स्थायी मंच (Permanent Forum) बनाया जाए।
  • इस सिफारिश के आधार पर भारत के राष्ट्रपति ने 28 मई 1990 को एक आदेश (Presidential Order) जारी कर ISC की स्थापना की।

प्रमुख उद्देश्य (Objectives of ISC)

  • नीतियों और कार्यों का समन्वय (Coordination of Policies and Actions):
    केंद्र और राज्यों की योजनाओं/कार्यक्रमों में टकराव न हो, इसका ध्यान ISC रखती है।
  • विवाद समाधान (Dispute Resolution):
    राज्यों के बीच या केंद्र-राज्य के बीच किसी विषय पर मतभेद हो तो उसे सुलझाने का मंच ISC है।
  • संघीय भावना को मजबूती (Strengthening Federalism):
    केंद्र और राज्यों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देना।
  • मौलिक अधिकारों और नीति निदेशक तत्वों की रक्षा (Safeguard Constitutional Values):
    जैसे कि संघीय व्यवस्था (Federalism), विकेंद्रीकरण (Decentralization), आदि।

परिषद की संरचना (Composition of ISC)

पद

सदस्य

अध्यक्ष (Chairperson)

भारत के प्रधानमंत्री

स्थायी सदस्य (Permanent Members)

सभी राज्यों के मुख्यमंत्री (CMs)

विधानसभाओं वाले केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री

बिना विधानसभा वाले केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासक (Administrators)

प्रधानमंत्री द्वारा नामित छह केंद्रीय मंत्री (कैबिनेट स्तर के)

विशेष तथ्य:

  • 1990 और 1996 में राष्ट्रपति आदेशों में संशोधन कर यह व्यवस्था की गई कि:
    • राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) वाले राज्यों के राज्यपाल ISC की बैठकों में भाग ले सकते हैं।
    • प्रधानमंत्री अन्य मंत्रियों को भी स्थायी आमंत्रित सदस्य (Permanent Invitees) बना सकते हैं।

स्थायी समिति (Standing Committee of ISC)

  • निर्माण: ISC की 1996 की दूसरी बैठक में समिति गठित करने का निर्णय लिया गया।
  • अध्यक्षता: केंद्रीय गृहमंत्री (Union Home Minister)
  • भूमिका:
    • ISC द्वारा विचारित विषयों की समीक्षा और निगरानी (Monitoring)
    • ISC के निर्णयों को लागू कराने हेतु अनुवर्ती कार्रवाई (Follow-up Action) करना।

सचिवालय (Secretariat of ISC)

  • स्थापना: 1991 में नई दिल्ली में ISC सचिवालय (ISCS) की स्थापना हुई।
  • नेतृत्व: भारत सरकार के एक सचिव के अधीन।
  • 2011 से: देश के क्षेत्रीय परिषदों (Zonal Councils) का प्रशासनिक कामकाज भी ISCS को सौंपा गया।

अंतर्राज्यीय परिषद के लाभ (Benefits of ISC)

क्षेत्र

लाभ

संघीय शासन (Federal Governance)

संघ और राज्यों के बीच शक्ति संतुलन बना रहता है।

नीतियों की स्वीकार्यता (Policy Acceptability)

सभी पक्षों की भागीदारी से बनी नीतियाँ अधिक स्वीकार्य और वैध होती हैं।

सहयोगात्मक संघवाद (Cooperative Federalism)

संवाद, विमर्श और सहमति के आधार पर नीतियाँ बनती हैं।

विवादों का समाधान (Dispute Resolution)

राज्यों और केंद्र के बीच विवाद सुलझाने में मदद मिलती है।

संवैधानिक मूल्यों की रक्षा (Protection of Constitutional Values)

निर्णय संविधान और संघीय ढाँचे के अनुरूप होते हैं।

महत्त्वपूर्ण समसामयिक उदाहरण (Contemporary Relevance)

  • GST (वस्तु एवं सेवा कर): राज्यों और केंद्र के बीच वित्तीय समन्वय सुनिश्चित करने के लिए ISC जैसे मंच की आवश्यकता महसूस की गई।
  • कोविड-19 महामारी के दौरान: विभिन्न राज्यों के बीच संसाधनों के बँटवारे, लॉकडाउन नीति आदि में तालमेल के लिए ISC जैसे संस्थान का महत्त्व बढ़ा।
  • विमुद्रीकरण (Demonetisation), कृषि कानून (Farm Laws): जैसे विषयों पर राज्यों से विमर्श की आवश्यकता ISC जैसे मंच से पूरी हो सकती थी।

अंतर्राज्यीय परिषद (Inter-State Council) से संबंधित चुनौतियाँ

  • अनियमित बैठकें (Irregular Meetings)
    • ISC की स्थापना 1990 में हुई थी, लेकिन अब तक इसकी केवल 11 बैठकें हुई हैं।
    • प्रक्रिया के अनुसार वर्ष में कम-से-कम 3 बैठकें होनी चाहिए, परंतु अंतिम बैठक जुलाई 2016 में हुई थी।
    • इससे यह स्पष्ट होता है कि यह मंच अपने मूल उद्देश्य को पूरा करने में निरंतरता (Continuity) नहीं बनाए रख पाया।
  • गैर-बाध्यकारी सिफारिशें (Non-Binding Recommendations)
    • ISC की सिफारिशें सलाहकारी (Advisory) होती हैं, उन्हें लागू करना अनिवार्य नहीं होता।
    • इसका परिणाम यह होता है कि राज्य या केंद्र इन सिफारिशों को नज़रअंदाज़ (Ignore) कर सकते हैं, जिससे विवादों का समाधान मुश्किल हो जाता है।
    • ISC में प्रवर्तन शक्तियों (Enforcement Powers) का अभाव है, जिससे यह एक चर्चा मंच (Deliberative Forum) बनकर रह जाती है।
  • कमजोर अनुवर्ती प्रणाली (Weak Follow-Up Mechanism)
    • सिफारिशों को लागू करने (Implementation) और उन पर नज़र रखने (Monitoring) के लिए मजबूत तंत्र की कमी है।
    • इससे नीतिगत निर्णयों में कार्यान्वयन में बाधा (Implementation Gap) उत्पन्न होती है।
  • राजनीतिक मतभेद (Political Differences)
    • केंद्र और राज्यों में विभिन्न राजनीतिक दलों (Political Parties) की सरकारें होने के कारण, नीतिगत निर्णयों में सहमति बनाना कठिन हो सकता है।
    • ISC की कार्यक्षमता राजनीतिक गतिशीलता (Political Dynamics) से प्रभावित होती है।

ISC को प्रभावी बनाने हेतु आवश्यक सुधार (Reforms Needed for Strengthening ISC)

  • अनुच्छेद 263 में संशोधन (Amendment to Article 263)
    • पुंछी आयोग (Punchhi Commission, 2010) ने अनुच्छेद 263 में संशोधन की सिफारिश की थी ताकि ISC को संवैधानिक शक्ति संपन्न (Constitutionally Empowered) निकाय बनाया जा सके।
    • इससे यह केवल सलाहकारी नहीं, बल्कि निर्णय लेने वाली संस्था (Decision-Making Body) बन सकती है।
  • नियमित बैठकें सुनिश्चित करना (Ensuring Regular Meetings)
    • वर्ष में तीन बार बैठक करने की प्रक्रिया को कानूनी बाध्यता (Statutory Requirement) बनाना चाहिए।
    • इससे संवाद और समन्वय में निरंतरता (Continuity) आएगी और राज्यों को एक नियमित मंच (Regular Platform) मिलेगा।
  • स्पष्ट एजेंडा और प्राथमिकताएँ (Clear Agenda and Priorities)
    • हर बैठक से पहले पूर्व-निर्धारित मुद्दों (Pre-defined Issues) को एजेंडा में शामिल किया जाना चाहिए।
    • जैसे – जल विवाद (Water Disputes), अवसंरचना विकास (Infrastructure Development), आर्थिक सहयोग (Economic Cooperation) आदि।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग (Use of Technology)
    • ISC के संचालन को डिजिटल माध्यमों (Digital Tools) जैसे ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म, ऑनलाइन डेटा साझाकरण और रियल-टाइम नीति निगरानी से सक्षम किया जा सकता है।
    • इससे प्रक्रिया होगी – तेज़, पारदर्शी और उत्तरदायी (Faster, Transparent & Accountable)
  • स्थायी समिति की भूमिका को सशक्त बनाना (Strengthening Standing Committee)
    • ISC की स्थायी समिति (Standing Committee) को समीक्षा और निगरानी (Review & Monitoring) में अधिक शक्ति दी जानी चाहिए ताकि सुझावों पर ठोस कार्रवाई हो सके।

Inter-State Council – FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्रश्न :-अंतर्राज्यीय परिषद (ISC) क्या है?

उत्तर: अंतर्राज्यीय परिषद (ISC) एक संवैधानिक निकाय है जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय, सहयोग और विवाद समाधान के लिए स्थापित किया गया है।

प्रश्न :-अंतर्राज्यीय परिषद (ISC) की स्थापना कब और किसकी सिफारिश पर हुई?

उत्तर: ISC की स्थापना 28 मई 1990 को सरकारिया आयोग (1988) की सिफारिश पर राष्ट्रपति के आदेश से की गई थी।

प्रश्न :-अंतर्राज्यीय परिषद (ISC ) का संवैधानिक आधार क्या है?

उत्तर: ISC संविधान के अनुच्छेद 263 पर आधारित है, जो केंद्र और राज्यों या राज्यों के बीच समन्वय के लिए परिषद की स्थापना की अनुमति देता है।

प्रश्न :-अंतर्राज्यीय परिषद( ISC) के अध्यक्ष कौन होते हैं?

उत्तर: भारत के प्रधानमंत्री अंतर्राज्यीय परिषद (ISC) के अध्यक्ष होते हैं।

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