भारत ने हाल ही में बिग-कैट्स के पर्यावास वाले सभी देशों से आग्रह किया है कि वे 2026 में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले वैश्विक बिग कैट्स सम्मेलन तथा इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (IBCA) में शामिल हों। यह कदम न केवल भारत की वन्यजीव संरक्षण प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रजाति संरक्षण सहयोग को मजबूत करने का प्रयास भी है।

IBCA :- अवधारणा और महत्त्व
स्थापना एवं उद्देश्य
- शुरूआत: 2023 में, प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत द्वारा की गई।
- उद्देश्य: बिग कैट्स की सात प्रजातियों और उनके पर्यावासों के संरक्षण हेतु वैश्विक सहयोग को मजबूत करना।
सात बड़ी बिल्ली प्रजातियां:
- बाघ (Tiger)
- शेर (Lion)
- तेंदुआ (Leopard)
- हिम तेंदुआ (Snow Leopard)
- चीता (Cheetah)
- जगुआर (Jaguar)
- प्यूमा (Puma)
- भारत में केवल पहली पांच प्रजातियां पाई जाती हैं।
- जगुआर और प्यूमा भारत में नहीं पाए जाते हैं।
मुख्यालय:
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस का स्वरूप:
- यह एक बहुराष्ट्रीय एवं बहु-एजेंसी गठबंधन
सदस्य बनने के लिए पात्र:
- वे 95 देश, जहाँ बिग कैट्स पाई जाती हैं
- वे देश जहाँ बिग कैट्स नहीं हैं, लेकिन संरक्षण में रुचि है
- वैज्ञानिक संस्थान और संरक्षण भागीदार संगठन
- संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश
- अब तक 9 अंतर्राष्ट्रीय संगठन IBCA में शामिल होने पर सहमत हुए हैं।
वित्तीय समर्थन:
- भारत द्वारा ₹150 करोड़ (2023-24 से 2027-28) तक का बजटीय सहयोग घोषित।
बिंग कैट्स की संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट स्थितिः
- एंडेंजर्ड (वाघ), वल्नरेबल (शेर, चीता, हिम तेंदुआ और तेंदुआ), नियर श्रेटंड (जगुआर) और लीस्ट कंसर्न (प्यूमा)।
- भारत में बिग कैट्स की पांच प्रजातियां बन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 और 4 तथा CITES के परिशिष्ट-1 में सूचीबद्ध हैं।
भारत और बिग कैट्स: वैश्विक नेतृत्व का आधार
विश्व में सबसे अधिक बाघों को संरक्षित करने वाला देश भारत है। इसके साथ ही भारत में पांच बिग कैट प्रजातियां पाई जाती हैं— बाघ, शेर (एशियाई शेर), तेंदुआ, हिम तेंदुआ और अफ्रीकी चीता (2022 से परियोजना के तहत पुनर्प्रवेशित)।
भारत ने न केवल प्रजातियों के संरक्षण में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है, बल्कि टाइगर प्रोजेक्ट, लायन कंज़र्वेशन, हिम तेंदुआ लैंडस्केप संरक्षण तथा पुनर्प्रवेशित चीता परियोजना जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से विश्व को संरक्षण मॉडल भी प्रदान किए हैं। IBCA इसी नेतृत्व की एक विस्तारित कड़ी है।
बिग कैट्स का पारिस्थितिक महत्त्व
1. शीर्ष शिकारी (Apex Predators)
- ये पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- शीर्ष शिकारी के रूप में ये शाकाहारी जीवों की संख्या को नियंत्रित करते हैं, जिससे वनस्पति संरचना की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
2. कीस्टोन प्रजातियाँ (Keystone Species)
- इनके विलुप्त होने से पूरा पारिस्थितिक तंत्र असंतुलित हो सकता है।
- इसलिए इनका संरक्षण अन्य अनेक प्रजातियों के संरक्षण से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा होता है।
3. बीज प्रसार और वनों की सततता
- कई बिग कैट्स छोटे स्तनधारियों और पक्षियों का शिकार करते हैं, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से बीज प्रसार और वन पुनर्जनन में सहायता मिलती है।
4. कार्बन सिंक का संरक्षण
- बिग कैट्स के सुरक्षित पर्यावास बड़े वन क्षेत्रों और घासभूमियों को संरक्षित रखते हैं, जो महत्वपूर्ण कार्बन सिंक के रूप में काम करते हैं—यह जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण है।
5. फ्लैगशिप प्रजातियाँ
- बिग कैट्स करिश्माई प्रजातियाँ हैं; इनके संरक्षण के माध्यम से संपूर्ण पर्यावास और उसमें रहने वाली अनेक प्रजातियाँ संरक्षित होती हैं।
मुख्य खतरे और चुनौतियाँ
1. पर्यावास विनाश एवं विखंडन
- वनों की कटाई, बुनियादी ढाँचा निर्माण और भूमि-उपयोग परिवर्तन के कारण इनके प्राकृतिक आवास सिकुड़ रहे हैं।
2. मानव-वन्यजीव संघर्ष
- संकुचित आवासों के कारण बिग कैट्स मानव बस्तियों की ओर रुख करते हैं, जिससे संघर्ष, मानव हानि और प्रतिशोधात्मक हत्या की घटनाएँ बढ़ती हैं।
3. अवैध शिकार एवं वन्यजीव तस्करी
- अंतरराष्ट्रीय अवैध व्यापार, विशेष रूप से बाघ और तेंदुए की खाल, हड्डियों तथा अंगों की मांग, इन प्रजातियों के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा है।
4. जलवायु परिवर्तन
- हिम तेंदुए जैसे उच्च पर्वतीय प्रजातियों पर जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है—उनके पर्यावास ऊपर की ओर खिसक रहे हैं।
5. आनुवंशिक विविधता का संकट
- छोटे और अलग-थलग पड़े समूहों में इनब्रीडिंग बढ़ने की आशंका रहती है (उदा. एशियाई शेरों की आबादी गीर वन तक सीमित है)।
IBCA का वैश्विक महत्व
1. अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मंच
- IBCA वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रौद्योगिकी, जैव-निगरानी, क्रॉस-बॉर्डर संरक्षण और डेटा साझा करने के लिए एक व्यापक वैश्विक मंच प्रदान करेगा।
2. फंडिंग और तकनीकी सहायता
- यह गठबंधन संरक्षण, पुनर्वास, जनसहभागिता और क्षमता निर्माण परियोजनाओं में वैश्विक वित्तीय संसाधनों को आकर्षित कर सकेगा।
3. वन्यजीव अपराधों के विरुद्ध सहयोग
- ट्रांसनेशनल संगठित अपराध के रूप में फैली वन्यजीव तस्करी से निपटने के लिए बहुपक्षीय सहयोग को सुदृढ़ करेगा।
4. जलवायु-जैव विविधता समन्वय
- बिग कैट्स के संरक्षण को जलवायु परिवर्तन नीतियों, प्रकृति-आधारित समाधान और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से जोड़ने की क्षमता रखता है।
5. भारत की सॉफ्ट-पावर और ग्रीन डिप्लोमेसी को बढ़ावा
- IBCA भारत को वैश्विक जैव विविधता नेतृत्व में अग्रणी बनाता है। यह ‘वन्यजीव संरक्षण’ को कूटनीतिक एजेंडा का हिस्सा बनाकर भारत की सॉफ्ट-पावर बढ़ाता है।
आगे की राह: चुनौतियाँ और समाधान
नीति सुझाव / Way Forward
- ट्रांस-बाउंड्री लैंडस्केप संरक्षण जैसे हिमालय, सुन्दरबन, मध्य एशिया में साझा संरक्षण रणनीतियाँ।
- समुदाय आधारित संरक्षण (CBC) मॉडल को मजबूत करना—विशेषकर बफर ज़ोन में।
- उन्नत निगरानी तकनीक (AI आधारित कैमरा ट्रैप, ड्रोन, e-DNA)।
- वन्यजीव गलियारों की कानूनी मान्यता और पुनर्स्थापना।
- वन्यजीव अपराधों पर कड़ा प्रवर्तन, सीमा पार सहयोग और इंटरऑपरेबल डेटाबेस।
- जलवायु अनुकूल संरक्षण रणनीतियाँ, विशेषकर हिम तेंदुआ और घासभूमि-निर्भर चीता के लिए।
- जनजागरूकता और शिक्षा अभियान, क्योंकि फ्लैगशिप प्रजातियाँ समाजिक चेतना बढ़ाती हैं।