New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना में अनियमितताएं 

प्रारंभिक परीक्षा - प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - सरकारी योजनाएं

सन्दर्भ 

  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत झारखंड राज्य में प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC) घटक के तहत लाभार्थी बनाने के लिए आधार कार्ड का दुरुपयोग किया जा रहा है।
    • प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC), प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना का एक प्रमुख घटक है। 
  • किसानों को अपने इस योजना में शामिल होने की कोई जानकारी नहीं है, जबकि उनका नाम लाभार्थियों की सूची में है। 

ground-work

प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना

  • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जो संदर्भित गतिविधियों के लिए राज्य सरकारों को केंद्रीय अनुदान प्रदान करती है।
    • पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में तथा अन्य राज्यों के लिए 75:25 के अनुपात में। 
  • इसे मौजूदा योजनाओं जैसे- त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP), एकीकृत जलसंभर क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन को सम्मिलित करके तैयार किया गया है। 
  • इसकी क्रियान्वयन अवधि वर्ष 2015 से 2026 तक है। 

उद्देश्य

  • सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला में शुरू से अंत तक समाधान प्रदान करना। 
  • फील्ड स्तर पर सिचाई में निवेश को अभिसरित करना।
  • हर खेत को पानी उपलब्ध कराना।
  • प्रति बूंद अधिक फसल दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना।
  • खेत स्तर पर जल उपयोग की दक्षता में सुधार करना।
  • सुनिश्चित सिंचाई के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करना।
  • पानी की बर्बादी को कम करने के लिए खेत में पानी के उपयोग की दक्षता में सुधार करना।  
  • जिला-स्तर और उप जिला-स्तर पर तैयारी के साथ जल उपयोग हेतु योजनाएं  निर्मित करना। 

pmksy

महत्वपूर्ण विशेषताएं 

  • इस योजना के तहत नए जल स्रोतों का निर्माण,पुराने जल स्रोतों को ठीक करना तथा जल संचयन के साधनों का निर्माण एवं ग्रामीण स्तर पर तालाबों की क्षमता बढ़ाने जैसे कार्य किये जाएंगे। 
  • पानी के दक्षतापूर्ण परिवहन को बढ़ावा देने के लिए, भूमिगत पाइप प्रणाली, पीवोट, रेनगन और अन्य उपकरणों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • अपूर्ण और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए, नाबार्ड के तत्वाधान में एक दीर्घकालीन सिंचाई निधि(LTIF) की स्थापना की गयी है। 
  • राज्यों को रियायती ब्याज दर पर वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए नाबार्ड द्वारा एक समर्पित सूक्ष्म सिंचाई कोष(MIF) की भी स्थापना की गई है।
  • 2020 में जल शक्ति मंत्रालय ने PMKSY के तहत परियोजना के घटकों की जियो टैगिंग के लिए एक मोबाईल एप्लिकेशन लॉन्च किया।
  • प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालयी संचालन समिति द्वारा इस योजना का निरीक्षण और निगरानी की जाएगी।
  • योजना के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति का गठन किया जाएगा। 

प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के घटक

  • त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP)- (जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग)
  • इसका उद्देश्य सिंचाई परियोजनाओं को वित्तीय सहायता देना है।
  • राष्ट्रीय परियोजनाओं सहित चल रही बड़ी और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना।
  • जनजातीय और सूखा प्रवण क्षेत्रों के तहत परियोजनाओं के लिए समावेशन मानदंड में छूट दी गई है।
  • हर खेत को पानी (HKKP) – (जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा)
    • इसका उद्देश्य खेत तक पानी की भौतिक पहुंच में वृद्धि करना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्रों का विस्तार करना है।
    •  लघु सिंचाई (सतह और भूजल दोनों) के माध्यम से नए जल स्रोतों का निर्माण किया जाएगा।
    • इसके अंतर्गत जल निकायों की मरम्मत, जीर्णोद्धार और नवीनीकरण; पारंपरिक जल स्रोतों की वहन क्षमता को मजबूत करना, वर्षा जल संचयन संरचनाओं(जलसंचय) का निर्माण करना भी शामिल है।
    • उपलब्ध स्रोत का लाभ उठाने के लिए जल निकायों के लिए जल प्रबंधन और वितरण प्रणाली में सुधार, जिन्हे इनकी पूरी क्षमता तक टैप नहीं किया गया है, कमांड क्षेत्र के कम से कम 10% क्षेत्र को सूक्ष्म/सटीक सिंचाई के तहत कवर किया जाना। 
    • पारंपरिक जल भंडारण प्रणालियों का निर्माण और कायाकल्प किया जाएगा।
    • इसमें 4 उपघटक शामिल है -
      1. कमान क्षेत्र विकास।
      2. सतही लघु सिंचाई।
      3. जल निकायों की मरम्मत, नवीनीकरण और बहाली। 
      4. भूजल विकास। 
  • वाटरशेड विकास - (भूमि संसाधन विभाग)
    • यह मिट्टी और जल संरक्षण, भूजल के पुनर्जनन, अपवाह को रोकने और जल संचयन और प्रबंधन से संबंधित विस्तार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वर्षा आधारित क्षेत्रों के विकास पर केंद्रित है। 
    • पारंपरिक जल निकायों के नवीकरण सहित चिन्हित पिछड़े वर्षा सिंचित ब्लॉकों में पूर्ण क्षमता तक जल स्रोत के निर्माण के लिए मनरेगा के साथ अभिसरण किया जाएगा। 
  • प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC)– (कृषि और किसान कल्याण विभाग)
    • खेत में कुशल जल परिवहन और सटीक जल अनुप्रयोग उपकरणों जैसे ड्रिप, स्प्रिंकलर, पिवोट्स,रेन-गन को बढ़ावा देना। 
    • नलकूपों और खोदे गए कुओं सहित स्रोत निर्माण गतिविधियों के पूरक के लिए सूक्ष्म सिंचाई संरचनाओं का निर्माण करना।
    • वर्षा सहित उपलब्ध पानी का अधिकतम उपयोग करने और सिंचाई की आवश्यकता को कम करने के लिए फसल संरेखण सहित वैज्ञानिक नमी संरक्षण और कृषि संबंधी उपायों को बढ़ावा देने के लिए विस्तार गतिविधिययों को बढ़ावा देना।
    • सामुदायिक सिंचाई सहित तकनीकी, कृषि विज्ञान और प्रबंधन प्रथाओं के माध्यम से जल स्रोत के संभावित उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए कम लागत वाले प्रकाशनों, पिको प्रोजेक्टरों और कम लागत वाली फिल्मों सहित क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान का संचालन करना।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X