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इसरो द्वारा नेविगेशन सैटेलाइट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण

प्रारंभिक परीक्षा – इसरो, नेविगेशन सैटेलाइट 
मुख्य परीक्षा  : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 – अंतरिक्ष प्रौद्योगिकीविज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ

संदर्भ:

  • इसरो द्वारा जीएसएलवी रॉकेट से NVS­01 नेविगेशन सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। 

नेविगेशन उपग्रह

navigation-satellite

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 29 मई को लगभग 2,232 किलोग्राम वजनी NVS-01 नेविगेशन सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में सफलतापूर्वक स्थापित किया।
  • नेविगेशन सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी), द्वारा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SHAR), श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया।

कार्य:

  • NVS-01 इंडियन कॉन्स्टेलशन सर्विस (NavIC) के साथ नेविगेशन के लिए दूसरी जनरेशन की अपने तरह की पहली सैटेलाइट है। 
  • इसमें स्वदेशी एटॉमिक घड़ी लगाई गई है। 
  • ये घड़ी ऑर्बिट रेजिंग प्रोसीजर को और भी बेहतर और बारीकी से बता सकेगी। 
  • साथ ही यह भारत और इसके आसपास के क्षेत्रों में यूजर्स को स्थिति, वेलोसिटी और समय की जानकारी दे सकेगी। 

नेविगेशन सैटेलाइट के इन डिवाइस को भी भेजा गया है :

  • NVS-01 नेविगेशन सैटेलाइट अपने साथ L1, L5 और S बैंड डिवाइस लेकर गया है। 
  • पूर्ववर्ती की तुलना में सेंकेड जनरेशन सैटेलाइट में स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी है। 
  • इसरो के अनुसार यह पहली स्वदेशी रुबिडियम एटॉमिक क्लॉक (rubidium atomic clock) का प्रक्षेपण में इस्तेमाल किया गया।
  • इसरो के अनुसार, वैज्ञानिक पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए विदेश निर्मित रूबिडियम एटॉमिक क्लाक का इस्तेमाल करते थे। 
  • अब सैटेलाइट में अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लिकेशन सेंटर द्वारा विकसित रूबिडियम एटॉमिक क्लॉक लगाई गई है। 
  • यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो कुछ ही देशों के पास है। 

मिशन लाइफ 12 साल 

  • ISRO के अनुसार NVS-01 सैटेलाइट 2016 में लॉन्च किए गए IRNSS-1G सैटेलाइट का स्थान लेंगी। 
  • ये सैटेलाइट भारतीय क्षेत्र को नेविगेशनल सर्विस देने वाली 7 सैटेलाइट के एक ग्रुप का हिस्सा है। 
  • इसकी मिशन लाइफ 12 साल है।  
  • दूसरी जनरेशन की सैटेलाइट एडवांस फीचर और क्षमताओं के साथ बनाई जाती हैं, ताकि NavIC नेविगेशन सिस्टम की सटीकता और विश्वसनीयता में सुधार हो सके। 
  • इसे लगभग 36,000 किलोमीटर के अपोजी के साथ जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में स्थापित किया गया है।  

किन देशों के पास है अपना नेविगेशन सिस्टम?

देश नेविगेशन सिस्टम
अमेरिका   जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम)
रूस    ग्लोनास (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम)
यूरोपीय संघ    गैलीलियो
चीन  BeiDou नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (BDS)
भारत   NavIC (नेविगेशन विद इंडियन Constellation)
जापान  QZSS (क्वैसी-जेनिथ सैटेलाइट सिस्टम)
दक्षिण कोरिया  KASS (कोरिया ऑग्मेंटेशन सैटेलाइट सिस्टम)


इन देशों ने अपने संबंधित क्षेत्रों के भीतर की स्थिति,
नेविगेशन और समय सेवाओं को बढ़ाने के लिए अपना खुद का स्वतंत्र नेविगेशन सिस्टम स्थापित किया है। 

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