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जगद्गुरु बसवेश्वर

(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व)

प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी ने जगद्गुरु बसवेश्वर की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

जगद्गुरु बसवेश्वर के बारे में 

  • जगद्गुरु बसवेश्वर (या बसवन्ना, बसव) 12वीं शताब्दी के एक महान समाज सुधारक, दार्शनिक, भक्त, कवि और प्रशासनिक नेता थे, जिन्होंने भक्ति आंदोलन के दक्षिण भारतीय स्वरूप ‘शरण आंदोलन’ का नेतृत्व किया। 
  • वे लिंगायत संप्रदाय के संस्थापक माने जाते हैं और उनका योगदान सामाजिक न्याय, समानता और धार्मिक सुधार की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

संक्षिप्त जीवन परिचय

  • जन्म: लगभग 1131 ई., बगवाड़ी (वर्तमान कर्नाटक के बीजापुर ज़िले में)
  • पिता: मादारस
  • माँ: मदलम्बिका
  • प्रारंभिक शिक्षा: कूडल संगम में वेदों, शास्त्रों और दर्शन की शिक्षा
  • मृत्यु: लगभग 1196 ई.

प्रमुख योगदान:

लिंगायत संप्रदाय की स्थापना:

  • उन्होंने एक नए संप्रदाय की शुरुआत की जिसे वर्तमान में लिंगायत संप्रदाय कहा जाता है।
  • इसमें ईश्वर की आराधना शिवलिंग (इष्ट लिंग) के माध्यम से होती है।
  • वे मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा, कर्मकांड, जातिप्रथा, बलिप्रथा आदि के विरुद्ध थे।

सामाजिक समानता के पक्षधर :

  • उन्होंने समाज में जातिवाद और ऊँच-नीच के भेदभाव का विरोध किया।
  • उनके अनुयायियों में सभी वर्गों जैसे-  महिला, दलित, किसान, कारीगर को स्थान मिला।

वचन साहित्य:

  • बसवेश्वर ने कन्नड़ भाषा में संक्षिप्त और प्रभावशाली काव्यरूप में अपने विचार प्रस्तुत किए जिन्हें ‘वचन’ कहा जाता है।
  • ये वचन सरल भाषा में ईश्वर भक्ति, नैतिकता, श्रम की महिमा और सामाजिक सुधार पर आधारित थे।

दर्शन और सिद्धांत:

सिद्धांत

विवरण

श्रद्धा से कर्म

केवल पूजा से नहीं, ईमानदार कर्म से ईश्वर प्राप्ति संभव है।

समता

जाति, लिंग और वर्ग भेद का विरोध। सभी मानव समान हैं।

श्रेयस्कर जीवन

भक्ति, नैतिकता, सरलता और अहिंसा से युक्त जीवन का समर्थन।

नारी सम्मान

महिलाओं को धार्मिक और सामाजिक अधिकार दिए।

प्रभाव:

  • बसवेश्वर का आंदोलन उनके समय में ही अत्यंत प्रभावशाली हो गया था। वे कल्याण (कर्नाटक) के चालुक्य राजा बीज्जल के मंत्री बने और प्रशासन में सुधार किए।
  • उनकी शिक्षाओं ने भक्ति आंदोलन को दक्षिण भारत में दिशा दी।
  • भारत रत्न से सम्मानित डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने भी बसवेश्वर को सामाजिक न्याय का आदर्श माना।
  • ब्रिटेन के संसद भवन (लंदन) में उनकी प्रतिमा स्थापित है, जो उनके वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।
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