New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

न्यायाधीश बेला माधुर्य त्रिवेदी

16 मई, 2025 को न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी का सर्वोच्च न्यायालय में अंतिम कार्य दिवस रहा। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में साढ़े तीन वर्ष पद ग्रहण किया।

बेला माधुर्य त्रिवेदी के बारे में 

  • परिचय : सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष के इतिहास में इस न्यायालय में पदोन्नत होने वाली ये 11वीं महिला न्यायाधीश थीं।
  • जन्म : 10 जून, 1960 को पाटण (गुजरात)
  • शिक्षा : एम.एस. यूनिवर्सिटी, वडोदरा से बी.कॉम., एल.एल.बी.

न्यायिक जीवन 

  • लगभग दस वर्षों तक गुजरात उच्च न्यायालय में सिविल एवं संवैधानिक पक्ष पर वकील के रूप में कार्य किया।
  • 10 जुलाई, 1995 को अहमदाबाद में सिटी सिविल और सत्र न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सीधे नियुक्त किया गया।
  • जब उनकी नियुक्ति हुई, तब उनके पिता पहले से ही सिटी सिविल और सत्र न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। लिम्का बुक ऑफ़ इंडियन रिकॉर्ड्स ने अपने 1996 के संस्करण में यह प्रविष्टि दर्ज की है कि पिता-पुत्री एक ही न्यायालय में न्यायाधीश हैं।
  • उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया, जैसे- उच्च न्यायालय में रजिस्ट्रार, गुजरात सरकार में विधि सचिव, सी.बी.आई. अदालत में न्यायाधीश आदि।
  • 17 फरवरी, 2011 को गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुई। 31 अगस्त, 2021 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
  • सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में इनका कार्यकाल 9 जून, 2025 तक था किंतु छुट्टियों के चलते 16 मई इनका अंतिम कार्य दिवस था।

महत्त्वपूर्ण निर्णय

  • वह पांच न्यायाधीशों वाली उस संविधान पीठ का हिस्सा थीं, जिसने नवंबर 2022 में 3:2 बहुमत से प्रवेश एवं सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 2019 में शुरू किए गए 10% आरक्षण को बरकरार रखा।
  • न्यायमूर्ति त्रिवेदी वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अगस्त 2024 में 6:1 के बहुमत से फैसला दिया था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण का संवैधानिक अधिकार है ताकि उन जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण दिया जा सके जो सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं।
    • हालाँकि, न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने अपने 85 पृष्ठ के असहमति वाले फैसले में कहा कि केवल संसद ही किसी जाति को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल कर सकती है या बाहर कर सकती है तथा राज्यों को इसमें छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है।
  • नवंबर 2021 में न्यायमूर्ति त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि किसी बच्चे के जननांगों को छूना या यौन इरादे से शारीरिक संपर्क से जुड़ा कोई भी कार्य POCSO अधिनियम की धारा 7 के तहत यौन उत्पीड़न के बराबर है क्योंकि सबसे महत्वपूर्ण घटक यौन इरादा है न कि त्वचा से त्वचा का संपर्क।
  • न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने एक फैसले में कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के तहत लगाई गई रोक महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण अधिनियम के तहत संपत्तियों की कुर्की पर रोक नहीं लगाती है।
  • न्यायमूर्ति त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने 15 मई को मथुरा में श्री बांके बिहारी मंदिर गलियारे को विकसित करने की उत्तर प्रदेश सरकार की योजना का मार्ग प्रशस्त किया, ताकि श्रद्धालुओं को लाभ मिल सके।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR