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काशी तमिल संगमम 4.0 : सांस्कृतिक एकता का नया अध्याय

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक कार्यक्रम एवं आयोजन)

चर्चा में क्यों

  • काशी तमिल संगमम 4.0 का आयोजन 2 दिसंबर 2025 से 15 दिसंबर 2025 तक वाराणसी में आयोजित किया गया। 
  • यह कार्यक्रम काशी (वाराणसी) और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और भाषाई संबंधों को आधुनिक रूप में पुनर्जीवित करता है। 
  • इस संस्करण का मुख्य विषय है  “लेट्स लर्न तमिल – तमिल करकलम”, जिसमें तमिल भाषा सीखने और भाषाई एकता पर विशेष ध्यान है।

Kashi-Tamil-Sangamam

क्या है काशी तमिल संगमम

  • यह पहल भारत की दो प्राचीन सभ्यताओं काशी और तमिलनाडु के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक संबंधों का उत्सव है।
  • सदियों से तीर्थयात्रियों, विद्वानों और साधकों ने दोनों क्षेत्रों के बीच ज्ञान, भाषा और परंपराओं का आदान-प्रदान किया है।
  • संगमम उसी ऐतिहासिक जुड़ाव को आधुनिक संदर्भ में पुनर्स्थापित करता है।
  • यह कार्यक्रम एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत करता है और विभिन्न भारतीय भाषाओं एवं संस्कृतियों की समृद्धि को आत्मसात करने का मंच प्रदान करता है।

मुख्य विशेषताएँ

  • केंद्र विषय: तमिल सीखना और भाषाई एकता।
  • प्रमुख कार्यक्रम
    • तमिल करकलम : वाराणसी के स्कूलों में तमिल भाषा का शिक्षण।
    • तमिल कारपोम : काशी के 300 छात्रों को तमिलनाडु भेजकर भाषा एवं संस्कृति का अध्ययन।
    • ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान : तेनकासी से काशी तक सभ्यतागत मार्ग का उत्सव।
  • इस वर्ष समापन समारोह रामेश्वरम में होगा, जो उत्तर से दक्षिण तक सांस्कृतिक यात्रा का प्रतीक है।
  • 1,400+ प्रतिनिधियों की भागीदारी – छात्र, शिक्षक, कारीगर, लेखक, महिला समूह, आध्यात्मिक नेता आदि।

तमिल करकलम : उत्तर प्रदेश में तमिल शिक्षा

  • वाराणसी के स्कूलों में 50 तमिल शिक्षक तैनात किए जाएंगे।
  • शिक्षक पहले CICT चेन्नई में प्रशिक्षण लेंगे।
  • हर शिक्षक 30 छात्रों के लिए स्पोकन तमिल मॉड्यूल चलाएगा।
  • कुल 1,500 छात्र प्रारंभिक तमिल सीखेंगे।
  • बीएचयू, CIIL मैसूर, IRCTC और वाराणसी प्रशासन समन्वय में शामिल।
  • यह पहल तमिल भाषा के विस्तार और भाषाई समावेश की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

महत्त्व

  • उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सबसे बड़े सांस्कृतिक पुल का निर्माण।
  • भाषाई समावेश के माध्यम से राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना।
  • तमिल भाषा के शिक्षण को उत्तर भारत में व्यापक स्तर पर बढ़ावा।
  • युवाओं के बीच सांस्कृतिक संवेदनशीलता और भारत की विविध विरासत की समझ को बढ़ाना।
  • सभ्यतागत संपर्क की आधुनिक प्रस्तुति, अगस्त्य अभियान जैसे प्रतीकात्मक प्रयास।
  • शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन, कला और अध्यात्म को एक साझा मंच पर लाना।
  • एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को वास्तविक अनुभवों के माध्यम से मजबूत करना।

निष्कर्ष

  • काशी तमिल संगमम 4.0 केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि दो प्राचीन सभ्यताओं के बीच भाषा, ज्ञान और परंपरा का संगम है।
  • यह पहल भारत की सांस्कृतिक एकता, भाषाई विविधता और युवाओं की भूमिका को नए युग में परिभाषित करती है।
  • काशी से रामेश्वरम तक की यह यात्रा भारत की अखंड सांस्कृतिक धारा का जीवंत प्रमाण है।
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