3 मई, 2025 को उत्तरी गोवा के बिचोलिम तालुका के शिरगाओ गाँव (शिरगाँव) में वार्षिक ‘लैराई यात्रा’ के दौरान भगदड़ मच गई।
लैराई यात्रा के बारे में
- परिचय : लैराई यात्रा गोवा राज्य की एक प्रमुख धार्मिक एवं सांस्कृतिक यात्रा है जो देवी लैराई (Lairai Devi) के सम्मान में प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है।
- आयोजन स्थल : इस यात्रा का आयोजन बिचोलिम तालुका के सिरसई गांव में होता है और गोवा की लोक संस्कृति में इसका विशेष स्थान है।
लैराई यात्रा के विभिन्न पहलू
- समर्पित देवी : देवी लैराई (लाराय, लैरी या लैलई भी कहा जाता है) की पूजा शक्ति के एक अवतार के रूप में की जाती है।
- इन्हें गांव की रक्षक देवी (ग्राम देवता या ग्राम देवी) भी माना जाता है।
- देवी की कथा लोक मान्यताओं, किंवदंतियों एवं कोंकणी संस्कृति में गहराई से जुड़ी हुई है।
- यात्रा का मुख्य अनुष्ठान (Dhondachi Fat) : इस यात्रा का सबसे प्रसिद्ध भाग ‘धोंडाची फाट’ (अग्नि पर चलना) होता है। इस अनुष्ठान में सैकड़ों भक्त जलती हुई लकड़ियों की आग (अग्निकुंड) पर नंगे पाँव चलते हैं। यह रस्म पूर्णिमा की रात्रि को पूरी रात चलता है।
अन्य धार्मिक गतिविधियाँ
- यात्रा के पहले भक्त उपवास रखते हैं और संयम का पालन करते हैं।
- देवी की पारंपरिक पालखी यात्रा निकाली जाती है।
- गाँव एवं मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है।
- भक्त लोकगीत, भजन एवं पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत करते हैं।
ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व
- यह यात्रा गोवा की शक्ति उपासना परंपरा का हिस्सा है। यह गोवा के हिंदू समाज की सामुदायिक आस्था एवं लोकविश्वासों को दर्शाता है।
- देवी लैराई को इनकी सात बहनों (सप्त देवियों या सप्त मातृका) में से एक माना जाता है जिनमें प्रत्येक की पूजा गोवा के विभिन्न हिस्सों में होती है। इनमें लैराई, केलबाई, महामाया, मीराबाई या मीराबालिस, मोरजाई, अजीदीपा एवं शीतलाई शामिल हैं।