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लाओखोवा और बुराचापोरी वन्यजीव 

प्रारम्भिक परीक्षा – लाओखोवा और बुराचापोरी वन्यजीव
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3

चर्चा में क्यों 

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के अनुसार, लाओखोवा और बुराचापोरी वन्यजीव अभयारण्यों में 40 साल के बाद दो गैंडे देखे गए हैं।

Burachapori-Wildlife

प्रमुख बिंदु :-

  • इस क्षेत्र में अवैध शिकार के कारण गैंडों की आबादी करीब-करीब समाप्त हो गई थी।
  • लाओखोवा-बुराचापोरी जंगल में वर्ष 1983 तक गैंडों की संख्या लगभग  45-50 थी।

लाओखोवा और बुराचापोरी वन्यजीव अभयारण्य:-

Laokhowa-Wildlife-Sanctuary

  • यह वन्यजीव अभयारण्य ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर स्थित लगभग 70.13 वर्ग किमी के क्षेत्र में विस्तृत है। यह असम के नगांव जिले में स्थित है 
  • यह अभयारण्य लाओखोवा-बुराचापोरी पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग है। 
  • यह वन्यजीव अभयारण्य 'ग्रेटर काजीरंगा' का हिस्सा है।

लाओखोवा-बुराचपोरी वन्यजीव अभयारण्य की विशेषता  :-

  • लाओखोवा और बुरहाचपोरी वन्यजीव अभयारण्य असम के दो केंद्रीय रूप से संरक्षित क्षेत्र हैं, जो पूर्व में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिम में ओरंग राष्ट्रीय उद्यान तथा पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य और उत्तर में पक्के-नामेरी राष्ट्रीय उद्यान से घिरे हुए हैं। 
  • इस अभयारण्य के दक्षिण में कार्बी आंगलोंग पठार स्थित है। 
  • काजीरंगा और ओरंग राष्ट्रीय उद्यान लाओखोवा और बुरहाचपोरी वन्यजीव अभयारण्य के बीच जानवरों के प्रवास के लिए कनेक्टिंग कॉरिडोर के रूप में कार्य करते हैं इसलिए, काजीरंगा टाइगर रिजर्व को बफर जोन के रूप में जाना जाता  है। 
  • ब्रह्मपुत्र नदी बुरहाचपोरी वन्यजीव अभयारण्यों की उत्तरी सीमा से होकर बहती है और बड़ी संख्या में नदी द्वीपों का निर्माण करती है।
  • ब्रह्मपुत्र नदी द्वीपों के साथ-साथ घास के मैदानों, जंगलों और कई आर्द्रभूमियों से युक्त लाओखोवा -बुरहाचपोरी वन्यजीव अभयारण्य के समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में लुप्तप्राय स्तनधारियों, सरीसृपों और पक्षियों की कई प्रजातियां पायी जाती हैं।

वन्यजीव :-

  • इस अभयारण्य में मछलियों की लगभग 39, उभयचरों की 9 और सरीसृपों की 14 तथा 225 से पक्षियों की प्रजातियां पायी जाती हैं।
  • इस अभयारण्य में भारतीय एक सींग वाले गैंडे, हाथियों, शाही बंगाल बाघों, एशियाई जल भैंसों, भौंकने वाला हिरण, मछली पकड़ने वाली बिल्ली, तेंदुआ बिल्ली, सिवेट और जंगली सुअर  आदि पाए जाते हैं। 
  • इस अभयारण्य में विभिन्न प्रकार की स्थानीय मछली प्रजातियां जैसे - एडजुटेंट, लेसर एडजुटेंट, व्हाइट स्टॉर्क, ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क, ब्लैक स्टॉर्क आदि पायी जाती हैं।

लाओखोवा-बुराचापोरी वन्यजीव अभयारण्य में पायी जाने वाली लुप्तप्राय प्रजातियां:- 

  • इस वन्यजीव अभयारण्य में पाए जाने वाले लुप्तप्राय प्रजातियों में छोटी बिल्लियाँ, सिवेट ,ऊदबिलाव, अजगर , जल मॉनिटर, बर्डविंग जैसी तितलियां, रैप्टर, लुप्तप्राय बंगाल फ्लोरिकन, गिद्ध पक्षी,लुप्तप्राय गंगा नदी डॉल्फ़िन अभी भी बुरहाचपोरी वन्यजीव अभयारण्यों से सटे ब्रह्मपुत्र नदी के पानी में देखी जाती हैं।

वनस्पति:

  • इस अभयारण्य में मीठे जल वाले मैंग्रोव,सिमुल, कोराई, अजर, हिजाल आदि पेड़ पाए जाते हैं।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- हाल ही में भारत के किस वन्यजीव अभयारण्य में 40 साल के बाद दो गैंडे देखे गए हैं?

(a)  काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान

(b)  ओरंग राष्ट्रीय उद्यान

(c)  नामेरी राष्ट्रीय उद्यान 

(d)  लाओखोवा और बुराचापोरी वन्यजीव

उत्तर: (d)

मुख्य परीक्षा प्रश्न:- भारत में पाए जाने वाले गैंडों के विलुप्त होने के कारणों की विवेचना कीजिए

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