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तरल दर्पण टेलीस्कोप

चर्चा में क्यों

हाल ही में, उत्तराखंड में देश का पहला अंतर्राष्ट्रीय तरल दर्पण (लिक्विड मिरर) टेलीस्कोप (ILMT) स्थापित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इसे आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (ARIES) के देवस्थल वेधशाला परिसर में 2,450 मीटर की ऊँचाई पर स्थापित किया गया है। यह भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में स्थित एक स्वायत्त संस्थान है।
  • यह देश का पहला और एशिया का सबसे बड़ा लिक्विड मिरर टेलीस्कोप है।गौरतलब है कि यह पहला लिक्विड-मिरर टेलीस्कोप है, जिसे खगोलीय अवलोकन के लिये डिजाइन किया गया है।इससे पूर्व ये टेलीस्कोप उपग्रहों को ट्रैक करने या सैन्य उद्देश्यों के लिये स्थापित किये गए थे।
  • इस टेलीस्कोप के विकास में भारत, बेल्जियम, कनाडा, पोलैंड और उज्बेकिस्तान के खगोलविदों ने सहयोग किया है।
  • वर्ष 2010 में स्थापित 1.3 मीटर देवस्थल फास्ट ऑप्टिकल टेलीस्कोप एवं वर्ष 2016 में स्थापित 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप के बाद आई.एल.एम.टी. देवस्थल से संचालित होने वाला तीसरा टेलीस्कोप होगा।विदित है कि देवस्थल को खगोलीय अवलोकन के लिये सबसे अच्छे स्थलों में से एक माना जाता है।

आई.एल.एम.टी. की प्रमुख विशेषताएँ

  • यह टेलीस्कोप सुपरनोवा, क्षुद्रग्रहों,गुरुत्वाकर्षण लेंस, अंतरिक्ष मलबेएवं अन्य सभी खगोलीय पिंडों का निरीक्षण करेगा।
  • इस टेलीस्कोप में प्रकाश को एकत्रित और केंद्रित करने के लिये तरल पारे की एक पतली फिल्म से बना 4 मीटर व्यास का घूर्णन दर्पण लगाया गया है।
  • टेलीस्कोप द्वारा बनाई गई पहली छवि में कई तारे और एक आकाशगंगा एन.जी.सी. 4274 शामिल है, जो 45 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है।
  • इस टेलीस्कोप में बिग डाटा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, एल्गोरिदम का उपयोग करने वाले एप्लिकेशन और एल्गोरिदम लागू किये जाएंगे।
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