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लॉन्गबोर्डिंग

चर्चा में क्यों

हाल ही में, स्केटिंग करने वाले केरल के एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई। 'लॉन्गबोर्डिंग' ने स्केटबोर्ड का उपयोग करके की जाने वाली साहसिक एकल यात्राओं के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं।

लॉन्गबोर्ड व स्केटबोर्ड में अंतर 

  • लॉन्गबोर्ड मूलतः स्केटबोर्ड के समान ही होता है, जो लकड़ी, प्लास्टिक या किसी भारी सामग्री से बना फलक (Plank) या बोर्ड होता है। यह छोटे पहियों के ऊपर संतुलित होता है। 
  • खिलाड़ी प्राय: इन बोर्ड पर ऊपर से नीचे की ओर गति करते हैं और हवा में करतब करते हैं।
  • स्केटबोर्ड की तुलना में लॉन्गबोर्ड स्वाभाविक रूप से लंबा और समतल होता है। साथ ही, इसके दोनों छोर ऊपर की ओर घुमावदार होते हैं। इसके अतिरिक्त इसके पहियों के आकार व बीच की दूरी में भी तकनीकी अंतर होता है। सामान्यता ये अधिक मजबूत और लंबी दूरी के लिये अधिक अनुकूल होते हैं।

प्रारंभ

  • लॉन्गबोर्ड की शुरुआत 1950 के दशक के आसपास अमेरिका में हुई थी तथा वर्ष 2020 में पहली बार इसे टोक्यो ओलंपिक की प्रतिस्पर्धी श्रेणी के रूप में शामिल किया गया था।
  • लॉन्गबोर्डिंग रोलर स्पोर्ट्स की श्रेणी में आने वाले खेलों में से एक है। इसके कुछ अन्य लोकप्रिय उदाहरण पार्क स्केटबोर्डिंग, स्ट्रीट स्केटबोर्डिंग, लॉन्गबोर्डिंग (डाउनहिल) और फ्रीस्टाइल स्केटबोर्डिंग हैं। 

अन्य बिंदु 

  • रोलर स्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (RSFI) भारत में स्केटबोर्डिंग और रोलर स्पोर्ट्स के लिये शासी निकाय है, जिसे वर्ष 1955 में पंजीकृत किया गया था।
  • आर.एस.एफ.आई. के अनुसार एकल लॉन्गबोर्डिंग की अनुमति सख्त मानदंडों और दिशानिर्देशों के तहत दी जाती है। इसके लिये इच्छुक व्यक्ति को अपनी राज्य सरकार को सूचित करना होता है तथा राज्य सरकार अन्य राज्यों, जिनसे खिलाडियों को गुजरना होता है, को सूचित करेगी।
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