| (प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरण और पारिस्थिकी) | 
 
चर्चा में क्यों 
हाल ही में मध्यप्रदेश के माधव राष्ट्रीय उद्यान को भारत का 58वां और राज्य का 9वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।

माधव राष्ट्रीय उद्यान 
- अवस्थिति :शिवपुरी जिले में स्थित ऊपरी विंध्यन पहाड़ियों का महत्वपूर्ण हिस्सा 
 
- स्थापना :  वर्ष 1958 
 
- क्षेत्रफल : 355 वर्ग किमी. 
 
- नामकरण : वर्ष 1956 इसे पहली बार शिवपुरी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में चिन्हित किया गया एवं वर्ष 1958 में इसका नाम बदलकर ग्वालियर के महाराजा माधव राव सिंधिया के नाम पर आधिकारिक तौर पर माधव राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया। 
 
- रामसर स्थल : उद्यान के भीतर मानव निर्मित जलाशय, साख्य सागर को वर्ष 2022 में रामसर स्थल घोषित किया गया 
 
- वन : यहाँ उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती मिश्रित वनों के साथ-साथ विशिष्ट शुष्क कांटेदार वन पाए जाते हैं। 
 
जैवविधता : 
- उद्यान के दक्षिणी भाग में सांख्य सागर और माधव सागर नामक झीलें हैं, जो यहाँ की प्रजातियों के लिए जीवन रेखा प्रदान करती हैं। 
- ये झीलें क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाने के साथ ही वन्यजीवों  के लिए जल का एक स्थायी स्रोत भीहैं। 
 
- ये  हजारों प्रवासी जलपक्षियों सहित जलीय जीवों के लिए एक आर्द्रभूमि आवास भी प्रदान करती हैं।
 
 
- इस क्षेत्र में 229 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। सर्दियों के मौसम में यहाँ मध्य एशियाई देशों से अनेक प्रवासी प्रवासी पक्षी आते हैं। 
- इनमें बारहेडेड गूज , ग्रेलेग गूज, डेमोइसेल और यूरेशियन क्रेन आदि नियमित आने वाले प्रवासी पक्षी हैं। 
 
- अन्य प्रवासी पक्षियों में रूडी शेल्डक, पिनटेल, कॉमन टील, मैलार्ड, गार्गनी, शॉवेलर, कॉमन पोचार्ड, व्हाइट स्टॉक आदि शामिल हैं। 
 
 
- वन्यजीवों में चीतल या चित्तीदार हिरण, नीलगाय और चिंकारा ,चार सींग वाले मृग या चौसिंगा ,जंगली सूअर आदि पाए जाते हैं। 
 
- पार्क में पाए जाने वाले स्तनधारियों की निम्नलिखित प्रजातियाँ दुर्लभ मानी जाती हैं:
- जंगली कुत्ता
 
- ऊद
 
- दलदली मगरमच्छ
 
- भारतीय रॉक पायथन
 
 
मध्य प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व 
- कान्हा टाइगर रिजर्व 
 
- पेंच टाइगर रिजर्व 
 
- सतपुड़ा टाइगर रिजर्व 
 
- बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 
 
- नौरादेही टाइगर रिजर्व 
 
- पन्ना टाइगर रिजर्व 
 
- संजय दुबरी टाइगर रिजर्व
 
- रातापनी टाइगर रिजर्व 
 
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य 
- बाघ अभयारण्यों की स्थापना वर्ष1973 में शुरू की गई प्रोजेक्ट टाइगर के एक भाग के रूप में की गई थी तथा इनका प्रशासन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा किया जाता है।
 
- भारत का पहला बाघ अभयारण्य : जिम कॉर्बेट बाघ अभयारण्य (1973)
 
- क्षेत्रफल के अनुसार सबसे छोटा बाघ अभयारण्य : नामेरी टाइगर रिजर्व (असम)
 
- सर्वाधिक बाघ जनसंख्या वाले राज्य : 
- मध्य प्रदेश (785)
 
- कर्नाटक (563) 
 
- उत्तराखंड (560) 
 
- महाराष्ट्र (444) 
 
 
- टाइगर रिजर्व के भीतर बाघों की सर्वाधिक संख्या : 
- जिम कॉर्बेट (260) 
 
- बांदीपुर (150)
 
- नागरहोल (141)
 
- बांधवगढ़ (135)
 
- दुधवा (135)
 
 
- अखिल भारतीय बाघ अनुमान-2022 की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में बाघों की संख्या 3682 होने का अनुमान है , जो प्रति वर्ष 6.1% की वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है।
 
- वर्तमान में भारत में विश्व की जंगली बाघ आबादी का लगभग 75% हिस्सा निवास करता है।
 
बाघ अभयारण्य अधिसूचित करना 
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V के प्रावधानों के अनुसार, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सलाह पर राज्य सरकार किसी क्षेत्र को बाघ अभयारण्य अधिसूचित कर सकती है।
 
- बाघ अभयारण्यों का गठन कोर/बफर रणनीति के आधार पर किया जाता है। 
- कोर क्षेत्रों को राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्य का कानूनी दर्जा प्राप्त है, जबकि बफर या परिधीय क्षेत्र वन और गैर-वन भूमि का मिश्रण है, जिसे बहुउपयोगी क्षेत्र के रूप में प्रबंधित किया जाता है।
 
 
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 इसे भी जानिए 
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) 
- गठन : इसका गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38एल (1) के तहत किया गया है।
 
- एन.टी.सी.ए. एक सांविधिक निकाय है, जो व्यापक पर्यवेक्षी एवं समन्वयकारी भूमिका निभाता है। 
- यह  वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार कार्य करता है।
 
 
 
- नोडल मंत्रालय : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
 
- कार्य : एन.टी.सी.ए. का कार्य क्षेत्र जमीनी स्तर पर संरक्षण पहल से लेकर नवीनतम तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके बाघों और उनके आवास की विज्ञान आधारित निगरानी
- बाघ अभयारण्यों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करना 
 
- सामुदायिक विकास सुनिश्चित करना 
 
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
 
- प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन
 
- बाघ अभयारण्यों के लिए एम-स्ट्रिप्स
 
- बाघ अभ्यारण्यों में बाघों को पुनः लाना
 
- विशेष बाघ संरक्षण बल का गठन
 
- स्वैच्छिक ग्राम पुनर्वास कार्यक्रम
 
 
 
 
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस : प्रतिवर्ष 29 जुलाई को दुनिया भर में बाघ संरक्षण के महत्त्व को उजागर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है।  
- इस दिवस को मनाने की घोषणा 29 जुलाई, 2010 को सेंट पीटर्सबर्ग में की गई थी। 
 
- इसका उद्देश्य दुनिया भर में बाघ संरक्षण एवं प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए सभी बाघ रेंज देशों को एक साथ लाना था।
 
 
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