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महासागर सूत्र

प्रारंभिक परीक्षा 

(कला एवं संस्कृति)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे)

  • परिचय : महासागर सूत्र (Ocean Sutra) 1,500 वर्ष पुरानी महायान बौद्ध पांडुलिपि है जो बौद्ध धर्म पर तांत्रिक कामुकता और जादू या तंत्र के प्रभाव को उजागर करने वाले पहले ग्रंथों में से एक है।
  • रचना काल : इसकी रचना मध्य एशिया में उस समय की गई थी जब 2,500 वर्ष पहले उभरे बौद्ध धर्म ने वैदिक अनुष्ठान प्रथाओं को पीछे छोड़ दिया था और शिव एवं विष्णु को समर्पित मंदिरों के उदय से उसे प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। 
    • इसके रचनाकार, भाषा व स्थान के बारे में कोई प्रमाणिक स्रोत उपलब्ध नहीं है। चीनी भाषा के अनुवाद से इसका पता चलता है। 
  • प्रभाव : इस सूत्र पर तांत्रिक शैव विचारधारा का प्रबल प्रभाव दिखाई देता है। 

महासागर सूत्र में यमंतक के रूप में पूजनीय

  • महासागर सूत्र के अनुसार, तंत्रयान के प्रभाव में बौद्ध धर्म में परिवर्तन हुआ। 
  • परिवर्तनस्वरुप भावी बुद्ध (बोधिसत्व) के नए रूप महाकाल भैरव के रूप में प्रकट हुए, जो बौद्ध मार्ग के संरक्षक थे।
  • महाकाल भैरव की कल्पना रुद्र-शिव की तरह ही हिंसक एवं कामुक रूप में की गई। 
  • बुद्ध एवं शिव दोनों को यमंतक के रूप में पूजा जाता था। 
  • यमंतक मृत्यु के देवता के हत्यारे और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्तिदाता माने जाते थे।

चीन में प्रभाव  

  • महासागर सूत्र आज अपने चीनी अनुवादों के माध्यम से जाना जाता है, जिसका चीन के प्राचीन इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान रहा। 
  • इस सूत्र ने कन्फ्यूशियन दरबार की स्त्री-द्वेष एवं पितृसत्ता को चुनौती देकर राजत्व की नव बौद्ध धारणा के साथ चीन की राजनीति को नया आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 
  • इसने 8वीं सदी में तांग राजवंश की रानी वू के उदय को सक्षम बनाया। 
    • वह चीन की सम्राट घोषित होने वाली पहली एवं एकमात्र महिला थीं। 
    • रानी वू ने ब्रह्मचर्य की दुनिया में कामुकता की भूमिका को स्वीकार करते हुए बुद्ध एवं बोधिसत्व की भी महिलाओं के रूप में कल्पना की।
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