कर्नाटक के बेलगावी जिले के हिरेबगेवाड़ी क्षेत्र में मालाबार ग्लाइडिंग फ्रॉग (Malabar Gliding Frog) नामक एक दुर्लभ प्रजाति देखी गई है।
मालाबार ग्लाइडिंग फ्रॉग (Malabar Gliding Frog) के बारे में
- वैज्ञानिक नाम : Rhacophorus malabaricus
- यह एक विशेष प्रकार का ट्री फ्रॉग (Tree Frog) या उड़ने वाला मेंढक (Flying Frog) है।
- यह प्रजाति केवल भारत के पश्चिमी घाट (Western Ghats) के वर्षा वनों (Rainforests) में पाई जाती है, इसलिए इसे स्थानिक (Endemic) प्रजाति कहा जाता है।
वासस्थान और वितरण
- यह प्रजाति सामान्यतः नदियों या झरनों के पास वृक्षों की पत्तियों पर पाई जाती है।
- प्रजनन के समय यह पानी के ऊपर लटकते वृक्षों पर चली जाती है जहाँ से टैडपोल (Tadpoles) को जल में छोड़ा जाता है।
- यह अपनी उड़ान जैसी छलांग के लिए प्रसिद्ध है। यह अपने पैरों के बीच झिल्ली का उपयोग करते हुए यह 9 से 12 मीटर तक छलांग लगा सकती है जो इसकी शरीर लंबाई से लगभग 115 गुना अधिक है।
विशेषताएँ
- ये लगभग 10 सेंटीमीटर लंबा होते हैं जिससे यह सबसे बड़े मॉस फ्रॉग्स (Moss Frogs) में से एक है। नर (Male) का आकार मादा (Female) से छोटा होता है।
- इसकी पीठ की त्वचा चिकनी और चमकीले हरे रंग की होती है जबकि पेट का रंग पीला व अपेक्षाकृत खुरदुरा होता है।
- हाथों व पैरों के बीच की झिल्ली बड़ी होती है और नारंगी-लाल रंग की होती है जो इसे उड़ान में सहायता करती है।
संरक्षण स्थिति
- IUCN रेड लिस्ट: संकटमुक्त अर्थात् वर्तमान में यह प्रजाति विलुप्ति के खतरे में नहीं है किंतु इसके वासस्थान में निरंतर मानवीय हस्तक्षेप इसे भविष्य में खतरे में डाल सकता है।
- यह प्रजाति पश्चिमी घाट की जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन की द्योतक है। इसका संरक्षण वर्षावन पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता के लिए आवश्यक है।