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समुद्री बचाव समन्वय केंद्र 

संदर्भ

हाल ही में, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा कोलंबो में अत्याधुनिक ‘समुद्री बचाव समन्वय केंद्र’ (MRCC) स्थापित करने के लिये भारत और श्रीलंका ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इसके लिये भारत ने श्रीलंका को $6 मिलियन का अनुदान प्रदान करने का निर्णय लिया है। 

समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (MRCC)

  • एम.आर.सी.सी. संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के तहत एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा है, जो आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया के उद्देश्य से समुद्री मार्गों की निगरानी करता है। इसमें संकट में फँसे जहाजों, लोगों के लिये बचाव कार्य एवं उनकी निकासी तथा पर्यावरणीय आपदाओं की रोकथाम (जैसे- तेल रिसाव) आदि शामिल हैं।
  • प्रत्येक देश अपने ‘खोज अभियान एवं बचाव क्षेत्र’ (SRR) के लिये जिम्मेदार है। प्रत्येक देश में नौसेना या तटरक्षक बल द्वारा एम.आर.सी.सी. के कार्य का समन्वय किया जाता है। इसके लिये भारत में समन्वयक एजेंसी ‘तटरक्षक बल’ (Coast Guard) है, जबकि श्रीलंका में यह कार्य नौसेना करती है। ।

श्रीलंका की क्षमता में वृद्धि

  • बेंगलुरू स्थित बी.ई.एल. ने उन्नत सॉफ्टवेयर प्रणाली स्थापित करके श्रीलंका के छोटे एम.आर.सी.सी. में वृद्धि का प्रस्ताव दिया है, जो हिंद महासागर में श्रीलंका को अपने एस.आर.आर. में संचार और समन्वय में सक्षम बनाएगा। इस समुद्री क्षेत्र में श्रीलंका प्रमुख एवं सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाला देश है।
  • यह उन्नत एम.आर.सी.सी. कोलंबो स्थित श्रीलंकाई नौसेना के मुख्यालय में कार्य करेगा और श्रीलंका के समुद्री तटों पर इसके अन्य आठ उप-केंद्र स्थापित किये जाने का प्रस्ताव है, जिसका एक उप-केंद्र हंबनटोटा में होगा। यहाँ चीन के स्वामित्व वाली एक कंपनी गहरे जल वाले एक बंदरगाह (Deep Water Port) का संचालन करती है, जिसे वर्ष 2016 में चीन को पट्टे पर दिया गया था। 

सागर पहल से प्रेरणा

  • श्रीलंका का एस. आर.आर. हिंद महासागर में 1,778,062.24 वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तृत है और लगभग 200 जहाज प्रतिदिन इन क्षेत्र से गुजरते हैं।
  • यह समझौता हिंद महासागर में भारत के ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region- क्षेत्र में सभी की सुरक्षा एवं विकास) पहल का हिस्सा प्रतीत होता है। इससे भारत, श्रीलंका और मालदीव की अगुवाई में वर्ष 2011 में प्रारंभ कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) में अब मॉरीशस भी शामिल हो गया है।
  • सी.एस.सी. की हालिया बैठक में सहयोग के ‘पाँच स्तंभों’ की पहचान की गई है-
    • समुद्री रक्षा एवं सुरक्षा
    • आतंकवाद और कट्टरपंथ का मुकाबला करना
    • अवैध व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध का मुकाबला करना
    • साइबर सुरक्षा, महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी की सुरक्षा 
    • मानवीय सहायता और आपदा राहत।
  • एम.आर.सी.सी. की स्थापना इस क्षेत्र में संकटग्रस्त जहाजों की खोज और बचाव सेवाओं को तुरंत प्रतिक्रिया देने और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुपालन में पोत सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये अत्यधिक आवश्यक है। 

      समझौते का महत्त्व

      • यह समझौता हिंद महासागर क्षेत्र के उस हिस्से में दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है, जो विगत एक दशक से भारत-चीन प्रतिद्वंद्विता का केंद्र बन गया है। मार्च 2022 की शुरुआत में भारत ने श्रीलंकाई नौसेना को एक नौसैनिक फ्लोटिंग डॉक (Floating Dock) और श्रीलंकाई वायु सेना को दो डोर्नियर विमान प्रदान किये हैं।
      • साथ ही, भारतीय नौसेना का एक दल श्रीलंका की वायु सेना और नौसेना को हेलीकॉप्टर संचालन प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। इसके अलावा, दोनों देशों की नौसेनाओं ने कोलंबो से लगे समुद्री क्षेत्र में एक संयुक्त अभ्यास किया, जिसमें भारतीय नौसेना के पोत ‘शारदा’ और श्रीलंका के ओ.पी.वी. सयूराला (OPV Sayurala) ने हिस्सा लिया।
      • दोनों देशों की सेनाओं के बीच जुड़ाव से हिंद महासागर क्षेत्र में तस्करी रोधी अभियानों जैसी अंतर्संचालनीय और निर्बाध समुद्री कार्रवाइयों को बल मिलेगा।
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