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अंतरिक्ष का सैन्यीकरण और शस्त्रीकरण (Militarisation and Weaponization OF SPACE)

प्रारम्भिक परीक्षा: बाह्य अंतरिक्ष संधि (Outer Space Treaty),1967
मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र:3- अंतरिक्ष। 

संदर्भ 

  • हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष संघ (ISA) एवं रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के सहयोग से नई दिल्ली में  "भारतीय रक्षा अंतरिक्ष संगोष्ठी 2023" का आयोजन किया गया।
  • इस दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने अंतरिक्ष का सैन्यीकरण, शस्त्रीकरण की दिशा में लगातार प्रगति की बात की। 

महत्त्वपूर्ण बिन्दु 

  • संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन तथा रूस जैसे देश अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिये बाह्य अंतरिक्ष के सैन्यीकरण एवं शस्त्रीकरण (Militarisation and Weaponization) के साथ बाह्य अंतरिक्ष पर हावी होने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।
  • ऐसे में बाह्य अंतरिक्ष में हो रही गतिविधियों को ध्यान में रखना भारत के लिए आवश्यक हो जाता है।  

अंतरिक्ष का सैन्यीकरण

  • अंतरिक्ष के सैन्यीकरण के अंतर्गत जल ,थल और वायु-आधारित सैन्य अभियानों के समर्थन में अंतरिक्ष का उपयोग करना शामिल होता है।
    • जैसे कमान, नियंत्रण, संचार, निगरानी और टोही गतिविधियों के लिए अंतरिक्ष-आधारित संपत्तियों का उपयोग करना।

अंतरिक्ष का शस्त्रीकरण

  • इसके अंतर्गत ऐसे अंतरिक्ष-आधारित उपकरणों को कक्षा में स्थापित करना, जिनमें विनाशकारी क्षमता हो।
  • अंतरिक्ष के शस्त्रीकरण के माध्यम से बाह्य अंतरिक्ष, स्वयं में ही युद्धक्षेत्र बन जाता है।
    • जैसे दुश्मन के उपग्रहों पर हमला करने के इरादे से कक्षीय या उप-कक्षीय उपग्रहों की नियुक्ति, दुश्मन के उपग्रहों से भेजे गए संकेतों को जाम करना।

बाह्य अंतरिक्ष के सैन्यीकरण और शस्त्रीकरण की अवधारणा

  • 1980 के दशक की शुरुआत में ‘सामरिक रक्षा पहल’ (SDI) के माध्यम से बाह्य अन्तरिक्ष में सैन्यीकरण की शुरुआत हुई, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका के ‘स्टार वार्स कार्यक्रम’ के रूप में भी जाना जाता है।
  • इसके अंतर्गत बड़ी संख्या में उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करना शामिल था, जिससे दुश्मन की मिसाइलों के प्रक्षेपण का पता लगाकर उन्हें मार गिराया जा सके।

अंतरिक्ष शस्त्रीकरण क्यों?

  • युद्ध के सभी मोर्चों पर सैन्य वर्चस्व स्थापित करने की इच्छा।
  • अंतरिक्ष वर्चस्व युद्ध के अन्य क्षेत्रों जैसे जल, थल और वायु का पूरक है।

हानि क्या है?

  • वैज्ञानिक और वाणिज्यिक अन्वेषणों का दायरा सीमित हो सकता है।
  • अंतरिक्ष मलबे की समस्या बढ़ सकती है।
  • एंटी-सैटेलाइट मिसाइलें बाह्य अंतरिक्ष में उपग्रहों को नष्ट कर सकती हैं , जिससे वैश्विक संचार प्रणाली में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

अंतरिक्ष शक्ति की दौड़ में भारत कहाँ है ?

  • वर्ष 2019 में भारत सरकार द्वारा रक्षा अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (DSRO) और रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (DSA) की स्थापना की गई।
  • वर्ष 2019 में भारत ने अपना पहला सिमुलेटेड स्पेस वारफेयर अभ्यास ‘इंडस्पेसएक्स' (IndSpaceX) का आयोजन किया । 
  • वर्ष 2019 में ही मिशन शक्ति (एंटी-सैटेलाइट) के सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया।
  • वर्ष 2020 में भारत द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी अभिकर्त्ता को प्रोत्साहित करने के लिये अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत एक स्वतंत्र नोडल एजेंसी ‘IN-SPACe’ का निर्माण किया गया। 

सैन्यीकरण का वैश्विक परिदृश्य 

संयुक्त राज्य अमेरिका 

  • ‘स्पेस फोर्स’ नामक नया सैन्य विभाग गठित किया गया। 

रूस 

  • अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट कॉर्प्स की तैनाती की जाने की योजना है।  

फ्राँस  

  • वर्ष 2021 में अपना पहला अंतरिक्ष सैन्य अभ्यास एस्टरएक्स (AsterX) आयोजित किया गया।

चीन 

  • तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन (Tiangong Space Station) का निर्माण किया गया।  
  • वर्ष 2024 तक सीस-लूनर स्पेस में चंद्रमा पर अपनी स्थायी उपस्थिति स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। 

अंतरिक्ष से संबंधित वैश्विक नियम 

वर्ष 1967 - बाह्य अंतरिक्ष संधि(Outer Space Treaty) 

  • इसके सदस्य देशों को बाह्य अंतरिक्ष का प्रयोग शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये करने की अनुमति प्रदान की गई है।  
  • इस संधि के अंतर्गत बाह्य कक्षा में जनसंहारक हथियार तैनात करने पर रोक है।
  • इस संधि के अंतर्गत चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों का उपयोग सभी देशों द्वारा विशेष रूप से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये किया जाएगा।
  • भारत इस संधि का एक पक्षकार देश है।

आगे का रास्ता

  • एक मजबूत कानूनी ढांचे की आवश्यकता 
  • मौजूदा अंतरिक्ष कानूनों पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण
  • सभी राष्ट्रों के लिए बाह्य अंतरिक्ष तक वैध पहुंच और बिना किसी भेदभाव के प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी तक पहुंच के प्रावधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

निष्कर्ष 

  • अंतरिक्ष का अनियंत्रित एवं अविनियमित शस्त्रीकरण और सैन्यीकरण न केवल अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिये बल्कि संचार, नेविगेशन, प्रसारण और रिमोट सेंसिंग जैसी महत्त्वपूर्ण नागरिक अंतरिक्ष-आधारित अवसंरचनात्मक सेवाओं के लिये भी गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकता है।

डेली अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न. बाह्य अंतरिक्ष संधि(Outer Space Treaty) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 

  1. इस संधि के अंतर्गत चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों का उपयोग सभी देशों द्वारा विशेष रूप से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये किया जाएगा।
  2. यह संधि बाह्य कक्षा में जनसंहारक हथियारों की तैनाती पर रोक लगाती है।
  3. भारत इस संधि का एक पक्षकार देश है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) 1 और 2 दोनों
(b) केवल 2
(c) केवल 1
(d) उपरोक्त सभी 

उत्तर: d

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