(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ व मंच) |
संदर्भ
अमेरिका ने गुप्त रूप से रूस–यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए एक 28-बिंदु शांति प्रस्ताव यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की को सौंपा है।
क्या है 28-बिंदु शांति योजना
यह अमेरिका द्वारा तैयार किया गया एक शांति-रोडमैप है जिसका उद्देश्य रूस–यूक्रेन युद्ध को बातचीत के माध्यम से समाप्त करना है। इसमें सुरक्षा गारंटी, संवैधानिक बदलाव, आर्थिक सहायता और भौगोलिक क्षेत्रों पर समझौते जैसी शर्तें शामिल हैं।
प्रमुख लक्ष्य
- युद्ध को मौजूदा सीमाओं पर फ्रीज़ करना
- रूस एवं नाटो के बीच तनाव कम करना और नाटो विस्तार को सीमित करना
- यूक्रेन के पुनर्निर्माण के लिए पश्चिमी निवेश जुटाना

मुख्य विशेषताएँ
1. सुरक्षा ढांचा
- यूक्रेन को नाटो में शामिल होने का प्रयास छोड़ना होगा।
- यह नीति यूक्रेन के संविधान में शामिल की जाएगी।
- यूक्रेन की सेना का आकार घटाकर 6 लाख सैनिकों तक सीमित किया जाएगा।
- नाटो को भी अपने नियमों में यह जोड़ना होगा कि यूक्रेन को भविष्य में भी सदस्यता नहीं दी जाएगी।
- नाटो सैनिकों की तैनाती यूक्रेन की धरती पर प्रतिबंधित होगी।
2. क्षेत्रीय एवं राजनीतिक समझौते
- क्रीमिया, लुहान्स्क एवं डोनेट्स्क जैसे क्षेत्र ‘व्यवहारिक रूप से रूसी नियंत्रण’ के रूप में मान्य होंगे।
- खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया क्षेत्रों में मौजूदा नियंत्रण रेखा को फ्रीज़ किया जाएगा।
- रूस पाँच प्रशासनिक प्रभागों (Oblast- एक प्रकार का प्रशासनिक प्रभाग या क्षेत्र) को छोड़कर कब्जा किए गए अन्य क्षेत्रों से पीछे हटेगा।
- दोनों देशों के बीच 30 वर्षों की ‘अस्पष्टताओं को दूर’ करने के लिए वार्ता होगी।
3. यूक्रेन के पुनर्निर्माण की आर्थिक व्यवस्था
- एक यूक्रेन डेवलपमेंट फंड बनाया जाएगा जिसमें तकनीक, ऊर्जा, AI, बुनियादी ढाँचा और खनिज संसाधनों के विकास पर निवेश होगा।
- अमेरिका की योजना के अनुसार 100 अरब डॉलर की रूसी जमा संपत्तियों का उपयोग यूक्रेन के पुनर्निर्माण में किया जाएगा।
- इस निवेश पर होने वाले मुनाफे का 50% हिस्सा अमेरिका को मिलेगा।
- यूरोपीय संघ भी 100 अरब डॉलर का पैकेज जोड़ेगा।
4. रूस का वैश्विक पुनर्एकीकरण
- यदि शांति कायम रहती है तो रूस पर लगे प्रतिबंध धीरे-धीरे हटाए जाएंगे।
- रूस को फिर से G8 समूह में शामिल किया जा सकता है।
- ऊर्जा, दुर्लभ खनिज, आर्कटिक परियोजनाओं और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर अमेरिका-रूस दीर्घकालिक सहयोग बढ़ाया जाएगा।
5. सुरक्षा गारंटी
- अमेरिका ने एक अलग 3-बिंदु की सुरक्षा योजना भी साझा की है।
- इसमें कहा गया है कि अगले 10 वर्षों तक यूक्रेन को नाटो-स्तर की सुरक्षा सहायता दी जाएगी।
- यदि रूस ने यूक्रेन पर दोबारा हमला किया तो संयुक्त सैन्य कार्रवाई, खुफिया सहायता, आर्थिक प्रतिबंध, राजनयिक उपाय तुरंत लागू किए जाएंगे और सभी लाभ वापस ले लिए जाएंगे।
रूस और यूक्रेन की प्रतिक्रिया
- रूस की प्रतिक्रिया
- क्रेमलिन ने इस प्रस्ताव को सकारात्मक बताया है।
- रूस को आर्थिक पुनर्प्रवेश और क्षेत्रीय मान्यता मिलने के कारण वह प्रस्ताव को व्यावहारिक विकल्प मान रहा है।
- यूक्रेन की स्थिति
- यूक्रेन को अपनी भूमि सौंपनी होगी और नाटो छोड़ना होगा; जिसे स्वीकार करना कठिन लग रहा है।
- ज़ेलेंस्की ने अभी सार्वजनिक रूप से कोई अंतिम रुख नहीं लिया है।
योजना का महत्व
- यह युद्ध शुरू होने के बाद से अमेरिका का सबसे व्यापक व विस्तृत शांति प्रस्ताव है।
- इससे यूरोपीय सुरक्षा, रूस-नाटो संबंध और यूक्रेन की संप्रभुता पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
- आलोचकों का कहना है कि यह प्रस्ताव रूस के पक्ष में अधिक झुका हुआ है और यूक्रेन की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करता है।
भारत के लिए संभावित लाभ
- रूस पर प्रतिबंध हटने से भारत को सस्ता और स्थिर कच्चा तेल व गैस आसानी से मिल सकेगी, जिससे ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी।
- भारत–रूस व्यापार पर लगने वाले शुल्क एवं प्रतिबंध घटने से फार्मा, कृषि, मशीनरी व IT क्षेत्रों में भारतीय निर्यात तेज़ी से बढ़ेगा।
- रक्षा सहयोग सुचारू हो जाएगा; स्पेयर पार्ट्स, संयुक्त उत्पादन और S-400/Su-30 जैसे प्रोजेक्ट बिना रुकावट आगे बढ़ सकेंगे।
- बैंकिंग व भुगतान प्रणाली सरल होगी, रुपया–रूबल व्यापार फिर सक्रिय होकर लेन-देन की लागत कम करेगा।
- रूस के खनिज, ऊर्जा, आर्कटिक प्रोजेक्ट और उत्तरी समुद्री मार्ग तक भारत की पहुँच बढ़ने से अर्थव्यवस्था व लॉजिस्टिक्स दोनों को बड़ा लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष
28-बिंदु शांति योजना युद्ध समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण परंतु विवादास्पद दस्तावेज़ है। यह रूस–यूक्रेन–अमेरिका–यूरोप के भू-राजनीतिक समीकरणों को बदल सकता है किंतु इसकी कीमत यूक्रेन को क्षेत्रीय त्याग व नाटो जैसी सुरक्षा विकल्पों को छोड़ने के रूप में चुकानी पड़ सकती है। अब प्रश्न यह है कि क्या यूक्रेन ऐसा समझौता स्वीकार कर सकता है?