(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय व चुनौतियाँ) |
संदर्भ
कर्नाटक सरकार ने हाल ही में मेकेदातु जलाशय परियोजना पर संशोधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) केंद्र को भेजने का निर्णय लिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर चुनौती आवेदन को ‘असंगत’ बताते हुए खारिज कर दिया, जिससे परियोजना की प्रारंभिक जांच का मार्ग साफ हो गया है। यह मुद्दा कावेरी नदी जल-वितरण विवाद से गहराई से जुड़ा हुआ है।
क्या है मेकेदातु परियोजना

- कर्नाटक राज्य सरकार मेकेदातु में 9,000 करोड़ रुपए की लागत से एक ‘बैलेंसिंग रिजर्वायर’ बनाना चाहती है।
- बैलेंसिंग रिजर्वायर (संतुलन जलाशय) एक ऐसा भंडारण टैंक है जो जल वितरण प्रणालियों में जल प्रवाह को नियंत्रित करता है।
- यह जलाशय 67.16 TMC पानी संग्रहित करेगा और लगभग 400 मेगावॉट हाइड्रो पावर उत्पादन की क्षमता भी रखेगा।
- इस परियोजना से लगभग 4,996 हेक्टेयर भूमि डूब जाएगी, जिसमें 4,800 हेक्टेयर वनभूमि शामिल है।
- इस परियोजना से बेंगलुरु में पेयजल की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
- यह विचार वर्ष 1948 में रखा गया था किंतु हाल के वर्षों में बेंगलुरु में जल की कमी के कारण परियोजना में तेज़ी आई है।
विवाद का कारण
- कावेरी नदी जल-विवाद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ने दोनों राज्यों के बीच अविश्वास पैदा किया है।
- तमिलनाडु का आरोप है कि कर्नाटक प्राय: जून से सितंबर के बीच तय मात्रा में पानी नहीं छोड़ता है।
- तमिलनाडु को आशंका है कि बाँध बनने के बाद कर्नाटक आवश्यकता से अधिक जल रोक कर अपनी सुविधा अनुसार उसे छोड़ेगा।
- कर्नाटक का कहना है कि यह परियोजना उसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए 4.75 TMC अतिरिक्त पानी के उपयोग में मदद करेगी और तमिलनाडु को भी तय मात्रा में जल देना आसान बनाएगी।
परियोजना का महत्त्व
- वर्ष 2024 में बेंगलुरु में भारी जल-संकट देखने को मिला।
- शहर को 2,600 मेगालीटर प्रति दिन (MLD) पानी की जरूरत थी जबकि केवल 2,100 MLD उपलब्ध था।
- मौजूदा समय में बेंगलुरु 1,450 MLD कावेरी से और 650 MLD भूजल से प्राप्त करता है।
- शहर की जनसंख्या 13 मिलियन से 6 वर्षों में 20 मिलियन होने का अनुमान है। तब पानी की आवश्यकता 4,000 MLD हो जाएगी।
- किंतु सर्वोच्च न्यायालय ने बेंगलुरु के लिए केवल 370 MLD (4.75 TMC) जल सुनिश्चित किया है।
अन्य विकल्प
- भारतीय विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञ टी.वी. रामचंद्र का कहना है कि बेंगलुरु में 700–850 mm वार्षिक वर्षा होती है जिससे लगभग 15 TMC जल प्राप्त हो सकता है।
- पुनर्नवीनीकृत जल से 16 TMC अतिरिक्त जल उपलब्ध हो सकता है। इस प्रकार जल संकट के समाधान अन्य तरीकों से भी संभव हैं।
केंद्र सरकार का रुख
- कर्नाटक ने वर्ष 2019 में DPR केंद्रीय जल आयोग (CWC) को भेजी थी।
- पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने कहा कि यह अंतर-राज्यीय मामला है, इसलिए दोनों राज्यों के बीच सौहार्दपूर्ण समाधान आवश्यक है।
- फरवरी 2024 में CWMA ने परियोजना पर चर्चा के बाद इसे आगे जांच के लिए CWC को वापस भेजा।
निष्कर्ष
मेकेदातु बाँध परियोजना केवल एक जलाशय निर्माण का मामला नहीं है बल्कि कावेरी जल-वितरण के दशकों पुराने विवाद का संवेदनशील हिस्सा है। बेंगलुरु की भविष्य की जल-आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक इसका समर्थन कर रहा है, वहीं तमिलनाडु को डर है कि इससे पानी रोकने की क्षमता बढ़ेगी और उसके हिस्से का जल प्रभावित होगा।
अंततः, इस विवाद का समाधान दोनों राज्यों के बीच विश्वास, पारदर्शिता व केंद्र की मध्यस्थता से ही संभव है।