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खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023

प्रारंभिक परीक्षा - समसामयिकी
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 1 और 3

संदर्भ-

  • संसद ने 2 अगस्त 2023 को खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 पारित कर दिया, जो निजी क्षेत्र को लिथियम सहित प्रमुख परमाणु खनिजों और सोना, चांदी, तांबा और जस्ता सहित गहरे खनिजों के खनन की अनुमति देगा।

मुख्य बिंदु-

  • खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023  को 26 जुलाई, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया था ।
  • इसे राज्यसभा में 2 अगस्त 2023 को पारित किया गया।
  • यह विधेयक खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन करता है।
  • हालांकि इसके पूर्व भी खनिज क्षेत्र में सुधार लाने के लिए ‘खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम’ (MMDR Act, 1957) को 2015 में व्यापक रूप से संशोधित किया गया था।
  •  विशेष रूप से कल्याण के लिए ‘जिला खनिज फाउंडेशन’ (DMF) की स्थापना और खनिज संसाधनों के आवंटन में पारदर्शिता लाने के लिए खनिज रियायतें देने के लिए नीलामी की विधि को अनिवार्य किया गया था।
  •  खनन से प्रभावित लोगों तथा क्षेत्रों के लिए और अन्वेषण पर जोर देने और अवैध खनन के लिए कड़े दंड को सुनिश्चित करने के लिए ‘राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट’ (NMET) की स्थापना किया गया था। 
  • विशिष्ट आकस्मिक मुद्दों के लिए अधिनियम को 2016 और 2020 में संशोधित किया गया था और आखिरी बार 2021 में इस क्षेत्र में और सुधार लाने के लिए संशोधन किया गया था, जैसे कि कैप्टिव और मर्चेंट खानों के बीच अंतर को दूर करना, खनन कार्यों में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए वैधानिक मंजूरी का हस्तांतरण।
  •  पट्टेदार के परिवर्तन के साथ ही खनिज रियायतों के हस्तांतरण पर प्रतिबंध हटाना, गैर-नीलामी रियायत धारकों के अधिकारों को समाप्त करना, जिनके परिणामस्वरूप खनन पट्टे नहीं मिले हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि निजी क्षेत्र को रियायतें केवल नीलामी के माध्यम से दी जाती हैं आदि।

खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 के बारे में-

1. छः खनिज प्रतिबंधित सूची से बाहर-

  • अधिनियम की पहली अनुसूची के भाग-बी में निर्दिष्ट परमाणु खनिजों का खनन और अन्वेषण केवल सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से किया जा रहा है। इसलिए इन खनिजों की खोज और खनन बहुत सीमित है। 
  • विधेयक में कुछ खनिजों को परमाणु खनिजों की सूची से हटाने का प्रावधान है, जिनमें लिथियम, बेरिलियम, टाइटेनियम, नाइओबियम, टैंटलम और ज़िरकोनियम  प्रमुख हैं।
  • इन खनिजों को परमाणु खनिजों की सूची से हटाने पर, इनका खोज और खनन निजी क्षेत्र के लिए खुला हो जाएगा। 

2. केंद्र सरकार को सशक्त बनाना-

  • यह विधेयक केंद्र सरकार को कुछ महत्वपूर्ण खनिजों के लिए विशेष रूप से खनन पट्टे और मिश्रित लाइसेंस की नीलामी करने का अधिकार देना है।
  •  मोलिब्डेनम, रेनियम, टंगस्टन, कैडमियम, इंडियम, गैलियम, ग्रेफाइट, वैनेडियम, टेल्यूरियम, सेलेनियम, निकल, कोबाल्ट, टिन, प्लैटिनम समूह के तत्व, "दुर्लभ पृथ्वी" समूह के खनिज (यूरेनियम और थोरियम शामिल नहीं); उर्वरक खनिज जैसे पोटाश, ग्लौकोनाइट और फॉस्फेट (यूरेनियम के बिना) और खनिजों को परमाणु खनिजों की सूची से हटाया जा रहा है।
  • भले ही नीलामी केंद्र सरकार द्वारा आयोजित की जाएगी, किंतु सफल बोलीदाताओं को इन खनिजों के लिए खनन पट्टा या मिश्रित लाइसेंस केवल राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा और नीलामी प्रीमियम और अन्य वैधानिक भुगतान राज्य सरकार को प्राप्त होते रहेंगे।

3. अन्वेषण लाइसेंस का परिचय-

  • हालांकि खनन और अन्वेषण क्षेत्र में स्वचालित मार्ग के माध्यम से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति है, किंतु वर्तमान में इन क्षेत्रों में कोई महत्वपूर्ण एफडीआई प्राप्त नहीं हुआ है।
  • विधेयक में एक नई खनिज रियायत, अर्थात् अन्वेषण लाइसेंस (ईएल) देने का प्रावधान किया गया है। 
  • नीलामी के माध्यम से दिया गया अन्वेषण लाइसेंस लाइसेंसधारक को अधिनियम की नई प्रस्तावित सातवीं अनुसूची में उल्लिखित महत्वपूर्ण और गहरे खनिजों के लिए टोही और पूर्वेक्षण संचालन करने की अनुमति देगा।

4. अन्वेषण लाइसेंस के लिए नीलामी-

  • अन्वेषण लाइसेंस राज्य सरकार द्वारा प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से प्रदान किया जाएगा।
  •  केंद्र सरकार नियमों के माध्यम से अन्वेषण लाइसेंस के लिए नीलामी के तरीके, नियम और शर्तें और बोली पैरामीटर जैसे विवरण निर्धारित करेगी।
  • अन्वेषण लाइसेंस के लिए पसंदीदा बोली लगाने वाले का चयन खनन पट्टा (एमएल) धारक द्वारा देय नीलामी प्रीमियम में हिस्सेदारी के लिए रिवर्स बोली के माध्यम से किया जाएगा।
  •  न्यूनतम प्रतिशत बोली लगाने वाले बोलीदाता को अन्वेषण लाइसेंस के लिए पसंदीदा बोलीदाता माना जाएगा। 
  • अन्वेषण लाइसेंस धारक द्वारा खोजे गए ब्लॉकों को खनन पट्टे के लिए सीधे नीलाम किया जा सकता है, जिससे राज्य सरकारों को बेहतर राजस्व मिलेगा।
  •  पट्टा धारक द्वारा देय नीलामी प्रीमियम में हिस्सा मिलने से अन्वेषण एजेंसी को भी लाभ होगा।

5. अन्वेषण लाइसेंसधारी के लिए प्रोत्साहन- 

  • यदि अन्वेषण के बाद संसाधन मिल जाते हैं, तो राज्य सरकार को अन्वेषण लाइसेंसधारी द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के छह महीने के भीतर खनन पट्टे के लिए नीलामी आयोजित करनी होगी। 
  • लाइसेंसधारक को उनके द्वारा संभावित खनिज के लिए खनन पट्टे के नीलामी मूल्य में एक हिस्सा प्राप्त होगा। 
  • हिस्सेदारी केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी। 
  • यदि राज्य सरकार निर्धारित अवधि के भीतर खनन पट्टे की नीलामी पूरी नहीं करती है, तो राज्य सरकार अन्वेषण लाइसेंसधारी को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित राशि का भुगतान करेगी।

6. केंद्र सरकार द्वारा कुछ खनिजों की नीलामी-

  • अधिनियम के तहत कुछ निर्दिष्ट मामलों को छोड़कर, रियायतों की नीलामी राज्य सरकारों द्वारा की जाती है।
  • विधेयक में कहा गया है कि निर्दिष्ट महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के लिए समग्र लाइसेंस और खनन पट्टे की नीलामी केंद्र सरकार द्वारा आयोजित की जाएगी। 
  • इन खनिजों में लिथियम, कोबाल्ट, निकल, फॉस्फेट, पोटाश, टिन, फॉस्फेट और पोटाश शामिल हैं। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से अभी भी रियायतें दी जाएंगी।

7. अन्वेषण लाइसेंस की वैधता-

  • अन्वेषण लाइसेंस पांच साल के लिए जारी किया जाएगा। 
  • एक लाइसेंसधारी राज्य सरकार को आवेदन देकर दो साल तक के विस्तार का अनुरोध कर सकता है। 
  • आवेदन लाइसेंस जारी होने के तीन साल बाद लेकिन उसकी समाप्ति से पहले किया जा सकता है।

8. अधिकतम क्षेत्र जिसमें गतिविधियों की अनुमति है-

  • अधिनियम के तहत, एक पूर्वेक्षण लाइसेंस 25 वर्ग किलोमीटर तक के क्षेत्र में गतिविधियों की अनुमति देता है और एक एकल टोही परमिट 5,000 वर्ग किलोमीटर तक के क्षेत्र में गतिविधियों की अनुमति देता है। 
  • विधेयक 1,000 वर्ग किलोमीटर तक के क्षेत्र में एकल अन्वेषण लाइसेंस के तहत गतिविधियों की अनुमति देता है। 
  • पहले तीन वर्षों के बाद लाइसेंसधारी को मूल रूप से अधिकृत क्षेत्र का 25% तक बनाए रखने की अनुमति होगी।
  • लाइसेंसधारी को क्षेत्र को अपने पास रखने के कारणों को बताते हुए राज्य सरकार को एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी होगी।

9. भूवैज्ञानिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना-

  • संचालन पूरा होने या अन्वेषण लाइसेंस की समाप्ति के तीन महीने के भीतर लाइसेंसधारक को निष्कर्षों के संबंध में एक भूवैज्ञानिक रिपोर्ट जमा करनी होगी।

समीक्षा- 

  • हालाँकि, खनिज क्षेत्र को विशेष रूप से महत्वपूर्ण खनिजों की खोज और खनन को बढ़ाने के लिए कुछ और सुधारों की आवश्यकता है जो देश में आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
  • महत्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता की कमी या कुछ भौगोलिक स्थानों में उनके निष्कर्षण या प्रसंस्करण के संकेंद्रण से  आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। 
  • भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था उन प्रौद्योगिकियों पर आधारित होगी जो लिथियम, ग्रेफाइट, कोबाल्ट, टाइटेनियम और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों जैसे खनिजों पर निर्भर हैं। 
  • ऊर्जा परिवर्तन और 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को देखते हुए महत्वपूर्ण खनिजों का महत्व बढ़ गया है।
  • तदनुसार, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 को अधिनियमित करके खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया था। 
  • परमाणु खनिजों के रूप में सूचीबद्ध कई खनिजों में कई गैर-परमाणु अनुप्रयोग हैं। 
  • ज्यादातर मामलों में, इन खनिजों का गैर-परमाणु उपयोग उनके परमाणु उपयोग से कहीं अधिक है। 
  • देश की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए परमाणु खनिजों की सूची से हटाए जाने वाले प्रस्तावित खनिजों की खोज और उत्पादन को सख्ती से बढ़ाने की आवश्यकता है, जिसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी कई गुना बढ़ सकती है। 
  • इन खनिजों की खोज और खनन गतिविधियों में विस्तार के परिणामस्वरूप परमाणु क्षेत्र में भी उनकी उपलब्धता बढ़ेगी।
  • विधेयक में कुछ खनिजों को परमाणु खनिजों की सूची से हटाने का प्रावधान है। 
  • इसी कारण लिथियम, बेरिलियम, टाइटेनियम, नाइओबियम, टैंटलम और ज़िरकोनियम जैसे खनिजों को परमाणु खनिजों की सूची से हटाने का प्रावधान है।
  • ये खनिज प्रौद्योगिकी और ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण हैं जिनका उपयोग अंतरिक्ष उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रौद्योगिकी और संचार, ऊर्जा क्षेत्र, इलेक्ट्रिक बैटरी में किया जाता है और भारत की शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्रतिबद्धता में महत्वपूर्ण हैं।
  • वर्तमान में, देश इनमें से अधिकांश महत्वपूर्ण खनिजों के लिए आयात पर निर्भर है क्योंकि मौजूदा कानूनी प्रावधानों के कारण इन खनिजों की अधिक खोज या खनन नहीं हो रहा है।
  • भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के कारण इन खनिजों का उच्च आर्थिक महत्व और आपूर्ति बहुत जोखिम भरा है।
  • विधेयक अधिनियम में एक नई खनिज रियायत, अर्थात् अन्वेषण लाइसेंस (ईएल) देने के प्रावधान पेश करता है।
  • नीलामी के माध्यम से दिया गया अन्वेषण लाइसेंस लाइसेंसधारक को अधिनियम की नई प्रस्तावित सातवीं अनुसूची में उल्लिखित महत्वपूर्ण और गहरे खनिजों के लिए टोही और पूर्वेक्षण संचालन करने की अनुमति देगा।
  • इस संशोधन से देश में एफडीआई और जूनियर खनन कंपनियों को आकर्षित करने के लिए अनुकूल कानूनी माहौल मिलने की उम्मीद है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न - खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक , 2023 निम्नलिखित में से किन तत्वों को परमाणु खनिजों की सूची से बाहर कर दिया गया है ?

  1. लिथियम          
  2. बेरिलियम       
  3. टाइटेनियम
  4. नाइओबियम     
  5. टैंटलम          
  6. ज़िरकोनियम

(a) 1,2,3

(b) 3,4,5,6

(c) 1,2,3,4,5,6

(d) 2,4,5,6

उत्तर- (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न - खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 किस प्रकार 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता में सहायक होगा? मूल्यांकन करें।

स्रोत – pib,prs

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