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राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक

प्रारंभिक परीक्षा – समसामयिकी, MPI, NFHS, SDG, नीति आयोग
मुख्य परीक्षा – सामान्य अध्ययन, पेपर-3

चर्चा में क्यों-

नीति आयोग ने 17 जुलाई 2023 को 'राष्ट्रीय बहु आयामी गरीबी सूचकांक' पर एक रिपोर्ट जारी किया ।

मुख्य बिंदु-

  • यह रिपोर्ट 2019-21 के नवीनतम 'राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण' के आधार पर तैयार किया गया है और 'यह राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक' (MPI) का दूसरा संस्करण है।
  • नवीनतम 'राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण' [NFHS-5 (2019-21)] के आधार पर 'राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक' (MPI) का यह दूसरा संस्करण दोनों सर्वेक्षणों, NHFS-4 (2015-16) औरNHFS-5 (2019-21) के बीच बहुआयामी गरीबी को कम करने में भारत की प्रगति को दर्शाता है।
  • इसे नवम्बर 2021 में लॉन्च किए गए भारत के MPI की बेसलाइन रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है।
  • अपनाई गई यह व्यापक कार्य पद्धति वैश्विक कार्य पद्धति के अनुरूप है।

रिपोर्ट के बारे में-

  • नीति आयोग ने 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों तथा 707 प्रशासनिक जिलों के लिए 'बहुआयामी गरीबी अनुमान' पर रिपोर्ट प्रस्तुत किया।
  • रिपोर्ट में बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेज़ कमी उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में देखी गई।
  • उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई और 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकल गये हैं।
  • केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ दिल्ली, केरल, गोवा और तमिलनाडु में बहुआयामी गरीबी का सामना करने वाले लोगों की संख्या सब से कम है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 और 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले।
  • रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में बहुआयामी गरीबों की संख्या में 9.89 प्रतिशत अंकों की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जो 2015-16 में 24.85% से घट कर 2019-2021 में 14.96% हो गई है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में सबसे तेज गिरावट हुई है और यह 32.59% से घटकर 19.28% हो गई है।
  • इसी अवधि के दौरान, शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65% से घटकर 5.27% हो गई है।
  • 2015-16 और 2019-21 के बीच, MPI मूल्य 0.117 से लगभग आधा होकर 0.066 हो गया है और गरीबी की तीव्रता 47% से घटकर 44% हो गई है।
  • इसके फलस्वरूप भारत 2030 की निर्धारित समय सीमा से काफी पहले SDG लक्ष्य 1.2 (बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधा कम करने का लक्ष्य) को हासिल करने के पथ पर अग्रसर है।
  • इससे सतत और सबका विकास सुनिश्चित करने और वर्ष 2030 तक गरीबी उन्मूलन पर सरकार का रणनीतिक फोकस और SDG के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का पालन परिलक्षित होता है।

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)-

  • राष्ट्रीय MPI स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभावों को मापता है, जो 12 SDG- संरेखित संकेत कों द्वारा दर्शाए जातेहैं।
  • इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्युदर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं।

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक में सुधार कैसे हुआ-

  • स्वच्छता, पोषण, खाना पकाने के ईंधन, वित्तीय समावेशन, पेयजल और बिजली तक पहुंच में सुधार पर सरकार के समर्पित फोकस से इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
  • MPI के सभी 12 मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
  • 'पोषण अभियान'और'एनीमिया मुक्त भारत' जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने स्वास्थ्य में अभावों को कम करने में योगदान दिया है।
  • 'स्वच्छ भारत मिशन' (SBM) और 'जल जीवन मिशन' (JJM) जैसी पहलों ने पूरे देश में स्वच्छता में सुधार किया है।
  • स्वच्छता अभावों में इन प्रयासों के प्रभाव के परिणामस्वरूप तेजी से और स्पष्ट रूप से 21.8% अंकों का सुधार हुआ है।
  • 'प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना' (PMUY) के माध्यम से सब्सिडी वाले खाना पकाने के ईंधन के प्रावधान ने खाना पकाने के ईंधन की कमी में 14.6 प्रतिशत अंक के सुधार के साथ जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।
  • 'सौभाग्य', 'प्रधानमंत्री आवास योजना' (PMAY), 'प्रधानमंत्री जन धन योजना' (PMJDY) और 'समग्र शिक्षा' जैसी पहलों ने भी देश में बहुआयामी गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • विशेष रूप से बिजली के लिए अत्यन्त कम अभाव दर, बैंक खातों तक पहुंच तथा पेय जल सुविधा के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त करना नागरिको के जीवन को बेहतर बनाने तथा सभी के लिए एक उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
  • आपस में अत्यधिक जुड़े हुए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों और पहलों के लगातार कार्यान्वयन से कई संकेतकों में होने वाले अभावों में उल्लेखनीय कमी आई है।

नीति आयोग-

  • आजादी के बाद USSR की तर्ज पर 1950 में योजना आयोग का गठन किया गया था।
  • 2014 में केंद्र सरकार ने योजना आयोग को भंग कर 1 जनवरी 2015 को नीति आयोग का गठन किया गया।
  • योजना आयोग की तरह नीति आयोग भी भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा बनाया गया।
  • ‘राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान ’यानी नीति आयोग सरकार के लिए एक थिंक टैंक के रूम में काम करता है।
  • नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधान मंत्री होते हैं।
  • अध्यक्ष के अलावा एक उपाध्यक्ष और एक कार्य कारी अधिकारी होता है। इनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
  • वर्तमान में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी और सीई ओबी.वी.आर. सुब्रमण्यम हैं।
  • नीति आयोग के अन्य सदस्य डॉ. वी.के. पॉल और डॉ. अरविंद विरमानी हैं।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न-हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

1. रिपोर्ट में बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेज़ कमी उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में देखी गई।
2. केरल में गरीबों की संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर- (a)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने में हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक को प्रगति का सूचक माना जा रहा है। परीक्षण कीजिए।

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