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भारत के लिए न्यूरोटेक्नोलॉजी में संभावनाएं

चर्चा में क्यों ?

भारत में ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) सहित उन्नत न्यूरोटेक्नोलॉजी पर हो रहे नवीन शोध, प्रायोगिक सफलताएँ और इनके नैदानिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत प्रयासों के चलते यह विषय चर्चा में है।


न्यूरोटेक्नोलॉजी क्या है ?

  • न्यूरोटेक्नोलॉजी ऐसी विज्ञान-आधारित तकनीकों का समूह है, जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र की गतिविधियों को रिकॉर्ड, विश्लेषित, नियंत्रित या उत्तेजित करने में सक्षम होती हैं। 
  • इसके केंद्र में ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) है, जो मस्तिष्क के विद्युत संकेतों को डिजिटल कमांड में बदलकर कंप्यूटर, रोबोटिक अंग, व्हीलचेयर और अन्य मशीनों को नियंत्रित कर सकता है। 
  • यह तकनीक लकवाग्रस्त रोगियों में संचार और गतिशीलता बहाल करने में सक्षम बनाती है और मानसिक स्वास्थ्य उपचार को अधिक लक्षित और प्रभावी बनाती है। 
  • BCI की तकनीक दो प्रकार की होती है-  गैर-आक्रामक और आक्रामक
  • गैर-आक्रामक उपकरण, जैसे EEG हेडसेट, मस्तिष्क की गतिविधियों को बाहरी सेंसर के माध्यम से मापते हैं जबकि आक्रामक तकनीक में प्रत्यारोपित इलेक्ट्रोड का उपयोग करके अधिक सटीक नियंत्रण हासिल किया जाता है। 
  • आज यह तकनीक मुख्य रूप से चिकित्सीय अनुप्रयोगों पर केंद्रित है, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव मनोरंजन, गेमिंग और मानव क्षमता विकास तक फैले हुए हैं।

भारत में आवश्यकता

  • भारत में तंत्रिका संबंधी रोगों का बोझ निरंतर बढ़ रहा है। स्ट्रोक, रीढ़ की चोट, पार्किंसंस रोग, मानसिक स्वास्थ्य विकार और डिमेंशिया जैसी स्थितियाँ जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं। इन रोगों के कारण व्यक्ति की गतिशीलता, उत्पादकता और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। 
  • न्यूरोटेक्नोलॉजी इन रोगों के प्रबंधन और पुनर्वास में नई दिशा प्रदान कर सकती है। यह तकनीक केवल रोगियों तक सीमित नहीं है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य उपचार को और अधिक सटीक और प्रभावी बनाकर दवा पर दीर्घकालिक निर्भरता को कम करने में भी सहायक हो सकती है। 
  • इसके अतिरिक्त, यह तकनीक भारत को AI, बायोटेक, रोबोटिक्स और स्वास्थ्य नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व के अवसर प्रदान करती है।

भारत में प्रगति

  • भारत में न्यूरोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है। IIT कानपुर ने स्ट्रोक रोगियों के लिए BCI आधारित रोबोटिक हाथ विकसित किया है, जो रोगियों की गतिशीलता बहाल करने में सहायक हो सकता है।
  • मानेसर स्थित राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र (NBRC) और बैंगलोर स्थित IISc के ब्रेन रिसर्च सेंटर ने उच्चस्तरीय तंत्रिका विज्ञान अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण आधार तैयार किया है। 
  • इसके अतिरिक्त, स्टार्टअप Dognosis कुत्तों के मस्तिष्क संकेतों का अध्ययन कर मानव कैंसर निदान में नए तरीकों के विकास पर काम कर रहा है। 
  • इन सभी प्रयासों से स्पष्ट होता है कि भारत इस क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार की दिशा में लगातार प्रगति कर रहा है और चिकित्सीय, तकनीकी और नवाचार के विभिन्न पहलुओं को जोड़ते हुए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी क्षमता विकसित कर रहा है।

वैश्विक परिदृश्य

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ न्यूरोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी हैं। अमेरिका की BRAIN Initiative® और Neuralink जैसी परियोजनाएँ लकवाग्रस्त रोगियों के मोटर फंक्शन को पुनर्स्थापित करने के लिए BCI तकनीकों के मानव-आधारित परीक्षण कर रही हैं। 
  • चीन का Brain Project (2016-2030) संज्ञानात्मक अनुसंधान, मस्तिष्क-प्रेरित AI और न्यूरोथेरेपी के विकास पर केंद्रित है। 
  • यूरोपीय संघ और चिली न्यूरोराइट्स और डेटा गोपनीयता से संबंधित अग्रणी कानून विकसित कर रहे हैं।
  • इन पहलुओं से भारत को वैश्विक सहयोग, प्रतिस्पर्धा और नीति-निर्माण के महत्वपूर्ण अवसर प्राप्त होते हैं।

भारत के लिए अवसर

  • न्यूरोटेक्नोलॉजी भारत के लिए स्वास्थ्य सेवा, मानसिक स्वास्थ्य, पुनर्वास और सामाजिक समावेशन में नई क्रांति का मार्ग खोल सकती है। 
  • यह तकनीक विकलांग व्यक्तियों को मुख्यधारा में पुनः शामिल करने, मानसिक स्वास्थ्य उपचार को अधिक प्रभावी बनाने और वैश्विक न्यूरोटेक उद्योग में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक भागीदारी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • भारत की वैज्ञानिक क्षमता, बायोमेडिकल डाटा, जीनोमिक विविधता और तकनीकी विशेषज्ञता इसे इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में सक्षम बनाती है।

चुनौतियाँ और नीतिगत आवश्यकताएँ: 

  • न्यूरोटेक्नोलॉजी के संवेदनशील स्वरूप के कारण नैतिक और कानूनी चुनौतियाँ भी हैं। 
  • मस्तिष्क-डेटा की गोपनीयता, उपयोगकर्ता की स्वतंत्रता तथा सहमति, सुरक्षा मानक और सैन्य या निगरानी के लिए संभावित दुरुपयोग को ध्यान में रखते हुए भारत को चरणबद्ध और जोखिम-आधारित नियामक ढांचा तैयार करना आवश्यक है। 
  • इसके अलावा सामाजिक और मानसिक प्रभावों का मूल्यांकन करते हुए ऐसी नीति बनाना जरूरी है जो नवाचार और नैतिकता के बीच संतुलन स्थापित कर सके।

निष्कर्ष

न्यूरोटेक्नोलॉजी आने वाले दशकों में मानव क्षमताओं, रोग प्रबंधन और राष्ट्रीय शक्ति के विकास में निर्णायक भूमिका निभाएगी। यदि भारत अनुसंधान, स्टार्टअप सहयोग, नीति निर्माण और वैश्विक साझेदारी को सुविचारित ढंग से आगे बढ़ाए, तो यह क्षेत्र उसे वैश्विक नेतृत्व और सामाजिक-आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। उचित नियमन और व्यापक जन-भागीदारी के साथ न्यूरोटेक्नोलॉजी भारत के भविष्य के लिए एक रणनीतिक संपत्ति बन सकती है।

प्रश्न. ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) का मुख्य कार्य क्या है ?

(a) मस्तिष्क संकेतों को डिजिटल कमांड में बदलकर मशीनों को नियंत्रित करना

(b) केवल मनोरंजन और गेमिंग के लिए मस्तिष्क गतिविधियों का अध्ययन करना

(c) प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान करना

(d) मस्तिष्क को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बदलना

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