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नव भारत साक्षरता कार्यक्रम

 (प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल)

चर्चा में क्यों

हाल ही में, केंद्र सरकार ने वर्ष 2022-23 से 2022-27 तक पाँच वर्षों के दौरान कार्यान्वयन के लिये ‘नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ (NILP) की घोषणा की है। 

प्रमुख बिंदु

  • इस प्रौढ़ शिक्षा के लिये एक नई योजना है। साथ ही, प्रौढ़ शिक्षा का नाम परिवर्तित करके सभी के लिए शिक्षा कर दिया गया है, जिसमें अब 15 वर्ष की आयु से अधिक के सभी लोगों को शिक्षा प्रदान की जाएगी। 
    • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 15 वर्ष एवं उससे अधिक आयु वर्ग में गैर-साक्षरों की कुल संख्या 25.76 करोड़ (पुरुष 9.08 करोड़, महिला 16.68 करोड़) है। 
  • इस कार्यक्रम का लक्ष्य मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता घटक के तहत पांच वर्षों के दौरान 5 करोड़ शिक्षार्थियों को कवर करने का लक्ष्य है।
  • वर्ष 2022-27 के लिये मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान का लक्ष्य ‘ऑनलाइन अध्यापन, शिक्षण एवं मूल्यांकन प्रणाली’ (OTLAS) का उपयोग करके 5 वर्ष तक प्रति वर्ष 1 करोड़ शिक्षार्थियों को शामिल करना है। 
  • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसके पाँच उद्देश्य हैं: 
    • मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान
    • महत्त्वपूर्ण जीवन कौशल  (वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, वाणिज्यिक कौशल, स्वास्थ्य देखभाल और जागरूकता सहित, शिशु देखभाल तथा शिक्षा एवं परिवार कल्याण)
    • व्यावसायिक कौशल विकास (स्थानीय रोजगार प्राप्त करने की दृष्टि से)
    • बुनियादी शिक्षा (प्रारंभिक, मध्य और माध्यमिक स्तर की समकक्षता सहित) 
  • सतत् शिक्षा (कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संस्कृति, खेल और मनोरंजन में समग्र प्रौढ़ शिक्षा पाठ्यक्रम के साथ-साथ स्थानीय शिक्षार्थियों के लिए रुचि या उपयोग के अन्य विषय, जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशल पर अधिक उन्नत सामग्री सहित)। 
  • इस योजना को ऑनलाइन मोड के माध्यम से स्वयंसेवा के माध्यम से लागू किया जाएगा। आसान पहुँच के लिये सभी सामग्री एवं संसाधन आसानी से सुलभ डिजिटल मोड, जैसे- टीवी, रेडियो, सेल फोन-आधारित फ्री/ओपन-सोर्स ऐप/पोर्टल आदि के माध्यम से पंजीकृत स्वयंसेवकों तक डिजिटल रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे। 
  • पाँच वर्षों के लिये एन.आई.एल.पी. का कुल बजट 1037.90 करोड़ रुपए है जिसमें केंद्र और राज्यों का हिस्सा 60:40 के अनुपात में है, जबकि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र एवं हिमालयी राज्यों के लिये यह अनुपात 90:10 है। 
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