प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी |
संदर्भ-
- 6 अक्टूबर,2023 को नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई और सभी के लिए मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की लड़ाई के लिए नरगिस मोहम्मदी(Narges Mohammadi) को 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार देने का फैसला किया है।
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मुख्य बिंदु-
- इंजीनियर से कार्यकर्ता बनी नरगिस मोहम्मदी वर्तमान में राज्य विरोधी प्रचार फैलाने और मानहानि के आरोप में ईरान में हिरासत में हैं।\
- अपनी घोषणा में समिति ने महसा अमिनी नामक एक युवा महिला की हत्या के खिलाफ ईरान में वर्ष,2022 के विरोध प्रदर्शन का भी उल्लेख किया, जब वह ईरान की नैतिकता पुलिस(morality police) की हिरासत में थी।
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इसमें कहा गया है कि विरोध प्रदर्शन का आदर्श वाक्य, 'ज़ान - ज़ेंडेगी - आज़ादी (महिला - जीवन - स्वतंत्रता)' ‘Zan – Zendegi – Azadi (Woman – Life – Freedom)’ नरगिस मोहम्मदी के समर्पण और काम को उपयुक्त रूप से व्यक्त करता है।
नरगिस मोहम्मदी के बारे में-
- 1972 में ईरान में जन्मीं मोहम्मदी वर्तमान में राज्य विरोधी प्रचार फैलाने और मानहानि के आरोप में वहां पुलिस हिरासत में हैं।
- मोहम्मदी और उनका परिवार लंबे समय से राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों में शामिल रही है, जिसकी शुरुआत ईरानी क्रांति से हुई थी।
- 1979 के आंदोलन के अंत में राजशाही गिर गई, जिसके परिणामस्वरूप ईरान एक इस्लामी गणराज्य बन गया।
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वह क़ज़्विन शहर में परमाणु भौतिकी का अध्ययन करने गईं। यहां उनकी मुलाकात अपने भावी पति ताघी रहमानी से भी हुई, जो राजनीतिक रूप से भी सक्रिय हैं।
सक्रियता की ओर मुड़ीं-
- मोहम्मदी ईरानी महिलाओं के अधिकारों से संबंधित मुद्दों, राजनीतिक प्रदर्शनकारियों को मौत की सजा और अन्य प्रकार की कठोर सजाओं के खिलाफ काम कर रही थीं और वह स्थानीय समाचार पत्रों में भी लिख रहीं थीं।
- मोहम्मदी ईरानी और उनके पति तेहरान में रहने चले गए, जहां उन्होंने एक फर्म में इंजीनियर के रूप में काम किया. लेकिन कुछ समय बाद सरकार के निर्देश पर उन्हें निकाल दिया गया।
- कुल मिलाकर, शासन ने उसे 13 बार गिरफ्तार किया, पांच बार दोषी ठहराया और कुल 31 साल जेल तथा 154 कोड़ों की सजा सुनाई।
- 2000 के दशक में वह ईरान में सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स में शामिल हो गईं, जिसकी स्थापना ईरानी वकील शिरीन एबादी ने मौत की सजा को खत्म करने के लिए की थी।
- एबादी को 2003 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली शिरीन एबादी पहली ईरानी महिला थीं।
- इबादी ईरान की पहली महिला न्यायाधीशों में से एक थीं और उन्होंने उन लोगों का बचाव करना शुरू किया जिन्हें अधिकारियों द्वारा सताया जा रहा था।
- महिलाओं और बच्चों के अधिकारों से संबंधित उनके कार्यों के लिए उन्हें जेल भी हुई थी।
- 2022 में मोहम्मदी ईरानी की पुस्तक 'व्हाइट टॉर्चर' प्रकाशित हुई।
- वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्रता के अधिकार के लिए लड़ती है और महिलाओं को नज़रों से दूर रहने और अपने शरीर को ढकने की आवश्यकता वाले नियमों के खिलाफ लड़ती है।
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प्रदर्शनकारियों द्वारा व्यक्त की गई स्वतंत्रता की माँगें न केवल महिलाओं पर, बल्कि पूरी आबादी पर लागू होती हैं।
पिछले पुरस्कार और मान्यता-
- मोहम्मदी को उनके काम के लिए अन्य प्रमुख पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है-
- 2022 में बीबीसी की दुनिया भर की 100 प्रेरक और प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल।
- मई, 2023 में 2023 PEN/बार्बी फ्रीडम टू राइट अवार्ड।
- 2023 का यूनेस्को/गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- 2023 का नोबेल का शांति पुरस्कार शिरीन एबादी को मिला।
- शिरीन एबादी शांति का नोबेल पुरस्कार पाने वाली ईरान की दूसरी महिला हैं।
नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
उत्तर- (d)
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