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ओचिराकाली अनुष्ठान

चर्चा में क्यों

हाल ही में, केरल के कोल्लम में दो दिवसीय ओचिराकाली उत्सव/अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ।

प्रमुख बिंदु

  • ओचिराकाली एक मार्शल आर्ट उत्सव है जो कायमकुलम युद्ध की स्मृति में मनाया जाता है। यह युद्ध महाराजा मार्तंड वर्मा और कायमकुलम के राजा के मध्य ओचिरा में लड़ा गया था।
  • पदनिलम या युद्ध का मैदान प्रसिद्ध ओचिरा परब्रह्म मंदिर के निकट धान का एक क्षेत्र है। 
  • ओचिरा मंदिर में ढके हुए ढाँचे का आभाव है तथा लोग यहाँ संरक्षित वृक्षों के नीचे ही भगवन शिव की पूजा करते हैं, इस कारण से यह अद्वितीय है।
  • साथ ही, यह उत्सव एक अनुष्ठान का हिस्सा है। इसे मलयालम महीने मिथुनम के दौरान आयोजित किया जाता है।
  • इस दो दिवसीय उत्सव में योद्धा के रूप में तैयार पुरुषों के विभिन्न समूहों के मध्य युद्ध का अभिनय किया जाता है। ढोल की अनुष्ठानिक ध्वनि पर इसका प्रदर्शन किया जाता है।
  • ये योद्धा घुटने तक पानी में खड़े होकर तलवार व ढाल लहराते हुए विभिन्न दिशाओं में पानी को उछालते हैं।
  • इसका संचालन प्रशिक्षित योद्धाओं द्वारा किया जाता है जो 52 कारा या डिवीज़न का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह डिवीज़न ओनाट्टुकारा क्षेत्र के अंतर्गत करुणागपल्ली, कार्तिकपल्ली और मवेलिककारा तालुका से मिलकर बनता है।
  • प्रत्येक टीम का नेतृत्व कलारी आशन (मार्शल आर्ट शिक्षक) द्वारा किया जाता है जो टीम को प्रशिक्षित करते हैं।
  • इस दौरान एक बड़ा पशु मेला भी आयोजित किया जाता है। साथ ही, इस समारोह के दौरान कृषि उत्पादों का प्रदर्शन एवं उसका व्यापार भी होता है।
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