
- स्टॉकहोम, स्वीडन: इस साल का फिजिक्स नोबेल पुरस्कार तीन अमेरिकी वैज्ञानिकों — जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोरेट और जॉन मार्टिनिस — को दिया गया है।
- स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने मंगलवार को इसकी घोषणा की।
- इस पुरस्कार से वैज्ञानिकों की बड़े पैमाने पर क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा के स्तरों की खोज को सम्मान मिला है।
- क्वांटम टनलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें कोई कण किसी बाधा (बैरियर) को पार कर जाता है, जबकि सामान्य फिजिक्स के अनुसार यह असंभव माना जाता है।
- आम जिंदगी में हम देखते हैं कि गेंद दीवार से टकराकर लौट आती है। लेकिन क्वांटम की दुनिया में छोटे कण कभी-कभी दीवार को पार कर दूसरी तरफ चले जाते हैं।
वैज्ञानिकों का प्रयोग और खोज
1984 और 1985 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोरेट और जॉन मार्टिनिस ने दो सुपरकंडक्टर से बने एक बिजली सर्किट में प्रयोग किया।
- दोनों सुपरकंडक्टरों के बीच पतली परत लगी थी, जो सामान्यतः बिजली को रोकती थी।
- इसके बावजूद, सर्किट में मौजूद सभी चार्ज किए कण एक साथ मिलकर ऐसे व्यवहार करते थे जैसे वे एक ही कण हों।
- यह देखा गया कि कण पतली परत को पार कर सकते हैं, जो क्वांटम टनलिंग का प्रत्यक्ष प्रमाण था।
इस प्रयोग ने दिखाया कि क्वांटम इफेक्ट बड़े सिस्टम में भी दिखाई दे सकते हैं, जो पहले केवल परमाणु और सूक्ष्म कणों तक सीमित माने जाते थे।
क्वांटम मैकेनिक्स का बड़ा कदम
- वैज्ञानिकों ने बिजली के सर्किट जैसे बड़े सिस्टम में क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा के निश्चित स्तरों (क्वांटीकरण) को देखा।
- यह खोज क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमिकंडक्टर और डिजिटल टेक्नोलॉजी में नई संभावनाएँ खोलती है।
- क्वांटम टनलिंग को समझकर भविष्य में नई तकनीकों और माइक्रो चिप्स में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।
नोबेल पुरस्कार की घोषणा
नोबेल विजेताओं के नाम स्टॉकहोम में नोबेल अकादमी के सेशन हॉल में घोषित किए गए।
- प्रेस कॉन्फ्रेंस में विजेताओं के नाम, उनकी खोज का विवरण और उसका प्रभाव बताया गया।
नोबेल पुरस्कार का इतिहास
- स्थापना: 1895, अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के आधार पर
- पहला पुरस्कार: 1901
- शुरू में फिजिक्स, मेडिसिन, केमिस्ट्री, साहित्य और शांति में दिया जाता था; बाद में इकोनॉमिक्स भी जोड़ा गया।
- नोमिनेशन वाले लोगों के नाम 50 साल तक गोपनीय रहते हैं।
भारत से जुड़े फिजिक्स नोबेल विजेता
- सर सी.वी. रमन (1930)
- रमन प्रभाव की खोज, यह लेजर और मेडिकल तकनीकों में इस्तेमाल होती है।
- सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर (1983)
- तारों के जीवन और मृत्यु पर शोध; चंद्रशेखर सीमा ब्लैक होल के अध्ययन में अत्यंत महत्वपूर्ण।