ATC सिस्टम
- ATC सिस्टम एयरपोर्ट पर एक केंद्रीय नियंत्रण प्रणाली है। यह हवाई जहाजों को सतह पर, हवा में एवं आसमान के अलग-अलग हिस्सों में निर्देशित करता है। यह हवाई जहाजों के लिए एक ट्रैफिक पुलिस की तरह है।
- इसका मुख्य उद्देश्य हवाई जहाजों के बीच टक्कर से बचाव, उड़ानों में देरी कम करना और मौसम व अन्य समस्याओं का सामना करना है।
- ATC न केवल एयरपोर्ट पर, बल्कि पूरे देश या दुनिया के हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) में कार्य करता है। भारत में डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) और एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) इसकी देखरेख करते हैं।
ATC सिस्टम की मुख्य विशेषताएँ
ATC सिस्टम में हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर एवं ह्यूमन का मिश्रण होता है। इसके मुख्य भाग इस प्रकार हैं-
रडार सिस्टम (Radar Systems)
- प्राइमरी सर्विलांस रडार (PSR) : यह रडार हवाई जहाजों को उनकी स्थिति (पोजीशन) के आधार पर ट्रैक करता है। यह रेडियो तरंगें भेजकर जहाजों को डिटेक्ट करता है, भले ही उनके पास कोई सिग्नल न हो। इसकी रेंज 50-100 किलोमीटर तक और फ्रीक्वेंसी 1-3 GHz (गिगाहर्ट्ज) होती है।
- सेकेंडरी सर्विलांस रडार (SSR): यह विमानों के ट्रांसपॉन्डर (जहाज में लगा एक छोटा डिवाइस) से संपर्क करता है। इससे जहाज की ऊंचाई, स्पीड और ID प्राप्त होती है। इसका रेंज 200-400 किलोमीटर होता है और इसके मोड में मोड A (ID), मोड C (ऊंचाई), मोड S (उन्नत डेटा जैसे GPS पोजीशन) शामिल हैं।
- एडवांस्ड वर्जन: ऑटोमेटिक डिपेंडेंट सर्विलांस ब्रॉडकास्ट (ADS-B) यह GPS से रीयल-टाइम लोकेशन शेयर करता है। भारत के बड़े एयरपोर्ट्स जैसे दिल्ली और मुंबई में यह लगा है।
कम्युनिकेशन सिस्टम (Communication Tools)
- VHF रेडियो: पायलट और ATC के बीच बातचीत के लिए होता है। इसकी फ्रीक्वेंसी 118-137 MHz और रेंज 50-100 किलोमीटर होती है।
- UHF एवं HF रेडियो: लंबी दूरी के लिए (समुद्र पार उड़ानों में प्रयुक्त)
- डिजिटल सिस्टम: कंट्रोलर-पायलट डेटा लिंक कम्युनिकेशंस (CPDLC) मैसेज भेजने के लिए होता है और आवाज की बजाय टेक्स्ट का प्रयोग करता है।
नेविगेशन सहायता (Navigation Aids)
- इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS): खराब मौसम में लैंडिंग के लिए होता है। यह रेडियो बीम से जहाज को रनवे पर गाइड करता है। इसके कंपोनेंट्स में लोकलाइजर (दिशा के लिए) और ग्लाइड स्लोप (ऊंचाई के लिए) शामिल हैं। इसकी रेंज 20-30 किलोमीटर होती है।
- VHF Omnidirectional Range (VOR): दिशा बताने के लिए प्रयुक्त होता है।
- Distance Measuring Equipment (DME): दूरी मापने के लिए प्रयुक्त होता है।
ऑटोमेशन व सॉफ्टवेयर
- फ्लाइट डाटा प्रोसेसिंग सिस्टम (FDPS): उड़ानों का डेटा मैनेज करता है, जैसे-शेड्यूल, मौसम अपडेट आदि
- हवाई यातायात प्रबंधन (ATM) सॉफ्टवेयर: कॉन्फ्लिक्ट अलर्ट (टक्कर का खतरा बताना), ट्रैफिक फ्लो ऑप्टिमाइजेशन आदि
- कंप्यूटर: हाई-स्पीड सर्वर, रीयल-टाइम डेटा प्रोसेसिंग के लिए। भारत में इंडस (Indian NextGen ATM System) इसका उदाहरण है।
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