(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका) |
संदर्भ
- हाल ही में गुजरात ATS ने एक बड़े आतंकवादी नेटवर्क का पर्दाफाश किया, जिसमें कुछ संदिग्धों पर रिसिन विष (Ricin Poison) तैयार करने और इसका उपयोग करके आतंकवादी हमला करने की साजिश का आरोप है।
- यह दर्शाता है कि डिजिटल साहित्य, सोशल मीडिया पर गुप्त बातचीत, हथियारों का आदान-प्रदान और रासायनिक विषों का उपयोग भारत में आतंकवादी गतिविधियों की नया तरीका बनता जा रहा है।
क्या है रिसिन (Ricin)
- यह एक अत्यंत घातक विष है जो मानव शरीर में प्रवेश करने पर कोशिकाओं में प्रोटीन निर्माण को रोक देता है, जिससे कुछ ही घंटों में मौत भी संभव है।
- यह जहर (Toxin) किसी भी तरह के प्राकृतिक रूप से उत्पन्न पादप विषों में सबसे ज़हरीला माना जाता है। वैज्ञानिक रूप से यह राइसिनस कम्मनिस (Ricinus communis) पौधे से प्राप्त होता है।
संरचना
- रिसिन एक प्रोटीन आधारित विष (Protein Toxin) है। यह अरंडी के बीज (Castor Beans) से निकाले गए तेल के अवशेष में पाया जाता है।
- तेल बनाने के बाद बचे ठोस पदार्थ (Castor Bean Mash) में रिसिन उच्च मात्रा में मौजूद होता है।
विशेषताएँ
- अत्यधिक घातक : कुछ मिलीग्राम से भी मौत हो सकती है।
- रंगहीन, स्वादहीन, गंधहीन : पहचान में कठिनता
- खुराक पर निर्भर प्रभाव : सांस, भोजन या इंजेक्शन से अलग-अलग प्रभाव
- जलने पर निष्क्रिय किंतु सामान्य तापमान पर अत्यंत स्थिर होता है।
- इसका कोई ज्ञात एंटीडोट (Antidote) नहीं है।
- बनाना तकनीकी रूप से बहुत कठिन नहीं है क्योंकि स्रोत उपलब्ध है।
आतंकवाद में उपयोग
रिसिन का उपयोग विश्वभर में रासायनिक हथियार के रूप में देखा जाता है क्योंकि:
- यह बहुत कम मात्रा में बड़े पैमाने पर नुकसान कर सकता है।
- इसमें तैयार करने के लिए बड़े प्रयोगशाला उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती है।
- इसे आसानी से (पाउडर/घोल/कैप्सूल) छिपाया जा सकता है।
- आतंकवादी समूह इसे टारगेटेड किलिंग या मास-हिस्टीरिया फैलाने के लिए उपयोग करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय उदाहरण
- ISIS, ISKP एवं कुछ अकेले हमलावरों ने इसे बनाने के प्रयास किए।
- वर्ष 2013 में अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा को भेजे पत्रों में भी रिसिन मिलाया गया था।
भारत में हालिया घटना
हाल ही में गुजरात ATS की कार्रवाई से यह संकेत मिला है कि संदिग्ध अपराधी ISKP-लिंक्ड हैंडलर से जुड़े थे और रिसिन तैयार करने की प्रक्रिया में थे जो भारत में रासायनिक आतंकवाद का नया खतरा है।
चुनौतियाँ
- पता लगाना कठिन
- रिसिन की पहचान सामान्य सुरक्षा व्यवस्था से संभव नहीं
- डार्क वेब और डिजिटल साहित्य
- इंटरनेट पर ‘How to Make Ricin’ जैसी सामग्री का प्रसार
- कच्चे माल की आसान उपलब्धता
- अरंडी के बीज और अरंडी तेल उद्योग का भारत में व्यापक होना
- सुरक्षा एजेंसियों के लिए वैज्ञानिक विशेषज्ञता की आवश्यकता
- बिना एंटीडोट के उपचार कठिन
- सोशल मीडिया पर गुप्त बातचीत एवं एन्क्रिप्शन
- अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क का सहयोग
- कई बार विदेशी संगठन स्थायी मोड्यूल को निर्देश देते हैं।
आगे की राह
- रासायनिक-जैविक हथियारों की पहचान के लिए उन्नत प्रयोगशालाओं और किट्स का विकास
- राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को विष व जैविक-रासायनिक आतंकवाद पर नियमित प्रशिक्षण
- विषाक्त पदार्थों की बिक्री, भंडारण एवं खरीद पर सख्त नियमन
- ऑनलाइन खतरनाक सामग्री की मॉनिटरिंग एवं ब्लॉकिंग
- कास्टर ऑइल प्रोसेसिंग यूनिट में निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली
- ATS, NIA, IB, DRDO और स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच अंतर-एजेंसी समन्वय
- खतरनाक रसायनों के दुरुपयोग को लेकर सार्वजनिक जागरूकता
- इंटरपोल, यूरोपोल एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ रासायनिक खतरा संबंधित इंटेलिजेंस साझा करना