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जीएम फसलों से जीई फसलों तक: भारत की कृषि जैव प्रौद्योगिकी में नई क्रांति

(मुख्य परीक्षा – सामान्य अध्ययन पेपर-3) 

चर्चा में क्यों?

  • वर्ष 2006 में बीटी कॉटन की मंजूरी के बाद से भारत में आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों का विस्तार धीमा पड़ गया था। 
  • अब जीनोम-संपादित (जीई) फसलें तेजी से आगे बढ़ रही हैं। 
  • मई 2025 में, दो उन्नत जीई चावल प्रजातियों, सांबा महसूरी और एमटीयू-1010 को बहु-स्थानीय परीक्षणों के बाद मंजूरी दी गई।

gm-crops

प्रमुख बिन्दु:

  • सांबा महसूरी वंश ने औसत 19% उपज वृद्धि दिखाई।
  • GE MTU-1010 ने लवणीय और क्षारीय मिट्टी के प्रति सहनशीलता प्रदर्शित की।
  • तीसरी जीई फसल, कैनोला-गुणवत्ता वाली सरसों, की तीसरे वर्ष की परीक्षण प्रक्रिया 16 स्थानों पर चल रही है और यह अगस्त 2026 तक जारी हो सकती है।

जी.एम. (Genetically Modified) फसल

  • जी.एम. (Genetically Modified) फसल के जीन में आनुवंशिकी इंजीनियरिंग की मदद से कृत्रिम रूप से संसोधन करके ऐसे गुणों को शामिल किया जाता है, जो प्राकृतिक रूप से उस फसल में नहीं नहीं होते हैं। 
  • ऐसे गुणों में शामिल हैं - उपज में वृद्धि, रोग तथा खरपतवार के प्रति सहिष्णुता, सूखे से प्रति प्रतिरोधक क्षमता, बेहतर पोषण मूल्य।

जीई (Genetically engineered) फसल 

  • GE (जेनेटिकली इंजीनियर) फसलें वे फसलें हैं जिनके डीएनए को आनुवंशिक इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग करके संशोधित किया गया है, ताकि उनमें कीट-प्रतिरोधकता, सूखा-सहनशीलता या अधिक पोषण जैसे विशेष गुण डाले जा सकें। 
  • ये फसलें कृषि में पैदावार बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकती हैं।

जीएम और जीई में क्या अंतर है? 

विशेषता

GM फसलें

GE फसलें

जीन स्रोत

विदेशी जीन

अपने ही जीन का संपादन

तकनीक

ट्रांसजेनिक

CRISPR-Cas9, Cas12a

अंतिम पौधा

विदेशी डीएनए युक्त

ट्रांसजीन-फ्री

नियमन

बहुत कठोर

न्यूनतम बाधाएँ

 उदाहरण:

  • Cas9 ने MTU-1010 चावल में सूखा और नमक सहिष्णुता जीन संपादित किया।
  • Cas12a ने सांबा महसूरी चावल में Gn1a जीन संपादित कर अनाज उपज बढ़ाई।
  • सरसों में 10 ग्लूकोसाइनोलेट ट्रांसपोर्टर जीन संपादित किए गए।

भारत में जीई फसलों के लिए नीतिगत प्रयास

  • मार्च 2022 में MoEFCC ने जीई फसलों को कठोर जैव सुरक्षा नियमों से छूट दी।
  • GE फसलों को केवल संस्थागत जैव सुरक्षा समिति की मंजूरी की आवश्यकता है; जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) से अनुमति आवश्यक नहीं।
  • यह शिथिल नियमन तेजी से अनुसंधान, परीक्षण और तैनाती संभव बनाता है।
  • केंद्रीय बजट 2023-24 में जीनोम संपादन के लिए ₹500 करोड़ आवंटित।

प्रमुख लक्षित फसलें और जीन:

  • 24 प्रमुख फसलें (अनाज, दलहन, तिलहन, कपास, गन्ना, जूट, तंबाकू) 178 लक्ष्य जीन
  • 16 बागवानी फसलें (सब्जियां, फल, मसाले) 43 लक्ष्य जीन

मानव संसाधन और वैश्विक सहयोग

  • नौ आईसीएआर वैज्ञानिकों ने अमेरिका, यूरोप और CIMMYT में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
  • 12 अन्य वैज्ञानिकों के लिए आगामी अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण।
  • फरवरी 2025 में Innovative Genomics Institute (IGI) ने IARI के वैज्ञानिकों को CRISPR-Cas9 और Cas12a प्रशिक्षण प्रदान किया।

स्वदेशी सफलता

  • केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक की टीम ने टीएनपीबी प्रोटीन आधारित जीनोम-संपादन प्रणाली का पेटेंट कराया।
  • लाभ:
  • छोटे प्रोटीन पादप कोशिकाओं में आसान वितरण
  • सस्ता विदेशी लाइसेंसिंग से बचा
  • उच्च सटीकता उपज, रोग प्रतिरोधकता और तनाव सहनशीलता सुधार

भारत जी.ई. फसलों में अग्रणी बनने की राह पर

  • वैश्विक सहयोग, घरेलू नवाचार और मानव संसाधन विकास के साथ भारत जीनोम-संपादन पारिस्थितिकी तंत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
  • जी.एम. फसलें वर्षों से रुकी हुई हैं, लेकिन जी.ई. मार्ग सतत विकास और तेजी से अपनाने योग्य प्रतीत होता है।

निष्कर्ष:

भारत की कृषि जैव प्रौद्योगिकी अब जीएम से जीई तक का संक्रमण कर रही है, जो देश की खाद्य सुरक्षा, स्थिरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को नई दिशा दे रहा है।

प्रश्न. मई 2025 में किन दो जीनोम-संपादित चावल किस्मों को बहु-स्थानीय परीक्षणों के बाद मंजूरी मिली?

(a) IR-64 और स्वर्णा

(b) MTU-1010 और सांबा महसूरी

(c) Pusa Basmati-1 और गोविंद

(d) PBW-343 और HD-2967

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