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पीओएलजी माइटोकॉन्ड्रियल रोग

(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 : समसामयिक घटनाक्रम ,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)

चर्चा में क्यों 

हाल ही में लक्ज़मबर्ग के प्रिंस फ्रेडरिक की दुर्लभ पीओएलजी माइटोकॉन्ड्रियल रोग (POLG mitochondrial disease) से 22 वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई। 

पीओएलजी माइटोकॉन्ड्रियल रोग के बारे में 

  • परिचय : पीओएलजी माइटोकॉन्ड्रियल रोग वंशानुगत विकारों का एक समूह है जो शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त ऊर्जा का उत्पादन करने से रोकता है।
    • POLG पॉलीमरेज़ गामा को संदर्भित करता है। 
  • कारण : यहरोग POLG जीन में वंशानुगत उत्परिवर्तन के कारण होता है। 
    • वर्तमान में, 200 से अधिक रोग उत्पन्न करने वाले पीओएलजी उत्परिवर्तन ज्ञात हैं। 

लक्षण 

POLG रोग के प्राथमिक लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह किस उम्र में होता है -

  • 12 वर्ष की आयु से पहले 
    • दौरे (Seizures)
    • संज्ञानात्मक प्रतिगमन (Cognitive regression)
    • मोटर दुर्बलता (Motor impairment)
    • कॉर्टिकल दृश्य हानि (Cortical visual loss)
    • भोजन करने में कठिनाई (feeding difficulties)
    • यकृत विकार(liver dysfunction)
  • 12 से 40 वर्ष की आयु के बीच
    • दौरे (seizures)
    • समन्वय में कमी (impaired coordination or ataxia)
    • परिधीय न्यूरोपैथी (peripheral neuropathy)
  • 40 वर्ष की आयु के बाद 
    • पलकें झुकना (Ptosis or drooping eyelids )
    • आंखों की गति को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों का पक्षाघात 
    • समन्वय में कमी 
    • मायोपैथी (myopathy)
    • पार्किंसनिज़्म (Parkinsonism)

    प्रभाव

    • पीओएलजी उत्परिवर्तन माइटोकॉन्ड्रियल डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (mDNA) के रखरखाव के लिए जिम्मेदार एंजाइम की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। 
      • खराब डी.एन.ए. रखरखाव कोशिका में मौजूद माइटोकॉन्ड्रियल डी.एन.ए. की मात्रा को कम कर माइटोकॉन्ड्रियल डी.एन.ए. में उत्परिवर्तन लाता है। 
      • इसके परिणामस्वरूप कई अंगों में शिथिलता एवं विफलता हो सकती है।
    • यह स्थिति माइटोकॉन्ड्रिया को प्रभावित करती है, जिसे कोशिका का ‘पावरहाउस’ कहा जाता है।
      • यह भोजन को ए.टी.पी. (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) में परिवर्तित करता है, जो शरीर की जीवित कोशिकाओं के लिए ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है।
    • अन्य प्रभावित अंग : यह रोग शरीर के विभिन्न अंगों मुख्यतः मस्तिष्क, तंत्रिकाओं, मांसपेशियों और यकृत को प्रभावित करता है। 

    निदान 

    • यू.एम.डी.एफ. (UNITED MITOCHONDRIAL DISEASE FOUNDATION) के अनुसार, निदान की पुष्टि के लिए पीओएलजी उत्परिवर्तन हेतु आनुवंशिक परीक्षण आवश्यक है।
    • सीटी स्कैन या एम.आर.आई. का उपयोग करके मस्तिष्क स्कैन से पीओएलजी रोग से मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता है।  
    • इसके अलावा इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम (EEG) का उपयोग भी निदान में किया जा सकता है।

    उपचार 

    • वर्तमान में पीओएलजी के लिए कोई उपचार या इलाज नहीं है।  हालाँकि, इसके  कुछ लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। 
    • UMDF के अनुसार, पीओएलजी के रोगियों को दौरे, दर्द की दवा, मांसपेशियों को आराम देने वाली दवा, फिजियोथेरेपी आदि से कुछ आराम मिल सकता है।
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