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PIL की सुनवाई के लिए मदुरै पीठ की शक्ति बहाल

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी,  जनहित याचिका
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-2 (न्यायपालिका की संरचना)

संदर्भ:

  • मद्रास हाईकोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (MMBA) की मदुरै पीठ द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका को अनुमति दे दी है।

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मुख्य बिंदु:

  • मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश संजय वी. गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति आर. हेमलता की पीठ ने की।
  • MMBA ने यह याचिका मदुरै पीठ द्वारा PIL पर दिए गए एक निर्णय के पुनरीक्षण के लिए दायर की थी।
  • इसमें जनहित याचिकाओं (PIL) की सुनवाई के लिए अदालत की मदुरै पीठ के अधिकारों को बहाल करने की मांग की गई थी।

मामला:

  • तमिलनाडु के मंदिरों के हितों की रक्षा के लिए एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 4 मार्च, 2021 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया था;
    • मदुरै पीठ के अंतर्गत आने वाले जिलों से संबंधित जनहित याचिकाएं ही यहां दायर की जा सकती हैं।
    • पूरे राज्य से संबंधित जनहित याचिका सहित अन्य क़ानूनी मद्दे मुख्य पीठ अर्थात मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष ले जाया जाना चाहिए।
  • 3 अप्रैल 2024 को मुख्य न्यायाधीश गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति हेमलता की पीठ के निर्णय; 
    • वर्ष 2004 में मदुरै पीठ के गठन के समय जारी राष्ट्रपति अधिसूचना में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था। 
    • मदुरै में पीठ के गठन की अधिसूचना के मद्देनजर पूरे राज्य के मामलों को केवल मुख्य पीठ तक सीमित रखना उचित नहीं होगा।
    • पीठ के मुख्य न्यायाधीश को लगता है कि किसी विशेष मामले की सुनवाई मदुरै में होने के बजाय चेन्नई में की जानी है, तो उसे किसी भी समय स्थानांतरित किया जा सकता है। 
    • पूरे राज्य का कोई क़ानूनी मामला मदुरै पीठ के साथ-साथ मुख्य पीठ (मद्रास उच्च न्यायालय) में भी दायर किया गया है, तो मदुरै पीठ को उस पर सुनवाई करना उचित नहीं होगा।

जनहित याचिका (Public Interest Litigation- PIL):

  • PIL को किसी भी कानून या अधिनियम द्वारा परिभाषित नहीं किया गया है।
  • इसकी अवधारणा  भारत में  न्यायिक समीक्षा की शक्ति से उत्पन्न हुई ।
  • वर्ष 1979 में वकील कपिला हिंगोरानी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की; 
    • इस याचिका के द्वारा 'हुसैनारा खातून' मामले में पटना की जेलों से लगभग 40000 विचाराधीन कैदियों की रिहाई हुई।
    • इस सफल मामले के कारण कपिला हिंगोरानी को 'जनहित याचिकाओं की जननी' कहा जाता है।
  • न्यायमूर्ति भगवती और न्यायमूर्ति वीआर कृष्णा अय्यर जनहित याचिका स्वीकार करने वाले देश के पहले न्यायाधीश थे।
    • इन्होंने जनहित याचिका की अवधारणा को प्रतिपादित किया।
  • PIL को व्यक्तिगत हितों की नहीं, बल्कि सामूहिक हितों की रक्षा के लिए कोर्ट में दायर किया जाता है। 
  • इसे केवल भारत के सुप्रीम कोर्ट (अनु. के तहत 32) या राज्य उच्च न्यायालयों (अनु. 226 के तहत) में ही दायर किया जा सकता है।
  • PIL केवल केंद्र सरकार, राज्य सरकार या नगरपालिका के विरूद्ध दायर की जा सकती है, व्यक्तियों के खिलाफ नहीं।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न:

प्रश्न: जनहित याचिका के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. इसे किसी भी कानून या अधिनियम द्वारा परिभाषित नहीं किया गया है।
  2. कपिला हिंगोरानी को 'जनहित याचिकाओं की जननी' कहा जाता है।
  3. व्यक्तिगत हितों की नहीं, बल्कि सामूहिक हितों की रक्षा के लिए कोर्ट में दायर किया जाता है। 

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1 और

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर- (d)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न:

प्रश्न: जनहित याचिका को परिभाषित करें। हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने इस संबंध में क्या निर्णय दिया है। स्पष्ट करें।

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