मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि अगले छह महीने के लिए बढ़ी
चर्चा में क्यों ?
संसद ने मणिपुर में 13 अगस्त 2025 से अगले छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने संबंधी वैधानिक प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।
13 फरवरी 2025 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का मुख्य कारण:
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का इस्तीफा: सरकार के गिरने के बाद कोई भी पार्टी बहुमत साबित नहीं कर पाई।
राजनीतिक अस्थिरता- राज्य में लगातार राजनीतिक संकट बना हुआ था और स्थिर सरकार का गठन संभव नहीं हो पा रहा था।
संवैधानिक तंत्र की विफलता- राज्य में विधानसभा काम करने की स्थिति में नहीं थी और सरकार का सुचारू संचालन बाधित हो गया था।
कानून-व्यवस्था की समस्या-पिछले कुछ महीनों से मणिपुर में जातीय हिंसा और संघर्ष की स्थिति बनी हुई थी, जिससे प्रशासनिक तंत्र कमजोर हो गया था।
अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन:
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356 केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि यदि किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाता है, तो वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
इसे "राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता" भी कहा जाता है।
राष्ट्रपति शासन तब लागू किया जाता है जब:
राज्यपाल राष्ट्रपति को रिपोर्ट देते हैं कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर रही है।
केंद्र सरकार को लगता है कि राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है और वहां राष्ट्रपति शासन जरूरी है।
राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ जाती है और सरकार सुचारू रूप से कार्य करने में असमर्थ हो जाती है।
जब कोई पार्टी विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाती है।
यदि राष्ट्रपति द्वारा जारी किया गया आदेश 2 महीने के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है, तो वह आदेश स्वतः निरस्त हो जाएगा।
राष्ट्रपति शासन लागू होने के प्रभाव:
राज्य की विधायी और कार्यकारी शक्तियाँ संसद और केंद्र सरकार को मिल जाती हैं।
राज्य विधानसभा को भंग या निलंबित किया जा सकता है।
राज्यपाल को केंद्र सरकार की ओर से राज्य का प्रशासन चलाने का अधिकार मिल जाता है।
राष्ट्रपति शासन अधिकतम 6 महीने के लिए लागू किया जाता है, लेकिन संसद की मंजूरी से इसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न. मणिपुर में राष्ट्रपति शासन संविधान के किस अनुच्छेद के तहत लागू किया गया ?