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राष्ट्रीय वन्यजीव स्वास्थ्य नीति का प्रस्ताव

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

कोविड-19 महामारी की शुरुआत संभवतः चमगादड़ों से हुई थी। इस महामारी के पाँच वर्ष बाद केंद्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय वन्यजीव स्वास्थ्य नीति (NWHP) के अंतरिम मसौदे की समीक्षा की जा रही है।

राष्ट्रीय वन्यजीव स्वास्थ्य नीति के बारे में

  • क्या है : यह नीति भारत की व्यापक राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2017-31) का हिस्सा है जिसमें वन्यजीवों और उनके आवासों की सुरक्षा के उद्देश्य से 103 संरक्षण कार्यों तथा 250 परियोजनाओं की रूपरेखा दी गई है।
    • यह वन्यजीव स्वास्थ्य को बढ़ाने, जूनोटिक बीमारियों को रोकने और जैव-विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई एक व्यापक रूपरेखा है।
    • यह पहल मानव, पशु एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एकीकृत करते हुए वन हेल्थ दृष्टिकोण को अपनाने के वैश्विक प्रयासों के अनुरूप है।
  • उद्देश्य : सार्वजनिक स्वास्थ्य और घरेलू पशु स्वास्थ्य प्रबंधन क्षेत्रों को एकीकृत करते हुए वन्यजीव आबादी की सुरक्षा के लिए एक व्यापक ढाँचा स्थापित करना।
  • नीति विकास प्रक्रिया : केंद्र सरकार को आई.आई.टी. बॉम्बे और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा सहयोग दिया जा रहा है।

राष्ट्रीय वन्यजीव स्वास्थ्य नीति के प्रमुख घटक 

  • उन्नत रोग निगरानी : स्थलीय, समुद्री और पक्षी पारिस्थितिकी तंत्र को कवर करने वाली एक मजबूत रोग निगरानी प्रणाली विकसित करना।
  • अनुसंधान एवं विकास : संरक्षण में शामिल हितधारकों के कौशल और ज्ञान में सुधार करने के लिए वन्यजीव रोगों तथा स्वास्थ्य प्रबंधन रणनीतियों पर केंद्रित अनुसंधान एवं विकास पहलों को बढ़ावा देना।
  • सामुदायिक सहभागिता : जागरूकता कार्यक्रमों और वन्यजीवों के साथ जिम्मेदारीयुक्त संवाद सहित संरक्षण प्रयासों में सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
  • जैव सुरक्षा एवं रोगज़नक़ प्रबंधन : वन्यजीव रोगज़नक़ जोखिमों का प्रबंधन करना एवं संरक्षित क्षेत्रों में जैव सुरक्षा बढ़ाने के उपायों को लागू करना।

राष्ट्रीय वन्यजीव स्वास्थ्य नीति की प्रमुख सिफारिशें एवं पहल

  • वन्यजीवों के लिए राष्ट्रीय रेफरल केंद्र : गुजरात के जूनागढ़ में स्थापित यह केंद्र वन्यजीव मृत्यु दर, रोग निदान एवं उपचार की जाँच के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
  • सैटेलाइट डायग्नोस्टिक लैब : वन्यजीव रोग निदान और समय पर पता लगाने को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण वन आवासों के पास स्थापित करने का प्रस्ताव।
  • राष्ट्रीय वन्यजीव स्वास्थ्य डाटाबेस और सूचना प्रणाली : ये प्रणालियाँ वास्तविक समय निगरानी डाटा के लिए केंद्रीकृत भंडार के रूप में कार्य करेंगी, जिससे बेहतर रोग प्रबंधन एवं प्रतिक्रिया रणनीतियों में सुविधा होगी।

नीति की आवश्यकता 

  • भारत में वन्यजीव विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं जिनमें संक्रामक रोग, आवास की क्षति, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और अवैध गतिविधियाँ इत्यादि शामिल हैं।
  • वन्यजीव रोगाणुओं के मेजबान के रूप में भी कार्य करते हैं और इसलिए जंगल व कैद में उनके स्वास्थ्य की निगरानी करना अनिवार्य हो गया है। 
  • भारत में 1,014 संरक्षित क्षेत्रों का एक नेटवर्क है जिसमें 106 राष्ट्रीय उद्यान, 573 वन्यजीव अभयारण्य, 115 संरक्षण रिजर्व और 220 सामुदायिक रिजर्व शामिल हैं जो इसके भौगोलिक क्षेत्र के 5.32% हिस्से में विस्तृत हैं।

नीति का महत्त्व

  • यह भारत के ‘राष्ट्रीय वन हेल्थ दृष्टिकोण’ के साथ संरेखित है जो महामारी की तैयारी और एकीकृत रोग नियंत्रण के लिए अंतर-क्षेत्रीय प्रयासों का समन्वय करता है।
    • यह दृष्टिकोण मानव, पशु एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य की अन्योन्याश्रयता को पहचानता है जो जूनोटिक रोगों से निपटने के लिए सहयोगी रणनीतियों की आवश्यकता पर जोर देता है।
  • इस नीति द्वारा वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जो संरक्षण को बढ़ावा देते हुए पर्याप्त राजस्व उत्पन्न कर सकता है।
  • जैव-विविधता हॉटस्पॉट की सुरक्षा और प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करके भारत सतत विकास सुनिश्चित कर सकता है जो पर्यावरण संरक्षण के साथ मानवीय आवश्यकताओं को संतुलित करता है।

आगे की राह

  • नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए पशु चिकित्सा सेवाओं, वन्यजीव विशेषज्ञों और संरक्षणवादियों सहित विभिन्न क्षेत्रों के बीच मजबूत सहयोग की आवश्यकता
  • नीति की सफलता के लिए समर्पित संसाधन, प्रशिक्षित पेशेवर और प्रयोगशाला सुविधा जैसी कमियों को दूर करना महत्वपूर्ण
  • सामुदायिक सहभागिता महत्वपूर्ण
  • स्थानीय आबादी को जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से भाग लेने, संरक्षण प्रयासों के लिए स्वयंसेवा करने और वन्यजीवों के साथ जिम्मेदारीपूर्ण संवाद को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
  • भविष्य की ओर देखते हुए वन्यजीव स्वास्थ्य नीति के लिए भारत के दृष्टिकोण को मनुष्यों एवं वन्यजीवों के बीच सतत सह-अस्तित्व पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • इसमें विकास के साथ संरक्षण को एकीकृत करना, संरक्षण रणनीतियों में नवाचार को बढ़ावा देना और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करने के लिए समुदायों को सम्मिलित करना शामिल है।
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