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भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रुपया-डॉलर विनिमय की घोषणा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ 

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने $10 बिलियन के ‘डॉलर-रुपया बाय-सेल स्वैप’ (Dollar-rupee buy-sell Swap) व्यवस्था के माध्यम से लंबी अवधि के लिए रुपए की तरलता में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। 
  • $10 बिलियन के स्वैप का निर्णय 3 वर्ष के लिए लिया गया है। विदित है कि यह निर्णय आर.बी.आई. द्वारा कुछ समय पहले $5 बिलियन के डॉलर-रुपया स्वैप के बाद ही लिया गया है। 

भारत में तरलता संकट की स्थिति 

  • भारतीय बैंकिंग प्रणाली को जनवरी 2025 में एक दशक से भी अधिक समय में सबसे अधिक तरलता संकट का सामना करना पड़ा। 
    • 23 जनवरी को तरलता घाटा 3.15 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया था जोकि लगभग 15 वर्षों का निम्नतम स्तर है।
  • 20 फरवरी तक भारत की बैंकिंग प्रणाली का तरलता घाटा (Liquidity Deficit) लगभग 1.7 ट्रिलियन रुपए था जिसके वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने में और भी बढ़ने की संभावना है। 
    • कर बहिर्वाह, वस्तु एवं सेवा कर भुगतान तथा रुपए को स्थिर करने के लिए आर.बी.आई. के विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप और प्रचलन में मुद्रा (Currency in Circulation) बहिर्वाह ने बैंकिंग प्रणाली में नकदी प्रवाह को काफी प्रभावित किया है। 
  • तरलता घाटे के कारण बैंकों की बाजार उधारी पर निर्भरता बढ़ गई, जिससे अंतर-बैंक कॉल मनी दरें लगातार 6.50% की नीतिगत रेपो दर से ऊपर बनी रहीं। अंतर-बैंक कॉल मनी दर वह दर है जिस पर बैंक एक-दूसरे को उधार देते हैं। 

डॉलर-रुपया बाय-सेल स्वैप व्यवस्था की कार्यप्रणाली 

  • यह रिजर्व बैंक की ओर से एक सरल बाय-सेल विदेशी मुद्रा स्वैप है। इसके तहत एक बैंक, रिजर्व बैंक को अमेरिकी डॉलर बेचेगा और साथ ही स्वैप अवधि के अंत में उतनी ही मात्रा में अमेरिकी डॉलर खरीदने के लिए सहमत होगा।
    • लेन-देन के पहले चरण में बैंक, नीलामी तिथि की FBIL संदर्भ दर पर रिज़र्व बैंक को डॉलर बेचेगा।
  • स्वैप के पहले चरण का निपटान (Settlement) लेनदेन (Transaction) की तिथि से त्वरित आधार (Spot Basis) पर होगा और रिजर्व बैंक सफल बोलीदाता के चालू खाते में रुपया निधि (Rupee Funds) क्रेडिट करेगा और बोलीदाता को आर.बी.आई. के नोस्ट्रो खाते में डॉलर जमा करने होंगे। 
  • स्वैप लेनदेन के रिवर्स चरण में बैंक को डॉलर वापस पाने के लिए स्वैप प्रीमियम के साथ रुपया निधि आर.बी.आई. को वापस करनी होगी।

FBIL संदर्भ दर

‘FBIL संदर्भ दर’ रुपए के संदर्भ में अमेरिकी डॉलर, यूरो जैसी मुद्राओं के लिए विनिमय दर की दैनिक गणना है। फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (FBIL) एक भारतीय कंपनी है जिसे भारतीय रिजर्व बैंक ने इन दरों की गणना एवं प्रकाशन के लिए अधिकृत किया है।

डॉलर-रुपया बाय-सेल स्वैप व्यवस्था का प्रभाव 

  • स्वैप मैकेनिज्म तत्काल तरलता समर्थन प्रदान करके मुद्रा स्थिरता में मदद कर सकता है। 
    • इससे विदेशी फंड के बहिर्वाह के दौरान रुपए पर दबाव कम हो सकता है। 
  • यह अस्थायी राहत बाजार में निवेशकों के विश्वास को बढ़ा सकती है और विनिमय दर में अत्यधिक अस्थिरता को रोक सकती है। 
  • इससे आर.बी.आई. के डॉलर भंडार में भी वृद्धि होगी। 

तरलता में वृद्धि के लिए आर.बी.आई. द्वारा किए गए अन्य उपाय 

  • ऋण खरीद (Debt Purchases)
  • अतिरिक्त विदेशी मुद्रा स्वैप
  • लॉन्गर ड्यूरेशन रेपो (Longer-duration Repos) या टर्म रेपो 
  • विभिन्न अवधियों के लिए कई वेरिएबल रेट रेपो (Variable Rate Repo : VRR) नीलामी 
  • दैनिक स्तर पर वी.आर.आर. नीलामी 
  • सरकारी प्रतिभूतियों की खुले बाजार परिचालन (OMO) खरीद नीलामी 
  • 56-दिवसीय वी.आर.आर. नीलामी
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