New
The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video

गर्भपात का अधिकार 

( प्रारंभिक परीक्षा के लिये – गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) अधिनियम 2021 )
( मुख्य परीक्षा के लिये:सामान्य अध्यन प्रश्नपत्र 2  - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप )

सन्दर्भ 

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के गर्भपात के अधिकार पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी महिलाओं को गर्भपात कराने का कानूनी अधिकार दे दिया है।

महत्वपूर्ण बिंदु 

  •  सुप्रीम कोर्ट ने गर्भ का चिकित्सकीय समापन एक्ट के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा है, कि विवाहित और अविवाहित सभी महिलाओं को कानून सम्मत तरीके से 24 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने का अधिकार है।
  • दरअसल अभी तक सिर्फ विवाहित महिलाओं को ही 20 सप्ताह से अधिक और 24 सप्ताह से कम समय के गर्भ को समाप्त करने का अधिकार था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अविवाहित महिलाओं को भी इस समय सीमा तक गर्भ को समाप्त करने का अधिकार होगा।
  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि सिर्फ विवाहित महिलाओं को ही कानूनन गर्भपात का अधिकार होने की बात मान लेना, इस रूढिवादी सोच को मानना होगा कि सिर्फ विवाहित महिलाओं को ही यौन गतिविधियों में शामिल होना चाहिये। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम में 2021 का संशोधन विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं करता है।
  • कोर्ट ने कहा कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच यह कृत्रिम भेद संवैधानिक कसौटी पर टिक नहीं सकता। कानून का लाभ दोनों को समान रूप से मिलेगा।
  • सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में यह भी स्पष्ट किया है, कि एमटीपी एक्ट के तहत दुष्कर्म की परिभाषा में वैवाहिक दुष्कर्म भी शामिल है।
  • कोर्ट ने कहा कि अगर वैवाहिक दुष्कर्म की वजह से पत्नी गर्भवती होती है, तो उसे सुरक्षित और कानून सम्मत तरीके से गर्भ को समाप्त करने का अधिकार है।
  • हालांकि कोर्ट ने 'वैवाहिक बलात्कार' को सिर्फ़ एमटीपी क़ानून के संदर्भ में ही समझे जाने की बात कही है, क्योंकि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के दायरे में वैवाहिक बलात्कार अभी शामिल नहीं है और सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच के पास ये मामला लंबित है।
  • कोर्ट ने कहा है कि गर्भ को समाप्त करने के बारे में महिला की सहमति ही पर्याप्त होगी।
  • अगर महिला नाबालिग या मानसिक रूप से अस्वस्थ है, तो उसके संरक्षक की सहमति चाहिए होती है।

निर्णय का महत्व 

  • सुप्रीम कोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिदिन 8 महिलायें असुरक्षित गर्भपात के कारण मर जाती है। ऐसी स्थिति में इस फैसले के दूरगामी प्रभाव होंगे। 
  • यह फैसला महिलाओं के प्रजनन अधिकार की स्वायत्तता पर मुहर लगाता है। साथ ही कानून सम्मत तरीके से तय अवधि में गर्भपात का कानूनी अधिकार और स्वायत्तता देने में विवाहित, अविवाहित, सिंगल मदर सभी को बराबरी पर रखता है।
  • कोर्ट ने अपने फैसले में कानून होने के बावजूद महिलाओं को कानून सम्मत सुरक्षित गर्भपात कराने में आने वाली बाधाओं का भी उल्लेख किया है, और कहा है कि इन बाधाओं के चलते महिलाएं असुरक्षित तरीके से गर्भ को समाप्त करने के लिये मजबूर होती हैं। 
  • कोर्ट ने गर्भपात के लिए पर्याप्त ढांचागत संसाधनों तथा जानकारी का अभाव, सामाजिक कलंक और सुरक्षित देखभाल उपलब्ध ना होने पर चिंता जताई है।
  • पीठ ने कहा कि कानूनी विवादों में फंसने का डाक्टरों का भय भी सुरक्षित गर्भपात के लिए एक बाधा है।

क्या है गर्भ का चिकित्सकीय समापन कानून ?

  • गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 (Medical Termination of Pregnancy Act, 1971) भारत सरकार का एक अधिनियम है, जो कुछ विशेष परिस्थितियों में गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देता है।
  • एमटीपी क़ानून 1971 के तहत इन परिस्थितियों में गर्भपात की इजाज़त है-

1- अगर गर्भ की अवधि 12  सप्ताह से ज़्यादा की नहीं है, तो एक डॉक्टर की सलाह के बाद गर्भपात किया जा सकता है।
2- अगर गर्भ की अवधि 12 सप्ताह से ज़्यादा की है, लेकिन 20 हफ़्ते से कम है, तो दो डॉक्टरों की राय के बाद निम्नलिखित आधारों पर गर्भ को समाप्त किया जा सकता है – 

  •  गर्भवती महिला की जान को खतरा हो या उसके शारीरिक अथवा मानसिक स्वास्थ्य को नुक़सान पहुँचने का ख़तरा हो। 
  •  अगर ये ख़तरा हो कि होने वाले बच्चे को कोई गंभीर शारीरिक या मानसिक बीमारी होगी। 
  • 20  सप्ताह से ज्यादा के गर्भ को समाप्त करने के लिये कोर्ट की इजाजत लेनी होगी।

गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) अधिनियम 2021

  • केंद्र सरकार ने व्यापक गर्भपात देखभाल प्रदान करने तथा महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाने के लिये MTP अधिनियम 1971 में 2021 में संशोधन किया।
  • गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) अधिनियम 2021 को चिकित्सीय, मानवीय तथा सामाजिक आधार पर सुरक्षित और वैध गर्भपात सेवाओं का विस्तार करने के लिये लाया गया है।
  • इस संसोधन के तहत गर्भनिरोधक विधि या उपकरण की विफलता के मामले में विवाहित महिला द्वारा 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त किया जा सकता है। 
  • यह विधेयक अविवाहित महिलाओं को भी गर्भनिरोधक विधि या उपकरण की विफलता के कारण हुई गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है।
  • गर्भधारण से 20 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिये एक पंजीकृत चिकित्सक की राय आवश्यक है।
  • 20-24 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिये दो पंजीकृत चिकित्सकों की राय की आवश्यकता होगी।
  • भ्रूण से संबंधित गंभीर असामान्यता के मामले में 24 सप्ताह के बाद के गर्भ की समाप्ति के लिये राज्य-स्तरीय मेडिकल बोर्ड की राय आवश्यक होगी। 
  • महिलाओं की विशेष श्रेणियों के लिये गर्भ को समाप्त करने की सीमा को 20 सप्ताह से बढाकर 24 सप्ताह कर दिया गया है।  इनमे शामिल है – 
    • दुष्कर्म से पीड़ित महिलायें
    • दिव्यांग महिलाएँ
    • नाबालिग महिलायें 
    • अन्य कमजोर महिलायें 
  • गर्भ को समाप्त करने वाली किसी महिला की पहचान को कानून में अधिकृत व्यक्ति को छोड़कर किसी भी अन्य व्यक्ति के समक्ष प्रकट नहीं किया जा सकेगा।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR