New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

भूल जाने का अधिकार

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन-3 : डाटा गोपनीयता से संबंधित मुद्दे)

संदर्भ

वर्तमान में भारत में ऐसा कोई वैधानिक ढाँचा उपलब्ध नहीं है जो भूल जाने के अधिकार (right to be forgotten) को निर्धारित करता हो। सर्वोच्च न्यायालय अब एक ऐसे मामले की सुनवाई के लिए सहमत हो गया है जो संभवतः इस अधिकार की रूपरेखा को आकार देगा।

क्या है मामला 

  • मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा पारित उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें एक लॉ पोर्टल को एक निश्चित फैसले को हटाने का निर्देश दिया गया था। 
    • यह फैसला एक ऐसे व्यक्ति से संबंधित था जिसे बलात्कार के एक मामले में बरी कर दिया गया था।
  • न्यायालय ने अभियुक्तों द्वारा प्रस्तुत 'भूल जाने के अधिकार' से संबंधित याचिका की जाँच करने पर सहमति व्यक्त की जिसमें नाम वाले निर्णयों को सार्वजनिक डोमेन से हटाने की मांग की गई थी।

क्या है 'भूल जाने का अधिकार' (right to be forgotten)

  • 'भूल जाने का अधिकार' जिसे 'मिटाने का अधिकार'(The right to erase) भी कहा जाता है व्यक्तिगत अधिकारों से संबंधित है जिसमें फोटो, वीडियो आदि सहित अपने व्यक्तिगत डाटा के उपयोग पर नियंत्रण रखना तथा उसे संगठनों के रिकॉर्ड से हटाना शामिल है।
    • यूरोपीय संघ का सामान्य डाटा संरक्षण विनियमन (GDPR) अनुच्छेद 17 के तहत इस मामले में व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है।
      • व्यक्तियों को अपने व्यक्तिगत डाटा को बिना किसी ‘अनुचित देरी’ के नियंत्रक के रिकॉर्ड से मिटाने का अधिकार है। इस मामले में यह अवधि लगभग एक महीने मानी जाती है।
  • भूल जाने का अधिकार ऐसे मामलों में लागू होता है, जैसे- किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत डाटा का किसी संगठन द्वारा गैर-कानूनी तरीके से उपयोग किया जा रहा हो या व्यक्ति डाटा उपयोग के लिए अपनी सहमति वापस ले रहा हो।
‘Google स्पेन केस’में कोर्ट ने स्पेनिश वकील मारियो कोस्टेजा गोंजालेज की याचिका पर निर्णय को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने Google से सामाजिक सुरक्षा ऋण के कारण अपनी संपत्ति की बिक्री से संबंधित वर्ष 1998 की जानकारी को हटाने के लिए कहा था।

भारत में भूल जाने के अधिकार की वैधानिक स्थिति 

  • केंद्र ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 पारित किया था, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। 
    • इस अधिनियम के एक प्रावधान में अपने पूर्ववर्ती की तरह व्यक्तियों के डाटा की सुरक्षा में विफल रहने पर दंड का उल्लेख है, हालांकि इसमें 'भूल जाने के अधिकार' का कोई विशेषउल्लेख नहीं है।
  • केंद्र के 'सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021' में व्यक्तिगत जानकारी के उजागर होने पर शिकायत दर्ज करने और यदि शिकायतकर्ता की सहमति के बिना डाटा एकत्र किया गया है तो उसे इंटरनेट से हटाने की प्रक्रिया शामिल है।
  • आई.टी. नियम, 2021 नामित शिकायत अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया निर्धारित करते हैं, ताकि शिकायतकर्ता के बारे में व्यक्तिगत जानकारी को उजागर करने वाली सामग्री को इंटरनेट से हटाया जा सके।

भारत में भूल जाने के अधिकार संबंधित मामले 

  • के.एस.पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ वाद  (2017) :सर्वोच्च न्यायालय ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में स्पष्ट रूप से मान्यता दी थी। इस फैसले में भूल जाने के अधिकार का उल्लेख किया गया है।
  • राजगोपाल बनाम तमिलनाडु राज्य (1994) :ऐतिहासिक फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने अकेले रहने के अधिकार की बात की थी।
  • धर्मराज भानुशंकर दवे बनाम गुजरात राज्य (2017) : याचिकाकर्ता ने ऑस्ट्रेलियाई वीजा के लिए आवेदन हेतु गुजरात उच्च न्यायालय से एक हत्या और अपहरण मामले में अपने बरी होने की सूचना को हटाने के लिए कहा था।
    • न्यायालय ने उसे राहत देने से इनकार कर दिया यह मानते हुए कि न्यायालय के आदेशों को सार्वजनिक डोमेन में रखने की अनुमति है।
  • वर्ष 2020 में उड़ीसा उच्च न्यायालय ने माना कि ऑनलाइन या ऑफलाइन भुला दिए जाने की कानूनी संभावनाओं पर व्यापक बहस की आवश्यकता है। 
  • वर्ष 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मामले में एक याचिकार्ता के नाम को सर्च इंजन से हटाने का फैसला सुनाया था। 
    • हालांकि, नयायालय ने कहा कि प्रैक्टिकल तौर पर या अधिकार एक पेचीदा विषय हैजो अभी भारत में अनसुलझा है।

भूल जाने का अधिकार कब नहीं लागू किया जा सकता है :

  • अभिव्यक्ति और सूचना की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रयोग से जुड़े मामले
  • कानूनी दायित्वों के अनुपालन के लिए
  • सार्वजनिक हित में किए गए काम के लिए
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य के आधार पर दी गई सूचना
  • वैज्ञानिक या ऐतिहासिक अनुसंधान के लिए
  • सांख्यिकीय उद्देश्यों के लिए
  • कानूनी दावों की स्थापना, प्रयोग या बचाव के लिए

भूल जाने के अधिकार से संबंधित चुनौतियाँ

  • भूल जाने के अधिकार पर सार्वजनिक रिकॉर्ड से जुड़े मामलों के मध्य विरोध की स्थिति उत्पन्न होना 
    • विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस अधिकार को आधिकारिक सार्वजनिक रिकॉर्ड, विशेष रूप से न्यायिक रिकॉर्ड तक विस्तारित नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे लंबे समय में न्यायिक प्रणाली में जनता का विश्वास कमज़ोर होगा।
  • जानकारी सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध होने के बाद डिजिटल युग में इसके पूर्णत: समाप्त होने की अत्यंत कम संभावना होना 
  • भूलने का अधिकार व्यक्तियों की निजता के अधिकार तथा समाज के सूचना के अधिकार और प्रेस की स्वतंत्रता के बीच एक दुविधा उत्पन्न करता है। 

आगे की राह 

  • भूल जाने के अधिकार की अवधारणा पर गहन विचार करते समय, डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के ढाँचे के भीतर इसके निहितार्थों को संबोधित करना आवश्यक है। 
  • 'भूल जाने का अधिकार' डाटा सुरक्षा कानूनों के भीतर एक विशिष्ट पहलू है जो व्यक्तियों को कुछ परिस्थितियों में ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म या डाटाबेस से अपने व्यक्तिगत डाटा को हटाने का अनुरोध करने की अनुमति देता है। 
  • भारत में भूल जाने के अधिकार के स्पष्ट कार्यान्वयन के लिए डाटा सुरक्षा कानून के व्यापक ढाँचे के भीतर विशिष्ट कानूनी प्रावधानों या दिशा-निर्देशों की आवश्यकता होगी।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X