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भारत में रासायनिक आपदाओं के विरुद्ध सुरक्षा उपाय

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3; आपदा और आपदा प्रबंधन।) 

संदर्भ 

हाल ही में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से विषाक्त अपशिष्ट को भस्मीकरण के लिए पीथमपुर, इंदौर  स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू हुई। इससे पूर्व 3 दिसंबर को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को जहरीले अपशिष्ट पदार्थ के निपटान के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की थी।

भारत में रासायनिक आपदा जोखिम की स्थिति

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अनुसार, हाल के दिनों में देश में 130 से अधिक महत्वपूर्ण रासायनिक दुर्घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप 259 लोगों की मृत्यु हुई और 560 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
  • देश के 25 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में 1861 से अधिक प्रमुख दुर्घटना जोखिम (MAH) इकाइयाँ मौज़ूद हैं। 
  • इसके अलावा असंगठित क्षेत्र कई प्रकार की खतरनाक सामग्रियों से निपटते हैं जो आपदा जोखिमों के गंभीरता में वृद्धि करते हैं।

भोपाल गैस त्रासदी तथा रासायनिक आपदा सुरक्षा का विनियमन

  • भोपाल गैस त्रासदी के समय भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code : IPC) ही एकमात्र प्रासंगिक कानून था जो ऐसी घटनाओं के लिए आपराधिक दायित्व निर्दिष्ट करता था।
  •  शुरुआत में भोपाल गैस त्रासदी के आरोपियों पर IPC  की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत आरोप लगाए थे। 
    • बाद में धारा 304ए के तहत आरोप तय किए गए, जो लापरवाही के कारण मौत से संबंधित है। जिसके तहत अधिकतम दो साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान था। 
  • भोपाल गैस त्रासदी के बाद सरकार ने पर्यावरण को विनियमित करने और सुरक्षा उपायों तथा दंड को निर्धारित एवं निर्दिष्ट करने के लिए कई कानून पारित किए। 

रासायनिक आपदाओं के पीड़ितों की सुरक्षा से संबंधित अधिनियम 

भोपाल गैस रिसाव (दावों का निपटान) अधिनियम, 1985

  • यह अधिनियम केंद्र सरकार को भोपाल गैस त्रासदी से उत्पन्न या उससे जुड़े दावों को सुरक्षित करने की शक्ति देता है। 
  • इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत, ऐसे दावों का निपटारा शीघ्रता और न्यायसंगत तरीके से किया जाता है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986

यह अधिनियम केंद्र सरकार को पर्यावरण में सुधार के लिए उपाय करने, मानक निर्धारित करने और औद्योगिक इकाइयों का निरीक्षण करने की शक्तियाँ प्रदान करता है।

सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम, 1991

इस अधिनियम का उद्देश्य खतरनाक पदार्थों के रख-रखाव के समय होने वाली दुर्घटनाओं से प्रभावित व्यक्तियों को राहत प्रदान करना है।

राष्ट्रीय पर्यावरण अपील प्राधिकरण अधिनियम, 1997

  • इसके तहत राष्ट्रीय पर्यावरण अपील प्राधिकरण उन क्षेत्रों के प्रतिबंध के बारे में अपील सुन सकता है : 
    • जिनमें कोई उद्योग या गतिविधि नहीं चलाई जाएगी या
    •  ऐसा कोई भी उद्योग या गतिविधि जो पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत कुछ सुरक्षा उपायों के अधीन हो।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 

  • इसके तहत पर्यावरण संरक्षण और वनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी एवं शीघ्र निपटान के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना का प्रावधान है।
  • भोपाल गैस त्रासदी जैसी किसी भी घटना की सुनवाई राष्ट्रीय हरित अधिकरण में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत की जाएगी।
  • इसके अनुसार यदि कोई अपराध किसी कंपनी द्वारा किया जाता है, तो प्रत्येक व्यक्ति जो सीधे तौर पर प्रभारी और जिम्मेदार है, उसे दोषी माना जाएगा। 
    • जब तक कि वह यह साबित नहीं कर देता कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध को रोकने के लिए सभी उचित उपाय किए थे।
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