New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

अदृश्य होते शनि ग्रह के वलय

चर्चा में क्यों

एक हालिया अध्ययन के अनुसार मार्च 2025 में शनि के वलय पृथ्वी पर मौजूद पर्यवेक्षकों के लिए लगभग अदृश्य हो जाएँगे। ऐसा ग्रहों के संरेखण (Alignment) के कारण होगा। 

शनि के वलय

  • 17वीं सदी में गैलीलियो गैलीली ने शनि के वलयों की खोज की थी। ये वलय एक ठोस संरचना नहीं हैं बल्कि कई अलग-अलग खंडों (पिंड) से निर्मित हुई हैं। 
  • शनि की वलय संरचना की उत्पत्ति के संबंध में नष्ट हुए चंद्रमा या धूमकेतु के अवशेषों से लेकर ग्रह के मजबूत गुरुत्वाकर्षण द्वारा पृथक किए गए पदार्थों तक कई सिद्धांत हैं।
  • नासा के कैसिनी अंतरिक्ष यान से प्राप्त डाटा के अनुसार शनि के वाले बर्फ एवं चट्टानों के टुकड़ों (पिंड) से निर्मित हैं। इनका आकार धूल कण जितने सूक्ष्म से लेकर पहाड़ों जितना विशाल हो सकता है। 

वलयों के अदृश्य होने के कारण 

  • शनि ग्रह 26.7 डिग्री अक्षीय झुकाव पर घूर्णन करता है जिसके कारण पृथ्वी से देखने पर इसके वलयों का दृश्य समय के साथ बदलता रहता है।
  • यह कोई स्थायी परिवर्तन नहीं है बल्कि यह एक अस्थायी ब्रह्मांडीय घटना है जो हर 29.5 वर्ष में घटित होती है। 
    • यह शनि द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने में लगने वाला समय है।
  • यह ग्रह ‘शनि वर्ष’ के आधे समय (लगभग 15 पृथ्वी वर्ष) के लिए सूर्य की ओर झुका होता है। ग्रह के घूर्णन करने के दौरान पृथ्वी से देखने पर इसके वलय अभिविन्यास बदलते हुए दिखाई देते हैं।

नासा का अध्ययन 

  • नासा ने वर्ष 2018 में पुष्टि की कि शनि के वलय लगातार गुरुत्वाकर्षण एवं चुंबकीय क्षेत्र के कारण ग्रह की ओर खींचे जा रहे हैं। 
    • ऐसे में अगले 300 मिलियन वर्षों में शनि ग्रह के छल्ले पूरी तरह समाप्त हो जाएंगे।
  • ये वलय 100 मिलियन वर्ष पहले दो बर्फीले चंद्रमा के संघात (टक्कर) के कारण निर्मित हुए थे। इससे निकले मलबे से शनि के वलयों का निर्माण हुआ।
  • यह संभव है कि बृहस्पति, यूरेनस एवं नेपच्यून जैसे अन्य गैसीय ग्रहों के भी कभी छल्ले रहे हों। 
  • शनि के सात प्रमुख वलय विभाजन हैं, जिनमें से प्रत्येक की संरचना जटिल है।

इसे भी जानिए!

  • सूर्य से दूरी (9.5 खगोलीय इकाई) के आधार पर शनि छठा एवं सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। 
  • इसका वायुमंडल मुख्यत: हाइड्रोजन एवं हीलियम से निर्मित है। 
  • लगभग 74,897 मील (120,500 किलोमीटर) के भूमध्यरेखीय व्यास के साथ शनि पृथ्वी से 9 गुना अधिक चौड़ा है।
  • इसकी घूर्णन अवधि 10.7 घंटे और परिक्रमण अवधि लगभग 29.4 ‘पृथ्वी वर्ष’ है। 
  • वर्तमान में सौर प्रणाली में सर्वाधिक उपग्रहों की संख्या शनि की है। इसके बाद बृहस्पति का स्थान है। 
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X