भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड(SECURITIES AND EXCHANGE BOARD OF INDIA) SEBI
स्थापना एवं विकास (Establishment & Evolution)
गैर-सांविधिक निकाय (Non-Statutory Body) के रूप में: SEBI की स्थापना 1988 में भारत सरकार के एक प्रस्ताव (Resolution) के तहत हुई थी।
सांविधिक निकाय (Statutory Body) का दर्जा: 1992 में SEBI अधिनियम (SEBI Act, 1992) के तहत इसे कानूनी (Legal) दर्जा मिला।
मुख्यालय (Headquarters): मुंबई, महाराष्ट्र।
उद्देश्य (Objectives of SEBI)
निवेशक संरक्षण (Investor Protection) – निवेशकों के हितों की रक्षा करना।
बाजार का विकास (Market Development) – प्रतिभूति बाजार (Securities Market) का समुचित विकास करना।
बाजार विनियमन (Market Regulation) – बाजार के अनुशासित संचालन (Orderly Functioning) को सुनिश्चित करना।
SEBI के प्रमुख कार्य (Functions of SEBI)
सुरक्षात्मक कार्य (Protective Functions)
धोखाधड़ी (Fraudulent) और अनुचित व्यापार प्रथाओं (Unfair Trade Practices) पर रोक।
इनसाइडर ट्रेडिंग (Insider Trading) पर रोक।
कंपनियों के अधिग्रहण (Acquisition) और अधिग्रहण (Takeover) को नियंत्रित करना।
निष्पक्ष प्रथाओं (Fair Practices) और आचार संहिता (Code of Conduct) को बढ़ावा देना।
विनियामक कार्य (Regulatory Functions)
स्टॉक ब्रोकर, सब-ब्रोकर और अन्य मध्यस्थों (Intermediaries) को पंजीकृत और नियंत्रित करना।
सामूहिक निवेश योजनाओं (Collective Investment Schemes) और म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) का पंजीकरण और नियंत्रण।
स्वयं-विनियामक संगठनों (Self-Regulatory Organizations) को प्रोत्साहित करना।
विकासात्मक कार्य (Developmental Functions)
मध्यस्थों का प्रशिक्षण (Training) देना।
अनुसंधान (Research) और उपयोगी जानकारी प्रकाशित करना।
निवेशकों की शिक्षा (Investor Education) को बढ़ावा देना।
SEBI की हालिया पहलें (Recent Initiatives by SEBI)
SCORES 2.0:
निवेशक शिकायत निवारण प्रणाली (Complaint Redress System) का नया संस्करण।
शिकायतों का समाधान 21 दिन के भीतर सुनिश्चित करता है।
इनसाइडर ट्रेडिंग निषेध (Prohibition of Insider Trading): आंतरिक जानकारी पर आधारित ट्रेडिंग के लिए पूर्व नियोजित योजना (Pre-Declared Trading Plan) अनिवार्य की गई।
क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (Credit Default Swap - CDS): म्यूचुअल फंड्स को CDS खरीदने-बेचने की अनुमति, जिससे बॉन्ड बाजार में तरलता (Liquidity) बढ़ती है।
पंप एंड डंप योजना पर प्रतिबंध (Pump & Dump Scheme): ऐसे व्यक्तियों पर रोक जो झूठी जानकारी फैलाकर स्टॉक की कीमत बढ़ाते हैं।
ईटीएफ (Exchange-Traded Funds) को बढ़ावा: पैसिव फंड्स और ETF में निवेश की सीमा बढ़ाई गई।
क्लियरिंग कॉर्पोरेशन (Clearing Corporation - CC): ट्रेड सेटलमेंट (Settlement) की प्रक्रिया की समीक्षा के लिए समिति का गठन।
फिनफ्लुएंसर पर नियंत्रण (Finfluencers Regulation): बिना पंजीकरण (Unregistered) वाले सोशल मीडिया वित्तीय सलाहकारों से जुड़ने पर रोक।
भारत के वित्तीय तंत्र में SEBI का महत्व (Significance of SEBI in India’s Financial Ecosystem)
निवेशक विश्वास (Investor Confidence) – पारदर्शिता और न्यायपूर्ण व्यवस्था से निवेशकों का विश्वास बढ़ता है।
बाजार की ईमानदारी (Market Integrity) – धोखाधड़ी पर रोक और निष्पक्ष लेन-देन सुनिश्चित करता है।
वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) – म्यूचुअल फंड्स और निवेश शिक्षा के जरिए अधिक लोगों को जोड़ता है।
वैश्विक मान्यता (Global Recognition) – अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन कर भारत की वैश्विक साख बढ़ाता है।