(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास व रोजमर्रा के जीवन में उनके अनुप्रयोग और प्रभाव) |
संदर्भ
नीलगिरी की प्रमुख सड़कों के आस-पास मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए सॉइल नेलिंग (Soil Nailing) और हाइड्रोसीडिंग विधि का उपयोग करके ढलानों का स्थिरीकरण (Stabilization) किया जा रहा है।
क्या है सॉइल नेलिंग
- क्या है : सॉइल नेलिंग एक भू-तकनीकी इंजीनियरिंग है, जिसका उपयोग ढलान वाली भूमि की दीवारों को अधिक स्थिर तथा सुदृढ़ बनाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग राजमार्गों के किनारे विशेष रूप से होता है।
- प्रक्रिया : मृदा सुदृढीकरण की इस प्रक्रिया में स्टील की छड़ का उपयोग किया जाता है, जिसे गुरुत्वीय दीवार के समान एक समग्र द्रव्यमान बनाने के लिए मिट्टी में ड्रिल करके लगाया जाता है।
सॉइल नेलिंग के विभिन्न तरीके
- ड्रिल्ड एवं ग्राउटेड सॉइल नेलिंग तकनीक (Drilled and Grouted Soil Nailing Method) : छड़ों को पहले से ड्रिल किए गए छिद्रों में डालना और फिर ग्राउटिंग सामग्री (जाम करने वाला मसाला) से भरना।
- ड्रिवेन सॉइल नेलिंग तकनीक (Driven Soil Nailing Method) : शीघ्र एवं अस्थायी मृदा स्थिरीकरण के लिए प्रयुक्त।
- सेल्फ-ड्रिलिंग सॉइल नेलिंग तकनीक (Self Drilling Soil Nailing Method) : खोखलें छड़ों का उपयोग और ड्रिलिंग प्रक्रिया के दौरान ही मसालों को इंजेक्ट करना।
- जेट ग्राउटेड सॉइल नेलिंग तकनीक (Jet Grouted Soil Nailing Method) : ढलान की सतह में छिद्र के लिए जेट का उपयोग और इसमें स्टील की छड़ें लगाना तथा कंक्रीट से ग्राउट करना।
- लॉन्चड सॉइल नेलिंग तकनीक (Launched Soil Nail Method) : स्टील की छड़ों को संपीड़ित वायु तंत्र का उपयोग करके एक ही बार में मिट्टी में धकेलना।
सॉइल नेलिंग के अनुप्रयोग
- भू-स्खलन की समस्या से निदान
- राजमार्ग एवं सड़क मार्ग के तटबंधों व तीव्र ढलानों का स्थिरीकरण
- अस्थिर एवं तीव्र स्तरीकृत ढलानों तथा सुरंग पोर्टल का सुदृढीकरण
- पुल के किनारों का निर्माण एवं रेट्रोफिटिंग
- मौजूदा दीवार का स्थिरीकरण
- मौजूदा कंक्रीट संरचनाओं को दीर्घकालिक स्थिरता प्रदान करना।
क्या है हाइड्रोसीडिंग
- हाइड्रोसीडिंग, मृदा के कटाव को रोकने के लिए उस पर घास एवं पौधों के विकास को सुविधाजनक बनाने की प्रक्रिया है।
- इसके तहत मृदा पर बीज, उर्वरक, जैविक सामग्री एवं पानी का मिश्रण का प्रयोग किया जाता है जिससे घास तथा पौधों का विकास आसानी से हो सके। यह मृदा कटाव को रोकने में मदद करता है।