भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने विश्व स्मारक कोष-भारत (WMFI) एवं टी.सी.एस. फाउंडेशन के सहयोग से नई दिल्ली स्थित महरौली पुरातत्व उद्यान में 16वीं सदी की ‘राजों की बावली’ का संरक्षण कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
राजों की बावली के बारे में

- परिचय : यह एक प्रकार की जल संरचना है जो विशेष रूप से राजमहलों या किलों के पास स्थित होती थी। साथ ही, यह भारतीय जल प्रबंधन, वास्तुकला एवं सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय उदाहरण है।
- निर्माण : लगभग 1506 में नई दिल्ली में
- राजवंश : लोदी राजवंश के दौरान निर्मित
- महत्त्व : यह न केवल जलापूर्ति के उद्देश्य से उपयोग की जाती थीं, बल्कि सामाजिक एवं धार्मिक महत्व भी रखती थीं।
- अन्य प्रसिद्ध बावली : आगरा की राजों की बावली, बूँदी की बावली (राजस्थान)
विशेषताएँ
- यह चार-स्तरीय बावली न केवल जल भंडारण के लिए बल्कि यात्रियों को छाया एवं विश्राम प्रदान करने के लिए सोच-समझकर डिज़ाइन की गई थी।
- इसके सुंदर मेहराबदार स्तंभ, पुष्प एवं ज्यमितीय पैटर्न वाले नक्काशीदार स्टुको मेडेलियन (Stucco Medallions) और बारीक नक्काशीदार पत्थर की सजावट उस युग की कलात्मक उत्कृष्टता को दर्शाती है।
- 1,610 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली यह बावली 13.4 मीटर की गहराई तक जाती है जिसका मुख्य टैंक इसके आधार पर 23 x 10 मीटर का है।
संरक्षण कार्य
- इसका संरक्षण डब्ल्यू.एम.एफ.आई. की ‘भारत की ऐतिहासिक जल प्रणालियाँ’ नामक पहल का हिस्सा थी, जिसे टी.सी.एस. फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया गया था, जो विश्व स्मारक कोष की जलवायु विरासत पहल के अनुरूप है।
- यह जलवायु परिवर्तन के समक्ष जल प्रबंधन के लिए स्थायी समाधान के रूप में पारंपरिक जल प्रणालियों को बहाल करने के महत्व पर प्रकाश डालता है।
विश्व स्मारक कोष-भारत (WMFI) के बारे में
- परिचय : यह एक अग्रणी स्वतंत्र संगठन है जो लोगों के जीवन को समृद्ध बनाने तथा संस्कृतियों व समुदायों के बीच आपसी समझ बनाने के लिए दुनिया के सबसे मूल्यवान स्थानों की सुरक्षा के लिए समर्पित है।
- मुख्यालय : न्यूयॉर्क शहर
- प्रमुख कार्य : 1965 से इसके विशेषज्ञों की वैश्विक टीम ने 112 देशों में 700 से अधिक स्थलों पर उच्चतम अंतर्राष्ट्रीय मानकों का उपयोग करते हुए विश्व की विविध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया है।
- महत्त्व : स्थानीय समुदायों, वित्तपोषकों एवं सरकारों के साथ साझेदारी करते हुए WMF वर्तमान की सबसे गंभीर चुनौतियों, जैसे- जलवायु परिवर्तन, अपर्याप्त प्रतिनिधित्व, असंतुलित पर्यटन एवं संकट के बाद की बहाली से निपटने के लिए विरासत का सहारा लेता है।
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