New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Teachers Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Teachers Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति (SCLSC)

प्रारंभिक परीक्षा- SCLSC, अनु. 39ए, अनु. 14, अनु. 22(1), NALSA, SLSA, DLSA
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर- 2

संदर्भ-

  • सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई को भारत के सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति (SCLSC) के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है।

SCLSC

मुख्य बिंदु-

  • 29 दिसंबर, 2023 को न्याय विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना में न्यायमूर्ति गवई के नामांकन की घोषणा की गई। 

सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति (SCLSC) का उद्देश्य-

  • सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों में "समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त और सक्षम कानूनी सेवाएं" प्रदान करने के लिए इसका गठन किया गया।
  • इसका गठन ‘कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 3A के तहत किया गया था।

SCLSC की संरचना-

  •  SCLSC में एक अध्यक्ष होता है, जो सुप्रीम कोर्ट का वर्तमान न्यायाधीश होता है।
  • अध्यक्ष के अतिरिक्त केंद्र द्वारा निर्धारित अनुभव और योग्यता रखने वाले अन्य सदस्य शामिल होते हैं। 
  • अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) द्वारा नामित किया जाएगा। 
  • सीजेआई समिति के सचिव की नियुक्ति भी कर सकते हैं।
  • वर्तमान में SCLSC में अध्यक्ष बी.आर. गवई के अतिरिक्त नौ सदस्य हैं। 
  • समिति सीजेआई के परामर्श से केंद्र द्वारा निर्धारित अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकती है।
  • NALSA नियम, 1995 के नियम 10 में SCLSC के सदस्यों की संख्या, अनुभव और योग्यताएं निर्धारित की गई हैं। 
  • कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 27 के तहत केंद्र को अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए अधिसूचना द्वारा सीजेआई के परामर्श से नियम बनाने का अधिकार है।

समान कानूनी सेवाओं के लिए संवैधानिक प्रावधान-

  • भारतीय संविधान के अनेक प्रावधानों में कानूनी सेवाओं को प्रदान करने की आवश्यकता के बारे में बताया गया है- 

1. अनु. 39A के अनुसार-

    • राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि विधिक तंत्र इस प्रकार काम करे कि समान अवसर के आधार पर न्याय सुलभ हो। 
    • आर्थिक या किसी अन्य निर्योग्यता के कारण कोई नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाए।
    • राज्य उपयुक्त विधान, स्कीम या किसी अन्य रीति से निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करेगा।

2. अनु. 14 के अनुसार, राज्य भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से वंचित नहीं करेगा। 

3. अनु. 22(1) के अनुसार, किसी व्यक्ति को जो गिरफ्तार किया गया है, उसे गिरफ्तारी के कारणों के बारे में यथाशीघ्र बताया जाएगा। 

  • उपर्युक्त प्रावधान  न्याय को बढ़ावा देने वाली विधिक प्रणाली की अनिवार्यता सुनिश्चित करते हैं।
  • कानूनी सहायता कार्यक्रम का विचार सर्वप्रथम 1950 के दशक में आया था।
  • वर्ष, 1980 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.एन. भगवती की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर पर एक समिति की स्थापना की गई थी। 
  • कानूनी सहायता योजनाओं को लागू करने वाली समिति ने पूरे भारत में कानूनी सहायता गतिविधियों की निगरानी शुरू कर दी।

कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत स्थापित संस्थाएं-

  • वर्ष, 1987 में कानूनी सहायता कार्यक्रमों को वैधानिक आधार देने के लिए कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम लागू किया गया था। 
  • कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं, बच्चों, एससी/एसटी, ईडब्ल्यूएस श्रेणियों, औद्योगिक श्रमिकों, विकलांग व्यक्तियों और अन्य पात्र समूहों को मुफ्त और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करना है।

nalsa

  • अधिनियम के तहत कानूनी सहायता कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी, मूल्यांकन करने और कानूनी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए नीतियां बनाने हेतु वर्ष, 1995 में NALSA का गठन किया गया। 
  • अधिनियम के तहत कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क का निर्माण किया गया है। 
  • यह कानूनी सहायता योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने के लिए राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरणों, गैर सरकारी संगठनों को धन एवं अनुदान भी वितरित करता है।
  • प्रत्येक राज्य में NALSA की नीतियों और निर्देशों को लागू करने, लोगों को मुफ्त कानूनी सेवाएं देने तथा लोक अदालतों का संचालन करने के लिए राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (SLSA) की स्थापना की गई है। 
  • SLSA की अध्यक्षता संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश करते हैं और इसके कार्यकारी अध्यक्ष उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश होते हैं। 
  • इस तरह उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश SLSA के संरक्षक-प्रमुख (patron-in-chief) हैं और भारत के मुख्य न्यायाधीश NALSA के संरक्षक-प्रमुख (patron-in-chief) हैं।
  • जिलों और अधिकांश तालुकों में जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (DLSA) और तालुक कानूनी सेवा समितियां स्थापित की गईं हैं। 
  • प्रत्येक जिले में जिला न्यायालय परिसर में स्थित प्रत्येक DLSA  की अध्यक्षता संबंधित जिले के जिला न्यायाधीश द्वारा की जाती है।
  • तालुका या उप-विभागीय कानूनी सेवा समितियों का नेतृत्व एक वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश करता है। 

उपर्युक्त निकायों के अन्य कार्य-

  • सामूहिक रूप से ये निकाय अन्य कार्यों के साथ-साथ कानूनी जागरूकता शिविर आयोजित करते हैं।
  • मुफ्त कानूनी सेवाएं प्रदान करते हैं।
  • प्रमाणित आदेश प्रतियां और अन्य कानूनी दस्तावेजों की आपूर्ति करते और उन्हें प्राप्त करते हैं।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- ‘सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति’ (SCLSC) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश SCLSC के अध्यक्ष होते हैं।
  2.  अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है।
  3.  समिति का मुख्य कार्य सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों में "समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त और सक्षम कानूनी सेवाएं” प्रदान करना है।

उपर्युक्त में से कितना/कितने कथन सही है/हैं?

(a) केवल एक 

(b) केवल दो

(c) सभी तीनों

(d) कोई नहीं

उत्तर- (a) 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- समान कानूनी सेवा प्रदान करने के लिए संविधान में किए गए प्रावधान की चर्चा करें। ‘सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति’ इस लक्ष्य की प्राप्ति में किस प्रकार योगदान करता है? विवेचना कीजिए।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X