| GS Paper -III : Environment and Ecology |
भारत में वनों की परंपरा केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी गहरी जड़ें रखती है।
- वैदिक काल से ही वनों को ‘वनदेवता’, ‘अरण्यदेवता’ के रूप में पूजा गया।
- मौर्य और गुप्त काल में राज्य वन नीति अस्तित्व में आई।
- अर्थशास्त्र में कौटिल्य ने वनों को “राज्य की संपत्ति” कहा था।
- ब्रिटिश काल:
- 1864 में इंपीरियल फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की स्थापना हुई।
- भारतीय वन अधिनियम, 1878 (और बाद में 1927) के माध्यम से वनों पर केंद्रीकृत नियंत्रण स्थापित हुआ।
- स्वतंत्रता के बाद:
- वन संरक्षण को विकास के साथ जोड़ने की नीति अपनाई गई।
- 1976 में 42वें संविधान संशोधन के तहत “वन” को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया गया, जिससे केंद्र और राज्य दोनों को नीति निर्धारण का अधिकार मिला।
वर्तमान स्थिति (Current Status of Forests in India)
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सूचकांक
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आँकड़ा / स्रोत
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कुल भौगोलिक क्षेत्र
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3,287,469 वर्ग किमी
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कुल वनावरण (ISFR 2023)
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25.17%
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कुल वृक्षावरण
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2.91%
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कुल वन + वृक्षावरण
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28.08%
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उच्चतम वनावरण वाला राज्य
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मिज़ोरम (84.53%)
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सबसे कम वनावरण वाला राज्य
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हरियाणा (3.62%)
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घना वन (Very Dense Forest)
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कुल क्षेत्र का 3.04%
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मध्यम घनत्व वाला वन
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9.33%
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खुला वन
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12.80%
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मैंग्रोव क्षेत्र (2023)
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5,992 वर्ग किमी (0.1% वृद्धि)
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वनों का आर्थिक एवं पारिस्थितिक महत्व
(i) आर्थिक योगदान
- वन GDP में प्रत्यक्ष योगदान लगभग 1.5%, अप्रत्यक्ष रूप से कहीं अधिक।
- गैर-काष्ठ वन उत्पाद (NTFPs) जैसे लाख, तेंदू पत्ता, रेज़िन, औषधीय पौधे आदि 27.5 करोड़ ग्रामीणों की आय का स्रोत।
- वनों से प्राप्त पारिस्थितिकी सेवाओं का अनुमानित मूल्य 120 बिलियन डॉलर/वर्ष।
(ii) पारिस्थितिकी लाभ
- कार्बन सिंक: भारत के वन लगभग 24,000 मिलियन टन CO₂ अवशोषित करते हैं।
- मृदा संरक्षण, जलधाराओं का संरक्षण, जैव विविधता का आश्रय, सूक्ष्म-जलवायु नियमन।
- Mangroves तटीय क्षरण और तूफानों से प्राकृतिक सुरक्षा कवच का कार्य करते हैं।
(iii) सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
- लगभग 3000 से अधिक जनजातियाँ वनों पर अपनी आजीविका और संस्कृति के लिए निर्भर हैं।
- पवित्र उपवन (Sacred Groves) भारत के 12 राज्यों में संरक्षित — इन्हें “लिविंग म्यूज़ियम ऑफ बायोडायवर्सिटी” कहा जाता है।
वनों के समक्ष मुख्य चुनौतियाँ
- वनों की कटाई (Deforestation):
- 2001–2022 के बीच 3.3% वृक्षावरण हानि (Global Forest Watch)।
- खनन, शहरीकरण, सड़क और बाँध परियोजनाओं के कारण।
- वनाग्नि (Forest Fires):
- प्रतिवर्ष लगभग 36% वन क्षेत्र आग की संवेदनशील श्रेणी में आता है।
- प्रमुख राज्य: ओडिशा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मणिपुर।
- जलवायु परिवर्तन:
- बढ़ता तापमान, अनियमित वर्षा, सूखा → वृक्ष मृत्यु दर में वृद्धि।
- अवैध कटाई और लकड़ी तस्करी।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष:
- बाघ, हाथी, तेंदुआ जैसे प्रजातियों के संरक्षण और मानव बस्तियों के विस्तार में टकराव।
- वनीकरण बनाम प्राकृतिक वन:
- वृक्षारोपण अक्सर एकल प्रजाति (monoculture) आधारित होता है, जो पारिस्थितिक विविधता घटाता है।
संस्थागत और विधायी ढाँचा
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अधिनियम/संस्था
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विवरण
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वन अधिनियम, 1927
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वन प्रशासन, अपराध और लकड़ी व्यापार से संबंधित कानून।
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वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980
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केंद्र की अनुमति के बिना वन भूमि का अन्य उपयोग निषिद्ध।
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संशोधन अधिनियम, 2023
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“वन” की परिभाषा में स्पष्टता, सीमा क्षेत्र सुरक्षा परियोजनाओं को छूट।
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वन अधिकार अधिनियम, 2006 (FRA)
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आदिवासी एवं अन्य परंपरागत वनवासियों के अधिकारों की मान्यता।
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राष्ट्रीय वन नीति, 1988
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देश के 33% क्षेत्र को वनावरण में लाने का लक्ष्य।
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टी. एन. गोदावर्मन केस (1996)
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा “वन” की व्यापक परिभाषा और ग्रीन बेंच की स्थापना।
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संविधान अनुच्छेद 48A
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राज्य का दायित्व — “पर्यावरण और वनों की रक्षा।”
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अनुच्छेद 51A(g)
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नागरिकों का मौलिक कर्तव्य — पर्यावरण और वनों की रक्षा।
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भारत सरकार की प्रमुख पहलें
- हरित भारत मिशन (Green India Mission) – 2014
- 10 साल में 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र का पुनर्वनीकरण।
- Compensatory Afforestation Fund (CAMPA):
- 2023 तक ₹66,000 करोड़ से अधिक निधि राज्यों को आवंटित।
- National Afforestation Programme (NAP)
- ग्राम स्तर पर वनीकरण कार्य के लिए Joint Forest Management Committees (JFMCs)।
- Eco-Task Forces (ETF)
- भारतीय सेना के साथ मिलकर वनीकरण, जल संरक्षण और भूमि पुनर्वास कार्य।
- National Bamboo Mission (NBM)
- “ग्रीन गोल्ड” के रूप में बाँस को बढ़ावा।
- Digital Forest Mapping:
- GIS, ड्रोन, और सैटेलाइट इमेजिंग से रियल-टाइम मॉनिटरिंग।
वैश्विक पहलें जिनसे भारत जुड़ा है
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पहल
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उद्देश्य
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REDD+ (Reducing Emissions from Deforestation and Forest Degradation)
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वनों की कटाई से कार्बन उत्सर्जन घटाना, विकासशील देशों को आर्थिक प्रोत्साहन।
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Bonn Challenge
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2030 तक 350 मिलियन हेक्टेयर भूमि का पुनर्वास।
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UN Decade on Ecosystem Restoration (2021–2030)
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क्षतिग्रस्त पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना।
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Global Forest Vision 2030
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पुनर्वास, पुनर्प्राप्ति, पुनर्जनन को आठ प्राथमिक क्रियाओं के रूप में अपनाना।
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Paris Agreement NDCs
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भारत का लक्ष्य — 2.5 से 3 बिलियन टन CO₂ के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक सृजन।
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सफल उदाहरण (Best Practices)
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क्षेत्र/देश
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पहल
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परिणाम
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जापान
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Forest Environment Tax
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स्थानीय सरकारों को वन संरक्षण के लिए स्थायी राजस्व स्रोत।
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कांगो बेसिन
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Forest Partnership Initiative
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अफ्रीका के “लंग्स ऑफ द वर्ल्ड” की रक्षा हेतु साझेदारी मॉडल।
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केरल (भारत)
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Miyawaki Urban Forest
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शहरी क्षेत्रों में घने, स्थानीय जैवविविधता वाले सूक्ष्म वन।
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सिक्किम
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Community Forest Management
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पंचायतों द्वारा सामुदायिक वनों की निगरानी और पुनर्जनन।
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आगे की राह (Way Forward)
- संरक्षण को आर्थिक नीति से जोड़ना:
- “Green GDP” और “Natural Capital Accounting” प्रणाली को लागू करना।
- स्थानीय समुदायों को अधिकार और लाभांश:
- Forest Rights Act का प्रभावी क्रियान्वयन।
- जलवायु-अनुकूल वनीकरण (Climate-Smart Forestry):
- स्थानीय प्रजातियों का उपयोग, जैव विविधता आधारित वृक्षारोपण।
- सामुदायिक सहभागिता बढ़ाना:
- Joint Forest Management को अधिक पारदर्शी बनाना।
- वनाग्नि प्रबंधन:
- AI आधारित अलर्ट सिस्टम और फायर ब्रेक जोन।
- कानूनी सुधार:
- वन (संरक्षण) अधिनियम और पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) में तालमेल।
- शिक्षा और जागरूकता:
- विद्यालयों और कॉलेजों में “ग्रीन क्लब” संस्कृति।
निष्कर्ष
- भारत का वन संरक्षण प्रयास केवल पर्यावरण नीति नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, जलवायु उत्तरदायित्व और सामाजिक न्याय का भी आधार है।
- भारत विश्व को यह दिखा रहा है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हो सकते हैं।
- भविष्य का भारत तभी हरित और सुरक्षित होगा, जब प्रत्येक नागरिक अपने जीवन में “वनों का संवर्धन” अपनाएगा।