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C5+1: मध्य एशिया और संयुक्त राज्य अमेरिका

GS Paper-II — International Relations

C5+1 एक बहुपक्षीय राजनयिक मंच है जिसकी स्थापना वर्ष 2015 में उज़्बेकिस्तान के समरकंद (Samarkand) में हुई थी। इसमें मध्य एशिया के पाँच देशकज़ाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान — और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) शामिल हैं।

अर्थ:-C5 = पाँच Central Asian देश+1 = संयुक्त राज्य अमेरिका
अतः “C5+1” का अर्थ हुआ — Central Asia के पाँच देशों + USA का समूह।

C5+1

स्थापना का उद्देश्य

C5+1 मंच की स्थापना का उद्देश्य था —

“क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक समृद्धि और वैश्विक चुनौतियों का साझा समाधान विकसित करना।”

इसका मुख्य फोकस है —

  • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी,
  • ऊर्जा सुरक्षा,
  • साझा सुरक्षा तंत्र
  • और व्यापार सहयोग।

C5+1 के तीन मुख्य स्तंभ (Three Pillars of Cooperation)

क्रम

स्तंभ

प्रमुख क्षेत्र

उद्देश्य

1

आर्थिक सहयोग (Economic Cooperation)

व्यापार, निवेश, परिवहन, डिजिटल कनेक्टिविटी

क्षेत्रीय विकास और आर्थिक एकीकरण को बढ़ाना

2

ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security)

नवीकरणीय ऊर्जा, दुर्लभ खनिज (Rare Earths), जल संसाधन

वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत और ऊर्जा आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित करना

3

सुरक्षा सहयोग (Security Cooperation)

आतंकवाद, उग्रवाद, मादक पदार्थ तस्करी, सीमा-पार अपराध

क्षेत्र में शांति और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखना

अमेरिका की मध्य एशिया नीति (US Policy in Central Asia)

US-Policy

मध्य एशिया लंबे समय से रूस और चीन के प्रभाव क्षेत्र में रहा है।
C5+1 के माध्यम से अमेरिका यहाँ एक तीसरा रणनीतिक विकल्प प्रस्तुत करना चाहता है।

प्रमुख बिंदु

  • ट्रंप प्रशासन ने छह माह के भीतर 12.4 अरब डॉलर के समझौते किए —
    इनमें दुर्लभ पृथ्वी खनिज (Rare Earth Minerals), विमानन और सुरक्षा सहयोग शामिल थे।
  • चीन के पास वर्तमान में विश्व के लगभग 90% रेयर अर्थ संसाधनों का नियंत्रण है।
  • अमेरिका का लक्ष्य है —
    चीन के आर्थिक एकाधिकार को तोड़ना और वैकल्पिक खनिज स्रोत विकसित करना।
  • कज़ाकिस्तान में हाल ही में 20 मिलियन टन रेयर अर्थ धातुओं का भंडार मिला है।
    इसमें सेरियम, लैंथेनम, नियोडिमियम, यिट्रियम जैसे तत्व हैं, जो
    • स्मार्टफ़ोन,
    • कंप्यूटर चिप्स,
    • और सैन्य तकनीक के निर्माण में उपयोगी हैं।

अमेरिका की रणनीतिक रुचि का कारण

  • मध्य एशिया रूस और चीन के बीच का भौगोलिक “Heartland” है।
  • क्षेत्र में तेल, गैस, यूरेनियम और रेयर अर्थ मेटल्स की भरपूर संपदा है।
  • यदि अमेरिका इन संसाधनों तक पहुँच बना लेता है, तो वह चीन के नियंत्रण को चुनौती दे सकता है।

भारत की भूमिका और दृष्टिकोण (India’s Strategic Outlook)

भारत भले ही C5+1 का हिस्सा नहीं है, परंतु मध्य एशिया भारत की विदेश नीति का प्रमुख भू-राजनीतिक क्षेत्र है।

भारत की नीति — Connect Central Asia Policy (2012)

भारत ने वर्ष 2012 में "Connect Central Asia Policy" की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य था — मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापक राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा और सांस्कृतिक साझेदारी विकसित करना।

भारत के हित

क्षेत्र

भारत की प्राथमिकता

सुरक्षा

आतंकवाद और उग्रवाद से साझा निपटान, अफगानिस्तान की स्थिरता

ऊर्जा

तेल, गैस और यूरेनियम आपूर्ति सुनिश्चित करना (विशेषकर कज़ाकिस्तान व तुर्कमेनिस्तान से)

कनेक्टिविटी

समुद्री मार्ग के अभाव की पूर्ति हेतु वैकल्पिक मार्ग विकसित करना

भारत की प्रमुख परियोजनाएँ

  1. TAPI गैस पाइपलाइन: (तुर्कमेनिस्तान–अफगानिस्तान–पाकिस्तान–भारत)
    • भारत को प्राकृतिक गैस आपूर्ति का नया स्रोत उपलब्ध कराती है।
  2. चाबहार बंदरगाह (ईरान)

TAPI

→ भारत के लिए मध्य एशिया तक पहुँचने का रणनीतिक मार्ग,
→ पाकिस्तान को बाईपास करने का विकल्प।

  1. INSTC – International North–South Transport Corridor
    → भारत, ईरान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच 7,200 किमी लंबा मल्टी-मोडल नेटवर्क (सड़क, रेल, समुद्री) है।
    → उद्देश्य — व्यापार लागत और समय कम करना, यूरोप तक तेज़ पहुँच बनाना।

 

INSTC का मार्ग और महत्व

INSTC

चरण

मार्ग / क्षेत्र

1

मुंबई (भारत) से प्रारंभ

2

ईरान के बंदरगाहों से होकर गुजरना

3

कैस्पियन सागर पार करना

4

रूस के माध्यम से आगे बढ़ना

5

यूरोप के उत्तरी देशों तक पहुँचना

महत्व:

  • माल परिवहन समय में 40% तक कमी,
  • लागत में 30% तक बचत,
  • भारत–यूरोप व्यापार में सीधा मार्ग।

अमेरिका के व्यापक उद्देश्य (Wider Objectives of USA)

  1. रूस और चीन के प्रभाव को सीमित करनामध्य एशिया को पश्चिमी आर्थिक ढाँचे से जोड़कर यूरेशिया में संतुलन बनाना।
  2. वैकल्पिक सप्लाई चेन तैयार करनाविशेषकर ऊर्जा और Rare Earth Minerals के क्षेत्र में।
  3. मध्य एशिया को पश्चिमी गठबंधन (US–EU Bloc) से जोड़ना।
  4. “नए शक्ति-संतुलन” (New Balance of Power) का निर्माण करना।

समग्र विश्लेषण (Overall Analysis)

आयाम

विश्लेषण

भू-राजनीतिक महत्व

मध्य एशिया रूस–चीन के बीच “बफर ज़ोन” है — अमेरिका इसे नई रणनीतिक धुरी बनाना चाहता है।

आर्थिक दृष्टि

रेयर अर्थ मिनरल्स, तेल, गैस और ऊर्जा संसाधनों से संपन्न — वैश्विक प्रतिस्पर्धा का केंद्र।

भारत के लिए महत्व

ऊर्जा सुरक्षा, अफगानिस्तान के बाद स्थिरता, और कनेक्टिविटी के नए अवसर।

कूटनीतिक चुनौती

भारत को अमेरिका, रूस और चीन — तीनों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा।

निष्कर्ष (Conclusion)

C5+1 मंच अमेरिका के लिए मध्य एशिया में रूस–चीन प्रभाव को संतुलित करने का साधन है। यह चीन के Belt and Road Initiative (BRI) का सामरिक विकल्प भी माना जाता है। भारत, यद्यपि इस मंच का हिस्सा नहीं है, लेकिन अपनी “Connect Central Asia Policy”, चाबहार बंदरगाह, और INSTC के माध्यम से क्षेत्र में अपनी आर्थिक और रणनीतिक उपस्थिति मजबूत कर रहा है। इसलिए C5+1 न केवल अमेरिका–मध्य एशिया सहयोग का मंच है, बल्कि एशियाई शक्ति-संतुलन (Asian Power Balance) का भी नया केंद्र बनता जा रहा है।

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