| (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन पेपर- 2 : राजव्यवस्था) |
चर्चा में क्यों ?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसके तहत देश भर के सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया है कि स्कूलों, अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और अन्य सार्वजनिक परिसरों से आवारा कुत्तों को हटाया जाए और उन्हें नसबंदी एवं टीकाकरण के बाद निर्धारित आश्रय स्थलों (Shelters) में रखा जाए।

प्रमुख बिन्दु
- यह फैसला न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजारिया की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया।
- अदालत ने कहा कि आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों ने न केवल जन सुरक्षा को खतरे में डाला है,
- बल्कि भारत की पर्यटन छवि पर भी नकारात्मक असर डाला है।
- बेंगलुरु में हाल ही में एक विदेशी नागरिक पर आवारा कुत्तों के हमले ने इस विषय को फिर से राष्ट्रीय बहस के केंद्र में ला दिया।
पृष्ठभूमि: भारत में आवारा कुत्तों की समस्या
- भारत में लगभग 6.2 करोड़ आवारा कुत्ते हैं (FAO, 2024 के अनुमान के अनुसार),
- यह दुनिया में सबसे बड़ी संख्या है।
- हर साल लगभग 17-20 लाख कुत्तों के काटने के मामले सामने आते हैं।
- इनमें से कई मामलों में रेबीज संक्रमण के कारण मृत्यु तक हो जाती है।
- आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ने के मुख्य कारण हैं:
- असंगठित कचरा प्रबंधन,
- खुले में भोजन फेंकने की प्रवृत्ति,
- नसबंदी कार्यक्रमों का अपर्याप्त कार्यान्वयन,
- और ग्रामीण-शहरी प्रवासन के दौरान छोड़े गए पालतू जानवर।
कानूनी आधार: पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023
- केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत नए पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control - ABC) नियम, 2023 अधिसूचित किए।
- ये नियम पुराने ABC (Dog) Rules, 2001 को प्रतिस्थापित करते हैं और मानव सुरक्षा एवं पशु कल्याण के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करते हैं।
ABC 2023 के प्रमुख प्रावधान
- स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी
- नगर निगम, नगर परिषद और पंचायतों को कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और पुनर्वास की जिम्मेदारी दी गई है।
- मानवीय व्यवहार सुनिश्चित करना
- नसबंदी या पकड़ने की प्रक्रिया के दौरान किसी प्रकार की क्रूरता या अमानवीय व्यवहार की अनुमति नहीं है।
- एंटी-रेबीज कार्यक्रम के साथ एकीकरण
- एबीसी कार्यक्रम को एंटी-रेबीज (Anti-Rabies) टीकाकरण अभियान के साथ जोड़ा गया है ताकि रोग नियंत्रण सुनिश्चित हो सके।
- मान्यता प्राप्त संगठनों की भागीदारी
- केवल भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) द्वारा मान्यता प्राप्त संगठन ही नसबंदी और पुनर्वास कार्य कर सकते हैं।
- राज्य समन्वय और निगरानी
- सभी राज्यों को नियमित रूप से अपनी प्रगति की रिपोर्ट केंद्र सरकार को देनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट का व्यापक आदेश (अक्टूबर–नवंबर 2025)
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने नवीनतम आदेश में कई विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं -
- सार्वजनिक परिसरों से आवारा कुत्तों को हटाना
- स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे जैसे स्थानों से सभी आवारा कुत्तों को हटाया जाए।
- नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें निर्धारित पशु आश्रय गृहों में रखा जाए।
- उन्हें वापस उन्हीं इलाकों में नहीं छोड़ा जाए, जहाँ से उन्हें लाया गया था।
- एंटी-रेबीज उपाय अनिवार्य
- सभी अस्पतालों में एंटी-रेबीज टीकों और इम्यूनोग्लोबुलिन का पर्याप्त भंडार होना चाहिए।
- किसी भी व्यक्ति को काटे जाने पर तत्काल उपचार उपलब्ध कराया जाए।
- शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम
- स्कूलों और कॉलेजों में सुरक्षित व्यवहार, प्राथमिक उपचार और रिपोर्टिंग प्रक्रिया पर सत्र आयोजित किए जाएँ।
- शिक्षा मंत्रालय को इसके लिए दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया गया है।
- नोडल अधिकारी नियुक्त करना
- हर संस्थान में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जो स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा तथा आवारा कुत्तों की उपस्थिति पर निगरानी रखेगा।
- इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षा
- संस्थानों को फेंसिंग, बाड़ और गेट मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि कुत्तों का प्रवेश रोका जा सके।
- राजमार्गों से मवेशियों को हटाना
- राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों से सभी आवारा पशुओं को हटाकर निर्धारित आश्रय गृहों में ले जाया जाए।
- सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विशेष गश्ती दल और हेल्पलाइन नंबर की व्यवस्था की जाए।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश और वर्तमान संशोधन
- 11 अगस्त 2025:
- अदालत ने दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से आश्रय स्थलों में रखने का आदेश दिया था।
- यह निर्णय 2023 के ABC नियमों के विपरीत था, जिसमें “पकड़ो–नसबंदी करो–वापस छोड़ो” नीति थी।
- 22 अगस्त 2025:
- पीठ ने अपना आदेश संशोधित कर कहा कि केवल रेबीज-संक्रमित या आक्रामक कुत्तों को ही स्थायी रूप से रखा जाए।
- शेष कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उनके क्षेत्रों में छोड़ा जा सकता है।
- सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाने पर प्रतिबंध लगाया गया - अब भोजन केवल नगर निगम द्वारा निर्दिष्ट क्षेत्रों में ही दिया जा सकेगा।
- यह आदेश पूरे भारत में लागू होगा और सभी उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अधीन ले लिया है ताकि समान नीति सुनिश्चित हो।
सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव
- सकारात्मक परिणाम
- जन सुरक्षा और स्वच्छता में सुधार।
- रेबीज संक्रमण और सड़क दुर्घटनाओं में कमी।
- स्थानीय निकायों की जवाबदेही बढ़ेगी।
- नागरिकों में पशु कल्याण और सार्वजनिक जिम्मेदारी के प्रति जागरूकता।
- मुख्य चुनौतियाँ
- देशभर में आश्रय गृहों की कमी।
- फंड और प्रशिक्षित कर्मचारियों की अनुपलब्धता।
- पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और नागरिक समूहों के बीच मतभेद - कुछ इसे अमानवीय बता रहे हैं।
- लंबी अवधि में स्थायी समाधान के लिए नगर निकायों के बीच बेहतर समन्वय आवश्यक है।
निष्कर्ष:
- सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश भारत में शहरी शासन, सार्वजनिक स्वास्थ्य और पशु कल्याण नीति के संगम का एक सशक्त उदाहरण है।
- यह स्पष्ट रूप से संदेश देता है कि “मानव सुरक्षा और पशु संरक्षण - दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, विरोधी नहीं।”
- यदि इस आदेश को संवेदनशीलता, पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ लागू किया गया, तो यह न केवल सार्वजनिक सुरक्षा में सुधार
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प्रश्न. पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023 किस अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित किए गए हैं ?
(a) भारतीय दंड संहिता, 1860
(b) पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960
(c) वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972
(d) सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1954
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