New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM Teachers Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM Teachers Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

सुरजापुरी तथा बज्जिका भाषा 

[ प्रारंभिक परीक्षा के लिए – संविधान की आठवीं अनुसूची , भाषा से संबधित संवैधानिक प्रावधान ]
[ मुख्य परीक्षा के लिए - सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप ]{ सामान्य अध्धयन पेपर 2 }

सन्दर्भ 

  • बिहार सरकार ने स्थानीय भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने के उद्देश्य से राज्य में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली सीमांचल और बज्जिकांचल क्षेत्र में बोली जाने वाली स्थानीय बोलियों सुरजापुरी और बज्जिका को बढ़ावा देने के लिए दो नई अकादमी स्थापित करने का फैसला किया है।

सुरजापुरी

  • सुरजापुरी, हिंदी, मैथिली और बांग्ला भाषाओं का मिश्रण है।
  • सुरजापुरी मुख्य रूप से बिहार के मिथिला क्षेत्र के पूर्णिया डिवीजन ( किशनगंज , कटिहार , पूर्णिया और अररिया जिलों) के कुछ हिस्सों में बोली जाती है।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार में सुरजापुरी भाषियों की कुल संख्या 18,57,930 थी।
  • इसका प्रचलन पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों ( उत्तर दिनाजपुर और दक्षिण दिनाजपुर जिलों, मालदा जिले के उत्तरी मालदा और दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी शहर ) में भी है।
  • साथ ही,पूर्वी नेपाल के कुछ हिस्सों में भी यह भाषा बोली जाती है।
  • सुरजापुरी उत्तरी बंगाल और पश्चिमी असम में बोली जाने वाली कामतापुरी भाषा (और इसकी बोलियों रंगपुरी और कोच राजबांग्शी) से समानता रखती है।

बज्जिका

  • बज्जिका मैथिली भाषा की उपभाषा है, जो कि बिहार के तिरहुत प्रमंडल में बोली जाती है। 
  • यह बोली बिहार के उत्तर-पश्चिमी भाग में मुख्य रूप से समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पूर्वी चंपारण के कुछ पूर्वी हिस्सों और सारण तथा शिवहर जिलों में बोली जाती है। 
  • 2001 की जनगणना के अनुसार इन जिलों के लगभग 1 करोड़ 15 लाख लोग बज्जिका बोलते है। 
  • नेपाल के रौतहट एवं सर्लाही जिला एवं उसके आस-पास के तराई क्षेत्रों में बसने वाले लोग भी बज्जिका बोलते है। 
  • इसे अभी तक भाषा का दर्जा नहीं मिला है, मुख्य रूप से यह बोली ही है।
  • उत्तर बिहार में बोली जाने वाली दो अन्य भाषाएँ भोजपुरी एवं मैथिली के बीच के क्षेत्रों में बज्जिका सेतु रूप में बोली जाती है। 
  • बज्जिका की प्राचीनता एवं गरिमा वैशाली गणतंत्र के साथ जुड़ी हुई है और शायद इसका पतन भी वैशाली के पतन के साथ ही हो गया।
  • यह भाषा लोककंठ में ही जीवित रही है, लिखित साहित्य के रूप में नहीं। या संभव है कि इसका लिखित साहित्य विनष्ट हो गया हो।
  • इस भाषा के स्वतंत्र अस्तित्व की ओर संकेत करने वाले राहुल सांकृत्यायन थे, जिन्होंने अपने लेख "मातृभाषाओं की समस्या" में भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका के साथ-साथ बज्जिका को हिंदी के अंतर्गत जनपदीय भाषा के रूप में वर्गीकृत किया। 
  • इस भाषा में गयाधर, हलदर दास और मँगनीराम आदि की कुछ रचनाएँ प्राप्त हुई हैं, जहाँ से वज्जिका भाषा का साहित्य प्रारंभ होता है।
  • गयाधर का रचनाकाल 1045 ई. माना जाता है। ये वैशाली के रहने वाले थे और बौद्ध-धर्म के प्रचारार्थ तिब्बत गए थे। इनकी कोई ठोस रचना अभी तक प्राप्त नहीं हुयी है।
  • हलधर दास का समय 1565 ई. माना जाता है, जिनका लिखा हुआ एक खंडकाव्य सुदामाचरित्र प्राप्त है, जो बज्जिका में लिखा गया है।
  • मँगनीराम का जीवनकाल 1815 ई. के आसपास माना जाता है जिनकी तीन पुस्तकें - मँगनीराम की साखी, रामसागर पोथी और अनमोल रतन मिली हैं। इनके अलावा इनके भजन और साखी जनता में प्रचलित हैं, जिनका संकलन अभी नहीं हो पाया है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X