(प्रारंभिक परीक्षा : योजनाएं एवं कार्यक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि) |
संदर्भ
25 जून, 2025 को स्मार्ट सिटी मिशन के क्रियान्वयन के 10 वर्ष पूर्ण हुए। इसमें सर्वाधिक शहर उत्तर प्रदेश के हैं जबकि तमिलनाडु दूसरे स्थान पर है।
स्मार्ट सिटी मिशन के बारे में
- परिचय : यह मिशन ‘स्मार्ट समाधानों’ के उपयोग के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक, भौतिक और संस्थागत आधारों पर व्यापक कार्य करके आर्थिक विकास एवं जीवन स्तर में सुधार लाने पर केंद्रित है।
- क्या है स्मार्ट सिटी : स्मार्ट सिटी मिशन की कोई मानक परिभाषा नहीं है क्योंकि प्रत्येक शहर की आवश्यकताएँ और संदर्भ भिन्न होते हैं। हालाँकि, भारत के संदर्भ में यह मिशन छह मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है:
- नागरिक भागीदारी : स्मार्ट सिटी प्रस्तावों में नागरिकों की आकांक्षाओं को शामिल करना
- टिकाऊ विकास : पर्यावरणीय एवं सामाजिक दृष्टिकोण से दीर्घकालिक विकास
- स्मार्ट समाधान : प्रौद्योगिकी एवं नवाचार का उपयोग करके शहरी चुनौतियों का समाधान
- आर्थिक समावेशिता : सभी वर्गों के लिए अवसरों का सृजन
- संस्थागत ढांचा : प्रभावी प्रशासन व प्रबंधन के लिए मजबूत संस्थागत संरचना
- क्षेत्र-आधारित विकास : विशिष्ट क्षेत्रों में केंद्रित विकास परियोजनाएँ
- शुभारंभ : 25 जून, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा
- कुल आवंटित बजट : 47,652 करोड़ रुपए
- 31 मार्च, 2025 तक मिशन के तहत 100 शहरों को कुल बजटीय परिव्यय का 99.44% जारी किया जा चुका है।
- मिशन के उद्देश्य : इस मिशन का मुख्य उद्देश्य शहरों को ऐसी आधारभूत संरचना प्रदान करना है जो स्वच्छ एवं टिकाऊ पर्यावरण के साथ-साथ नागरिकों को बेहतर जीवन गुणवत्ता प्रदान करे। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- आधारभूत संरचना का विकास : शहरों में बुनियादी सुविधाओं, जैसे- जलापूर्ति, स्वच्छता, परिवहन और ऊर्जा प्रबंधन को सुदृढ़ करना
- स्वच्छ एवं टिकाऊ पर्यावरण : पर्यावरण संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करना
- नागरिकों के लिए बेहतर जीवन : स्मार्ट समाधानों के माध्यम से आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सुधार करना
- आर्थिक विकास : रोजगार सृजन एवं समृद्धि के लिए शहरों को आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बनाना
- प्रतिकृति मॉडल : अन्य शहरों के लिए प्रेरणास्रोत वाले मॉडल विकसित करना
- चयन प्रक्रिया : इस मिशन के तहत 100 शहरों का चयन दो चरणों वाली प्रतियोगिता के माध्यम से किया गया।
- पहले चरण में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने शहरों का नामांकन किया और दूसरे चरण में शहरों ने अपने स्मार्ट सिटी प्रस्ताव (SCP) प्रस्तुत किए।
- इन प्रस्तावों में 5,000 से अधिक परियोजनाएँ शामिल थीं, जिनका कुल मूल्य 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक था।
- मिशन का कार्यान्वयन : मिशन का कार्यान्वयन शहर स्तर पर एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) के माध्यम से किया जाता है।
- SPV एक सीमित कंपनी होती है जो कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत स्थापित की जाती है।
- वित्त पोषण : इस मिशन को एक केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) के रूप में संचालित किया जाता है जिसमें केंद्र व विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से वित्तपोषण किया जाता हैं।
- मिशन का दृष्टिकोण
- क्षेत्र-आधारित विकास (ABD) : प्रत्येक शहर ने नागरिक भागीदारी के माध्यम से एक निश्चित क्षेत्र को चुना है जिसे लक्षित हस्तक्षेपों के लिए विकसित किया जा रहा है। ये क्षेत्र अन्य शहरों के लिए प्रतिकृति मॉडल के रूप में कार्य करते हैं।
- पैन-सिटी परियोजनाएँ: ये प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान हैं जो बुनियादी ढांचे एवं सेवाओं को बेहतर बनाते हैं।
मिशन की उपलब्धियाँ
9 मई, 2025 तक इस मिशन के तहत कुल 8,067 परियोजनाओं में से 94% (7,555 परियोजनाएँ) पूरी हो चुकी हैं, जिनमें ₹1,51,361 करोड़ का निवेश हुआ है। इसके अतिरिक्त ₹13,043 करोड़ की 512 परियोजनाएँ उन्नत चरण में हैं। 31 मार्च, 2025 तक की स्थिति के अनुसार, स्मार्ट सिटी मिशन ने निम्नलिखित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है:
- एकीकृत कमांड एवं नियंत्रण केंद्र (ICCC) : सभी 100 स्मार्ट शहरों में आई.सी.सी.सी. स्थापित किए गए हैं जो डाटा-संचालित निर्णय लेने में मदद करते हैं।
- ये केंद्र परिवहन, जलापूर्ति एवं ठोस कचरा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) एवं डाटा एनालिटिक्स का उपयोग करते हैं।
- सार्वजनिक सुरक्षा : 100 स्मार्ट शहरों में 84,000 से अधिक सी.सी.टी.वी. कैमरे स्थापित किए गए हैं जो अपराध निगरानी में सहायक हैं। इसके अतिरिक्त 1,884 आपातकालीन कॉल बॉक्स; 3,000 सार्वजनिक पता प्रणालियाँ और ट्रैफिक उल्लंघन प्रणालियाँ स्थापित की गई हैं।
- जलापूर्ति : 28 शहरों ने 2,900 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एम.एल.डी.) की पेयजल उपचार क्षमता विकसित की है। 17,026 किमी. जलापूर्ति प्रणाली को स्काडा के माध्यम से निगरानी की जा रही है जिससे गैर-राजस्व जल एवं रिसाव कम हुआ है।
- सार्वजनिक स्थान : 84 स्मार्ट शहरों में 1,320 से अधिक सार्वजनिक स्थान परियोजनाएँ विकसित की गई हैं जिनमें 318 किमी. तटवर्ती विकास और 484 धरोहर स्मारकों का संरक्षण शामिल है।
- सीवरेज : 27 शहरों ने 1,370 एम.एल.डी. की अपशिष्ट जल उपचार क्षमता बनाई है जिसमें से 673 एम.एल.डी. का पुन: उपयोग बागवानी एवं औद्योगिक कार्यों के लिए किया जा रहा है।
- ठोस कचरा प्रबंधन: 66 शहरों ने प्रौद्योगिकी के उपयोग से ठोस कचरे का प्रबंधन बेहतर किया है। 9,194 वाहनों को आर.एफ.आई.डी.-सक्षम बनाया गया है, जिससे संग्रह व प्रबंधन की दक्षता बढ़ी है।
- परिवहन: 1,740 किमी. स्मार्ट सड़कें एवं 713 किमी. साइकिल ट्रैक विकसित की गई हैं। 177 स्मार्ट मोबिलिटी परियोजनाएँ वित्त वर्ष 2024-25 में पूरी हुईं।
- शिक्षा: 71 स्मार्ट शहरों में 2,300 सरकारी स्कूलों में 9,433 स्मार्ट कक्षाएँ और 41 डिजिटल पुस्तकालय विकसित किए गए हैं।
- स्वास्थ्य: 172 ई-स्वास्थ्य केंद्र और 152 स्वास्थ्य ए.टी.एम. स्थापित किए गए हैं। 15 शहरों ने ई-स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रणाली लागू की है।