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विद्युत क्षेत्र के लिये एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता

(सामान्य अध्ययन; मुख्य परीक्षा; प्रश्नपत्र- 3 विषय - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।)

संदर्भ

केंद्रीय बजट 2022-23 में निर्धारित दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिये विद्युत और विकास क्षेत्रों के लिये एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। यह अन्य प्रशासनिक स्तरों पर नीति कार्यान्वयन का मार्गदर्शन करेगा।

बजट आवंटन में कमी

  • स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में बजट आवंटन में 16% की वृद्धि की गई लेकिन वित्त वर्ष 2022-23 के लिये चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय में 45% की कटौती की गई है।
  • शिक्षा क्षेत्र के आवंटन में भी 11.86% की वृद्धि देखी गई परंतु डिजिटल शिक्षा पर अत्यधिक बल देने के बावजूद इस क्षेत्र के लिये विगत वर्ष के संशोधित आवंटन में 35% की कमी देखी गई। 
  • इन अनुमानों में वृद्धि के बावजूद, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र सालाना बजटीय आवंटन का केवल 2% ही साझा करते हैं।
  • बजट अनुमान स्वस्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र के प्रति एक सकारात्मक मंशा प्रदर्शित करते हैं, परंतु इसका वास्तविक प्रमाण इसके व्यय में निहित है जो हमारे शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता को दोहराता है।
  • यद्यपि स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र में बजट आवंटन में वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है, परंतु विद्युत की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण बेहतर स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने का उद्देश्य बाधित हो जाता है।

विश्वसनीय ऊर्जा उपलब्धता की भूमिका

  • विश्वसनीय व पर्याप्त विद्युत आपूर्ति की उपलब्धता स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं के वितरण में सुधार कर सकती है। वस्तुतः सतत् विकास लक्ष्यों के 74% लक्ष्य विश्वसनीय ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुँच के साथ सह-संबंधित हैं।
  • अबाधित रूप से विद्युत की उपलब्धता विकासात्मक क्षेत्रों, जैसे- शिक्षा व स्वास्थ्य के सेवा वितरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

चुनौतियाँ

  • शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों में विद्युत क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका होने के बावजूद भी भारत के लगभग 44% स्कूल तथा 25% उप-स्वास्थ्य व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में विद्युत की उपलब्धता नहीं है।
  • विकास क्षेत्र नीति में विद्युतीकरण आवश्यकताओं के एकीकरण की कमी आंशिक रूप से विद्युत और विकास संबंधों के बारे में जानकारी का अभाव, क्षेत्रों एवं विभागों के बीच समन्वय की कमी तथा वित्त की अपर्याप्त पहुँच के कारण हो सकती है। 
  • विद्युत की उपलब्धता को इन सेवाओं के दिन-प्रति-दिन के संचालन के लिये आवश्यक सुविधा की बजाय एक बार की नागरिक अवसंरचना गतिविधियों तक सीमित किया जाता है। 

आगे की राह

  • विद्युत की उपलब्धता और रखरखाव के सफलतापूर्वक एकीकरण हेतु नीतिगत ढाँचे में उपयुक्त समन्वय और वित्तपोषण तंत्र शामिल होना चाहिये।
  • स्वास्थ्य केंद्रों और स्कूलों के लिये विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीकृत निर्णय लेने वाली संस्थाओं की ज़िम्मेदारी होनी चाहिये।
  • नीतियों या कार्यक्रमों के लिये पात्रता मानदंड को पूरा करने के लिये व्यक्तिगत इकाइयों पर ज़िम्मेदारी का बोझ नहीं डाला जाना चाहिये।
  • एक मज़बूत डाटा गवर्नेंस तंत्र स्थापित करने के लिये धन का आवंटन आवश्यक है, क्योंकि यह एकीकृत कार्रवाई और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • स्थानीय नीति निर्माताओं को नीति कार्यान्वयन बाधाओं को कम करने के लिये कुछ अधिकार प्रदान किये जाने चाहिये।
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