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भारत-नेपाल-बांग्लादेश त्रिपक्षीय ऊर्जा सहयोग

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम, अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

संदर्भ 

हाल ही में, नेपाल ने पहली बार भारतीय ग्रिड के सहयोग से बांग्लादेश को विद्युत का निर्यात शुरू किया है।

पृष्ठभूमि 

  • नेपाल से बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति ऐसे समय शुरू हुई है जब बांग्लादेश बिजली संकट से जूझ रहा है।
  • यह संकट देश में राजनीतिक अस्थिरता की पृष्ठभूमि में और भी जटिल हो गया है क्योंकि बांग्लादेश की नई सरकार द्वारा अडानी कंपनी के गोड्डा संयंत्र से बिजली आपूर्ति समझौते को निलंबित कर दिया गया है।

भारत-नेपाल-बांग्लादेश त्रिपक्षीय ऊर्जा सहयोग

  • नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की 31 मई से 3 जून, 2023 की भारत यात्रा के दौरान भारतीय ग्रिड के माध्यम से नेपाल से बांग्लादेश तक पहले त्रिपक्षीय बिजली लेनदेन सुविधा के लिए 40 मेगावाट तक बिजली निर्यात करने का निर्णय लिया गया था।

  • त्रिपक्षीय बिक्री समझौता : तीनों सरकारों के बीच विद्युत हस्तांतरण के लिए एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम, नेपाल विद्युत प्राधिकरण एवं बांग्लादेश विद्युत विकास बोर्ड के बीच त्रिपक्षीय विद्युत बिक्री समझौता 3 अक्तूबर, 2024 को काठमांडू में हस्ताक्षर किया गया था। 
    • इस समझौते के अनुसार नेपाल बांग्लादेश को 40 मेगावाट बिजली निर्यात करेगा।
    • नेपाल एवं बांग्लादेश 15 जून से 15 नवंबर के बीच ही बिजली का व्यापार करेंगे।
  • बांग्लादेश का पक्ष : बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान तैयार की गई त्रिपक्षीय बिजली योजनाओं का समर्थन किया है। 
    • उनके अनुसार, बांग्लादेश को नेपाल का पड़ोसी होने का लाभ उठाना चाहिए और बांग्लादेश, नेपाल से आसानी से पनबिजली ला सकता है क्योंकि यह बांग्लादेश से केवल 40 मील की दूरी पर है और नेपाल की पनबिजली सस्ती भी होगी।
    • श्री यूनुस के अनुसार बांग्लादेश, भारत, नेपाल एवं भूटान को दक्षिण एशियाई ग्रिड बनाने के बारे में विचार करना चाहिए।
  • भारत के लिए लाभ : नेपाल से बांग्लादेश को विद्युत आपूर्ति के उद्घाटन के बाद भारत के माध्यम से नेपाल से बांग्लादेश तक बिजली प्रवाह की शुरुआत से बिजली क्षेत्र में उप-क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इससे क्षेत्रीय स्तर पर भारत की भूमिका को बढ़ावा मिलेगा।
  • नेपाल का हित : एक हिमालयी देश के रूप में नेपाल में जल विद्युत क्षमता का दोहन नहीं हुआ है और नेपाल पूरे क्षेत्र में इस तरह के सीमा पार बिजली सहयोग की मांग कर रहा है। इस प्रकार के सहयोग से नेपाल को अपनी अप्रयुक्त विद्युत क्षमता के दोहन का अवसर मिलेगा।
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