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ऊर्ध्वाधर राजकोषीय असंतुलन

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ 

  • संघीय संवैधानिक ढांचे वाले कई अन्य देशों के समान ही भारत में भी संघ सरकार एवं राज्यों के बीच वित्तीय संबंध विषम (Asymmetrical) हैं। 15वें वित्त आयोग के अनुसार राज्यों द्वारा राजस्व व्यय का 61% वहन किया जाता है, जबकि वे राजस्व प्राप्तियों का केवल 38% ही संग्रह करते हैं।
  • भारत में राज्यों की व्यय (वहन) करने की क्षमता केंद्र सरकार से प्राप्त होने वाले हस्तांतरण पर निर्भर है। इसके परिणामस्वरूप भारतीय राजकोषीय संघवाद में ऊर्ध्वाधर राजकोषीय असंतुलन (Vertical Fiscal Imbalance : VFI) की समस्या विद्यमान है।
  • इसके तहत व्यय का विकेंद्रीकरण राज्यों की राजस्व जुटाने की शक्तियों को कमज़ोर कर देता है।

क्या है ऊर्ध्वाधर राजकोषीय असंतुलन 

  • ऊर्ध्वाधर राजकोषीय असंतुलन (VFI) एक ऐसी स्थिति है जिसमें राजस्व, सरकार के विभिन्न स्तरों के व्यय से मेल नहीं खाता है। 
  • ऊर्ध्वाधर राजकोषीय असंतुलन एक संरचनात्मक मुद्दा है जिसे राजस्व एवं व्यय जिम्मेदारियों को पुनर्निर्धारित करके हल किया जा सकता है।  
    • उदाहरण के लिए, यदि कोई राज्य अपने स्थानीय सरकारों से शैक्षिक सेवाएँ प्रदान करने की अपेक्षा करता है किंतु स्थानीय संपत्ति या अन्य करों के लिए वित्त उपलब्ध नहीं कराता है, तो यह एक ऊर्ध्वाधर असंतुलन उत्पन्न कर सकता है। 

VFI को कम करने की आवश्यकता 

  • संवैधानिक रूप से केंद्र सरकार एवं राज्यों के वित्तीय कर्तव्य विभाजित हैं। राजस्व के मामले में कर संग्रह की दक्षता को अधिकतम करने के लिए आयकर, निगम कर एवं अप्रत्यक्ष करों का एक हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा संग्रहित किया जाता है। 
    • हालाँकि, व्यय की दक्षता को अधिकतम करने के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति मुख्यत: राज्य सरकार या स्थानीय सरकार द्वारा की जाती है। 
    • इस संदर्भ में VFI की सीमा पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • 15वें वित्त आयोग के अनुसार, भारत में अन्य संघीय स्वरुप वाले देशों की तुलना में अधिक एवं वृद्धिशील ऊर्ध्वाधर असंतुलन विद्यमान है। 
    • कोविड-19 महामारी के समय यह असंतुलन और भी बढ़ गया जिससे राज्यों के राजस्व एवं व्यय उत्तरदायित्त्व के बीच एक बड़ा अंतराल उत्पन्न हो गया।

वित्त आयोग की भूमिका 

  • VFI की समस्या एवं इससे निपटना मुख्यत: वित्त आयोग के अधिकार क्षेत्र में शामिल है। इससे निपटने के लिए वित्त आयोग दो मानदंडों का अध्ययन करता है : 
    • पहला, केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किए गए करों को समग्र रूप से राज्यों में किस प्रकार वितरित किया जाए। 
      • ये हस्तांतरण ‘शुद्ध आय’ (संघ के सकल कर राजस्व में से अधिभार, उपकर एवं संग्रह लागत घटाकर) के निर्धारित हिस्से के रूप में किए जाते हैं। 
    • दूसरा, राज्यों के लिए आवंटित करों में से विभिन्न राज्यों को करों का वितरण किस प्रकार किया जाए।
  • VFI मुख्यत: पहले मानदंड से ही संबंधित है। करों को हस्तांतरित करने के अलावा वित्त आयोग संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत आवश्यकता वाले राज्यों के लिए सहायता अनुदान की भी सिफारिश करता है।
    • हालाँकि, ये छोटी अवधि एवं विशिष्ट उद्देश्यों के लिए होते हैं।

राज्यों को अन्य हस्तांतरण 

  • राज्यों के लिए ऐसे हस्तांतरण भी शामिल हैं जो वित्त आयोग के दायरे से बाहर हैं। 
    • केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 282 के तहत केंद्र प्रायोजित योजनाओं एवं केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के माध्यम से राज्य व समवर्ती सूचियों में आने वाले विषयों पर पर्याप्त राशि व्यय करती है। 
    • हालाँकि, ये अनुदान सशर्त होते हैं। केवल शुद्ध आय से करों का हस्तांतरण राज्यों को एकमात्र ऐसा हस्तांतरण है जो बिना किसी शर्त के है।

भारत में VFI की गणना

  • भारत में VFI को प्रत्येक राज्य के लिए अलग-अलग मापने के बजाय ‘सभी राज्यों’ के लिए एकीकृत रूप में मापा जाता है। 

वर्ष

कर हस्तांतरण के बाद VFI (अनुपात के रूप में)

VFI को समाप्त करने के लिए कर हस्तांतरण का वांछित हिस्सा (%)

2015-16

0.12

47.82

2016-17

0.13

48.24

2017-18

0.12

47.59

2018-19

0.11

47.38

2019-20

0.18

51.17

2020-21

0.28

56.87

2021-22

0.14

47.90

2022-23

0.20

51.42

औसत (2020-21 एवं 2021-22 को छोड़कर)

48.94

  • सर्वप्रथम एक अनुपात का अनुमान लगाया जाता है जहाँ अंश (Numerator) सभी राज्यों के लिए स्वयं के राजस्व प्राप्तियों और केंद्र सरकार से कर हस्तांतरण का योग है जबकि हर (Denominator) सभी राज्यों के लिए स्वयं का राजस्व व्यय होता है। 
    • यदि यह अनुपात 1 से कम है, तो इसका अर्थ है कि राज्यों की स्वयं की राजस्व प्राप्तियों एवं कर हस्तांतरण का योग राज्यों के स्वयं के राजस्व व्यय (Own Revenue Expenditure : ORE) को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
    • इस अनुपात को 1 में से घटाने पर प्राप्त परिणाम राजस्व प्राप्तियों में घाटे को दर्शाता है। 
    • यह वह घाटा है जिसे वित्त आयोग हस्तांतरण के बाद VFI के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में उपयोग करता है।
  • VFI को समाप्त करने के लिए वर्ष 2015-16 से वर्ष 2022-23 के बीच राज्यों को हस्तांतरित शुद्ध आय का औसत हिस्सा 48.94% होना चाहिए था।
    • किंतु 14वें एवं 15वें वित्त आयोगों द्वारा अनुशंसित कर हस्तांतरण का हिस्सा शुद्ध आय का क्रमशः केवल 42% व 41% था।

कर हस्तांतरण में वृद्धि की मांग 

  • कई राज्यों ने 16वें वित्त आयोग द्वारा शुद्ध आय से कर हस्तांतरण का हिस्सा 50% निर्धारित किए जाने की मांग की है। 
  • राज्यों के अनुसार शुद्ध आय से उपकर एवं अधिभार के रूप में पर्याप्त मात्रा (राशि) को बाहर रखा गया है, जो सकल कर राजस्व में शुद्ध आय को कम कर देता है।

निष्कर्ष 

VFI को समाप्त करने के लिए राज्यों को हस्तांतरित शुद्ध आय का हिस्सा लगभग 49% तक बढ़ाना चाहिए। हस्तांतरण में इस तरह की वृद्धि से राज्यों के पास अपने नागरिकों पर व्यय करने के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध होंगे। यह राज्यों के व्यय क्षेत्राधिकार संबंधी आवश्यकताओं व प्राथमिकताओं के अनुरूप बेहतर तरीके से कार्य करते हुए व्यय दक्षता में वृद्धि करेगा। 

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