(प्रारंभिक परीक्षा : भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन) (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1, स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।) |
चर्चा में क्यों
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई, 2025 को वीर सावरकर जी की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

वीर सावरकर के बारे में
प्रारंभिक जीवन
- पूरा नाम : विनायक दामोदर सावरकर
- उपनाम: "स्वातंत्र्यवीर" सावरकर
- जन्म : 28 मई 1883, भागुर, नासिक, महाराष्ट्र
- पिता: दामोदर पंत सावरकर
- माता : राधाबाई
- शिक्षा : फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे; ग्रेज़ इन, लंदन (कानून की पढ़ाई)
- रुचियाँ : देशभक्ति और वीरता की कहानियों में गहरी रुचि, बाल्यकाल में ही कविताएं और भाषण देना शुरू किया
- निधन: 26 फरवरी 1966, मुंबई
- उन्होंने "आत्मार्पण" (Voluntary Death) की घोषणा की, और उपवास कर मृत्यु को प्राप्त किया
क्रांतिकारी गतिविधियाँ और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
- अभिनव भारत : सावरकर ने कम उम्र में ही स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेना शुरू किया। उन्होंने वर्ष 1904 में "अभिनव भारत" नामक एक गुप्त क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सशस्त्र क्रांति के माध्यम से ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकना था।
- लंदन में सक्रियता: लंदन में रहते हुए, सावरकर ने इंडिया हाउस में भारतीय छात्रों को संगठित किया और क्रांतिकारी गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने "मदनलाल धींगरा" जैसे क्रांतिकारियों को प्रेरित किया, जिन्होंने 1909 में विलियम कर्जन वायली की हत्या की।
- 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम: सावरकर ने अपनी पुस्तक "The Indian War of Independence, 1857" में 1857 के विद्रोह को भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम बताया।
- इस पुस्तक को ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था।चूंकि यह ब्रिटिशों द्वारा 'सिपाही विद्रोह' कहे जाने वाले संघर्ष को स्वतंत्रता संग्राम के रूप में प्रस्तुत करने वाला पहला ग्रंथ था।
- काला पानी की सजा: वर्ष 1910 में, सावरकर को नासिक षड्यंत्र मामले में गिरफ्तार किया गया और उन्हें अंडमान की सेलुलर जेल (काला पानी) में आजीवन कारावास की सजा दी गई।
हिंदुत्व का दर्शन
- हिंदुत्व की अवधारणा: सावरकर ने वर्ष 1923 में अपनी पुस्तक "Hindutva: Who is a Hindu?" में हिंदुत्व की अवधारणा को परिभाषित किया।
- उनके अनुसार, हिंदू वह है जो भारत को अपनी मातृभूमि, पितृभूमि और पवित्र भूमि मानता है। यह विचारधारा धार्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर आधारित थी।
- हिंदू महासभा: सावरकर वर्ष 1937 में हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने और उन्होंने हिंदुओं को संगठित करने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए काम किया।
सामाजिक सुधार और छुआछूत विरोध:
- सावरकर ने हिंदू समाज में व्याप्त छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने रत्नागिरी में अपने प्रवास के दौरान 'पतित पावन मंदिर' की स्थापना की, जो सभी जातियों के लिए खुला था।
- वे अछूतों को मंदिरों में प्रवेश और सामाजिक समानता के लिए प्रेरित करते थे। उनके प्रयासों से हिंदू समाज में समानता और एकता की भावना को बल मिला।
- उन्होंने धर्म-आधारित अंधविश्वास और रूढ़िवादिता पर तर्क और विज्ञान को महत्व दिया।
- वे महिलाओं के अधिकार,शिक्षा और स्वतंत्रता के पक्षधर थे।
लेखन और साहित्य
- द इंडियन वॉर ऑफ़ इंडिपेंडेंस (The Indian War of Independence): 1857 के विद्रोह का ऐतिहासिक विश्लेषण।
- हिन्दुत्व : हू इज अ हिन्दू (Hindutva: Who is a Hindu) : हिंदुत्व की विचारधारा को परिभाषित करने वाली पुस्तक।
- माझी जन्मठेप: सेलुलर जेल में उनके अनुभवों का वर्णन।
- कविताएं: उनकी कविताएं, जैसे "जयोस्तुते" और "सागर तुझ्या किनारी", देशभक्ति और प्रकृति से प्रेरित हैं।
- सिक्स ग्लोरीज़ ऑफ हिंदूज़ : हिंदू सभ्यता की महानता
- हिंदू-पद-पादशाही : मराठा साम्राज्य का गौरवगान
संबंधित विवाद
- क्षमायाचनाएँ: सावरकर ने ब्रिटिश सरकार को कुल 6 क्षमायाचनाएँ (Mercy Petitions) लिखीं, जिनमें उन्होंने भविष्य में राजनीतिक गतिविधियों में भाग न लेने और रिहा कर दिए जाने की अपील की।
- इस संबंध में विरोधियों का मानना है कि यह उनके क्रांतिकारी मूल्यों से विचलन था, जबकि समर्थकों का कहना है कि यह "रणनीतिक चतुराई" थी।
- महात्मा गांधी हत्या : सावरकर को नाथूराम गोडसे के साथ जोड़ा गया, जो गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार था। हालांकि, जांच में सावरकर को दोषी नहीं पाया गया, लेकिन यह मुद्दा विवादास्पद बना रहा।
निष्कर्ष
विनायक दामोदर सावरकर एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे — क्रांतिकारी, विचारक, लेखक, और समाज सुधारक। वे जहां एक ओर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नायक थे, वहीं दूसरी ओर "हिंदुत्व" की विचारधारा, गांधी हत्या में संदिग्धता, और माफीनामों के कारण वे विवादों में भी रहे।